qtESQxAhs26FSwGBuHHczRGOCdrb3Uf78NjGuILK
Bookmark

Namaz छोड़ने का गुनाह

अस्सलामु अलैकुम 

इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे के जो मुसलमान जानबूझकर नमाज़ छोड़ते हैं  उसका गुनाह और सज़ा कितनी सख्त है 

जान बूझकर जो नमाज़ छोड़े 

हज़रत नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
مَنْ تَرَكَ الصَّلَاةَ مُتَعَمِّدًا فَقَدْ كَفَرَ 
" मन त-र-कस्सला-त, मु-त-अम्मिदन, फकद, क-फ-र" यानी जिस शख़्स ने एक वक़्त की नमाज़ जान-बूझ कर छोड़ दी वह कुफ्र की हद तक पहुंच गया। हज़रत इमाम शाफई के पास वह शख़्स (जो नमाज़ जानबूझकर छोड़े) काफिर व काबिले कत्ल है। 
हुज़ूर नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया।
الصَّلْوُةُ عِمَادُ الدِّينِ فَمَنْ أَقَامَهَا فَقَدْ أَقَامَ الدِّينِ وَ مَنْ تَرَكَهَا فَقَدْ هَدَمَ الدِّيْنَ
"अस्-सलातु इमादुद्-दीन फमन् अका-महा फकद् अकामद्-दीन व मन् त-र-कहा फकद् ह-द-मद्-दीन०' 
नमाज़ दीन का ख़म (सुतून) है जिस ने इस को काइम रखा उस ने दीन को काइम रखा जिसने इस को तर्क किया (छोड़ा) उसने दीन को गिरा दिया। हुज़ूर नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया।
सुकरात में, कब्र में, हश्र में सब से पहले नमाज़ का सवाल होगा कि, तूने नमाज़ पढ़ा, या नहीं, जो नमाज़ में कामयाब हुआ उसकी सब चीज़ें आसान हो गईं। हुज़ूर ने फरमाया, "इस्लाम और कुफ्र में सिर्फ नमाज़ ही का फर्क है।"

नमाज़ नहीं पढ़ने वाला काफिर के मुशाबेह है। 

हुज़ूर ने फरमाया,"कल कियामत में बे नमाज़ी सुअर से भी बदतर होगा"। बेनमाज़ी की खैरात नज़र व नियाज़ भी, जो नेक काम करेगा वह काबिले कुबूल नहीं। 
जो लोग वक़्त पर नमाज़ नहीं पढ़ते या लोगों को दिखाने के लिए पढ़ते हैं, या कभी जुमा, रमज़ान या ईदैन में पढ़ लिया करते हैं उनको अल्लाह तआला का दीदार मयस्सर न होगा। जो मर्द या औरत नमाज़ नहीं पढ़ते, उनको अल्लाह तआला पन्द्रह अज़ाब में गिरफ़्तार करेगा। छः अज़ाब दुनिया में। अव्वल, उसकी उम्र से बरकत जाती रहेगी। दूसरा, हक तआला उसके चेहरे से नेकियों की निशानी उठा देगा।तीसरा, जो नेक आमाल करेगा उसका सवाब व अज्र न मिलेगा। चौथा, उसकी दुआ आसमान पर न जाएगी। पांचवा, रहमत के फरिश्ते उस से बेज़ार रहेंगे। छठा, इस्लाम की नेअमतों व खूबियों से मरते वक़्त कुछ हिस्सा नसीब न होगा।

और तीन अज़ाब मौत के करीब होंगे।

अव्वल ख़्वार व ज़लील होकर मरेगा। दूसरा भूखा व मुफलिस होकर मरेगा। तीसरा प्यासा हो कर मरेगा।

तीन अज़ाब कब्र में होंगे। 

अव्वल कब्र उसकी तंग होगी। दोनों पसलियों की हड्डियां मिल जाएंगी, दूसरा कब्र में उसकी, आग रौशन करेंगे उस आग में जलता रहेगा। तीसरा हक तआला उस की कब्र में एक फरिश्ता अज़ाब करने का मुकर्रर करेगा जो उस को रात-दिन आग के गुर्ज़ से मारता रहेगा। 

कब्र से निकल कर हिसाब की जगह जाते वक़्त तीन अज़ाब होंगे। 

पहला अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त बे नमाज़ी के लिए एक फरिश्ता मुकर्रर करेगा। उसको कब्र से निकाल कर औंधे मुंह आग की ज़ंजीर गले में डाल कर खींचते हुए ले जाएगा। दूसरा अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के सामने से दोज़ख़ में जाएगा। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त नज़रे रहमत से न देखेगा। तीसरा वह पाक न होगा। सख़्त अज़ाब पाएगा ।
जो शख़्स जान कर अमदन नमाज़ छोड़ देता है। उसी वक़्त दोज़ख़ के दरवाज़े पर उस का नाम लिखा जाता है, फलां बिन्ते फलां। अगर वह तौबा करके कज़ा पढ़ता है तो वह मिटा दिया जाता है। 

बे नमाज़ी को पास न बिठाओ 

बे नमाज़ी को जगह मत दो। अपने पास न बैठाओ क्योंकि बे नमाज़ी खुदा व रसूल  का नाफरमान बन्दा हैं, खुदा व रसूल और फरिश्तों की लानत बरसती हैं कल कियामत में बे नमाज़ी का मुंह काला होगा। 
एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the comment box.