अस्सलामु अलैकुम इस पोस्ट में आप अत्तहिय्यात दरूद शरीफ और नमाज़ की दुआएं हिंदी में और उनके हिंदी तर्जुमा के साथ पढ़ेंगे। उम्मीद है कि इससे आपको बहुत फायदा होगा और आपके इल्म व जानकारी में इज़ाफा होगा। तो आइए सबसे पहले अत्तहिय्यात से शुरू करते हैं।
तशह्हुद यानी अत्तहिय्यात
अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन अशहदु अल ला इलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु।
तर्जुमा
तमाम कौली इबादतें और तमाम फेली इबादतें और तमाम माली इबादतें अल्लाह ही के लिए हैं सलाम हो तुम पर ऐ नबी और अल्लाह की रहमतें और उसकी बरकतें सलाम हो हम पर और अल्लाह के नेक बंदों पर मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।
दरूद ए इब्राहीम
अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदिव् व अला आली मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इबराहीम व अला आली इबराहीम इन्नका हमीदुम मजीद अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव् व अला आली मुहम्मदिन कमा बारकता अला इबराहीम व अला आली इबराहीम इन्नका हमीदुम मजीद।
तर्जुमा
ऐ अल्लाह हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर और उनकी आल पर रहमत फ़रमा जिस तरह तू ने रहमत नाज़िल फ़रमाई हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और उनकी आल पर बेशक तू तारीफ़ किया गया बुज़ुर्ग है ऐ अल्लाह बरकत दे हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनकी आल को जिस तरह तू ने बरकत दी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनकी आल को बेशक तू तारीफ़ के लाइक और बड़ी बुज़ुर्गी वाला है।
दुआ ए मासूरा (दरूद शरीफ के बाद की दुआ)
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लम्तु नफ्सी ज़ुल्मन कसीरव् व ला यग़फिरुज़् ज़ुनूबा इल्ला अनत फग़फिर ली मग़फिरतम मिन इन्दिक वरहम्नी इन्नका अनतल ग़फूरुर रहीम।
तर्जुमा
ऐ अल्लाह मैंने अपने नफ़्स पर बहुत ज़ुल्म किया और तेरे सिवा गुनाहों को कोई नहीं बख़्शता पस तू अपने करम से मुझ को बख़्श दे और मुझ पर रहम फ़रमा बेशक तू ही बख़्शने वाला और रहमत करने वाला है।
नमाज़ के बाद की दुआएं
दुआ ए अव्वल
अल्लाहुम्मा अनतस्सलामु व मिनकस्सलामु व इलैका यर्जिउस्सलामु हय्यिना रब्बना बिस्सलामि व अदखिल्ना दारस्सलामि तबारकता रब्बना व तआलैता या ज़ल जलालि वल इकराम।
तर्जुमा
ऐ अल्लाह तू ही सलामती देने वाला है और सलामती तेरी ही तरफ से है और सलामती तेरी ही तरफ लौटती है ऐ हमारे परवरदिगार हमें सलामती के साथ ज़िन्दा रख और सलामती के साथ घर में दाख़िल फ़रमा तू बड़ी बरकत वाला है ऐ हमारे परवरदिगार और बहुत बुलंद है तू ऐ जलाल और बुज़ुर्गी वाले।
दुआ ए दौम
रब्बना आतिना फिद्दुन्या हसनतव् व फिल आखिरति हसनतव् व किना अज़ाबन्नार।
तर्जुमा
ऐ हमारे परवरदिगार हमें दुनिया में भी भलाई और आख़िरत में भी भलाई अता फ़रमा और हमें दोज़ख के अज़ाब से बचा।
दुआ ए क़ुनूत (वित्र की दुआ)
अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तअईनुका व नस्तग़फिरुका व नु’मिनु बिका व नतवक्कलु अलैका व नुस्नी अलैकल खैर व नश्कुरुका व ला नक्फुरुका व नख्लउ व नतरुकु मन यफ्जुरुक अल्लाहुम्मा इय्याका नअबुदु व लका नुसल्ली व नस्जुदु व इलैका नसआ व नहफिदु व नर्जू रहमतका व नख्शा अज़ाबका इन्ना अज़ाबका बिल कुफ्फारि मुल्हिक।
तर्जुमा
ऐ अल्लाह हम तुझ से मदद मांगते हैं और मग़फ़िरत तलब करते हैं और तेरे ऊपर ईमान लाते हैं और तेरे ऊपर भरोसा रखते हैं और तेरी तारीफ़ करते हैं और तेरा शुक्र अदा करते हैं और नाशुकरी नहीं करते और अलग कर देते और छोड़ देते हैं उस शख़्स को जो तेरी ना-फ़रमानी करे ऐ अल्लाह हम तेरी ही इबादत करते हैं और ख़ास तेरे लिए नमाज़ पढ़ते और सज्दा करते हैं और तेरी ही जानिब दौड़ते हैं और तेरी ही रहमत की उम्मीद रखते हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं तेरा अज़ाब काफ़िरों को पहुँचने वाला है।
ख़ुलासा
दोस्तों उम्मीद है कि आपने अत्तहिय्यात दरूद इब्राहीमी और नमाज़ की दुआएं तर्जुमा के साथ पढ़ीं होंगी इससे आपको ज़रूर फायदा हुआ होगा और आपके इल्म में इज़ाफा हुआ होगा हमें चाहिए कि हम इन दुआओं को याद करें और नमाज़ में और नमाज़ के बाद पूरी तवज्जो के साथ पढ़ें ताकि हमारी इबादत मुकम्मल और मक़बूल हो सके।
सवाल 1: अत्तहिय्यात क्या है और कब पढ़ी जाती है?
जवाब: अत्तहिय्यात नमाज़ में कअदा में बैठते वक्त पढ़ी जाती है। यह वाजिब है और इसे न पढ़े तो नमाज़ नहीं होती।
सवाल 2: दरूद ए इब्राहीम कब पढ़ा जाता है?
जवाब: दरूद ए इब्राहीम अत्तहिय्यात के बाद नमाज़ में पढ़ा जाता है। यह नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजने की सुन्नत है।
सवाल 3: दुआ ए क़ुनूत किस नमाज़ में पढ़ी जाती है?
जवाब: दुआ ए क़ुनूत इशा की नमाज़ के वित्र की आखिरी रकात में पढ़ी जाती है। अगर यह याद न हो तो तीन बार रब्बिग फिरली पढ़ सकते हैं।
सवाल 4: नमाज़ के बाद कौन सी दुआएं पढ़नी चाहिए?
जवाब: नमाज़ के बाद दुआ ए अव्वल और दुआ ए दौम पढ़ना मुस्तहब है। अगर ये याद न हों तो कोई भी अपनी पसंद की दुआ पढ़ सकता है।