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अल्लाह का ज़िक्र करने और न करने वालों की मिसाल क्या है जानिए तफसील से

दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि अल्लाह का ज़िक्र करने वाले और उससे ग़ाफ़िल रहने वाले में असल फ़र्क क्या है? क्या यह सिर्फ़ एक अमल का फ़र्क है या कोई …

हाल ही की पोस्ट

मुसीबत किसी की भी हो मोमिन का रवैया हमदर्दी और ख़ैर ख़्वाही वाला होना चाहिए

क्या आपने कभी किसी के बुरे वक़्त पर मन ही मन खुशी महसूस की है? क्या कभी किसी की परेशानी देखकर आपके मन में यह ख़्याल आया है कि "सही हुआ उसे मिला …

हक़ तलफ़ी का इस्लामी हल माफ़ी या हक़ अदायगी ज़िन्दगी में ही अदा करना ज़रूरी क्यों है जानिये

बाज़ अवक़ात इंसान से जाने या अनजाने में दूसरों की हक़ तलफ़ी हो जाती है, ऐसी सूरत में दीन सिखाता है कि जिस की हक़ तलफ़ी होती है उसे उस का हक़ अदा कर दिया जाए…

रोटी पर सब्जी रख कर खाना कैसा है जानिए इस्लामी आदाब

अल्लाह तआला ने इंसान को बेशुमार नेमतों से नवाजा है जिन में से एक अज़ीम नेमत रोटी भी है। यह हमारी बुनियादी खुराक है और हमारे खाने का अहम हिस्सा। आज हम…

दुनिया पर खर्च दीन पर कंजूसी ईमान की कमज़ोरी और क़यामत की निशानी

आज का दौर मटेरियलिस्टिक ज़माना है ये एक सच्चाई है। हमारी ज़िन्दगी की तरजीहात प्रायोरिटीज़ का तवाजुन बैलेंस इस कदर बिगड़ चुका है कि अल्लाह ही भला करे।…

किसी मुसलमान का ऐब छुपाने की फ़ज़ीलत हदीस शरीफ़ की रौशनी में एक इंसानियत भरा दर्स

आज हम इस मज़मून में किसी मुसलमान का ऐब छुपाने की जो फ़ज़ीलत है उस पर हदीस शरीफ़ की रौशनी में बात करेंगे। हदीस शरीफ़ से हमें इंसानियत का एक अज़ीम दर्स मिलता…

इमाम बुखारी की ज़िन्दगी के आखरी लम्हात का वाक़िया और आख़िरी दिनों की आज़माइशें

आज हम इतिहास के उन पन्नों को पलटने जा रहे हैं जो हमें एक महान हस्ती की ज़िंदगी के आख़िरी लम्हात बयान करते हैं। यह कोई आम दास्तान नहीं बल्कि उन इमाम क…

तस्बीह फ़ातिमी वह मुबारक वज़ीफ़ा जो घरेलू मेहनत की थकावट दूर करने का रूहानी इलाज।

आईए आज बात करते हैं एक ऐसी रूहानी दौलत की, एक ऐसे क़ीमती तोहफ़े की जो नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी चहीती बेटी सैय्यिदा फ़ातिमतुज़ ज़हरा…

उलमा का इस्तक़बाल शोर शराबे से नहीं बलके अदब और अहतराम से करें

आज के इस पुर फितन दौर में जहां हर तरफ ज़ाहिरी चमक दमक और दिखावे का राज है वहीं हमारी दीनि महफिलें और इज्तिमात भी इस रिया कारी से महफूज़ नहीं रहे। ख़ा…