लोगों की परेशानी दूर करना सदक़ा है | Sadqa ki qism fazail ke sath

इस्लाम में हर नेक काम सदक़ा है मुस्कुराना, मदद करना, पानी पिलाना और रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ दूर करना भी सदक़ा है।

सदक़ात ओ ख़ैरात, अतियात और ज़कात का तज़किरा आप ने उलमा ए अहले सुन्नत, मशायख ए तरीक़त और ख़ुतबा ए क़ौम ओ मिल्लत की ज़बान से बारहा सुना होगा। आज हम इस नूरानी और इरफ़ानी मौज़ू पर यानी सदक़ा की क़िस्में और उसकी शाख़ें” पर रौशनी डालेंगे, ताकि इल्म और अमल दोनों में इज़ाफ़ा हो सके। शरीअत ए मुतहरा ने सदक़ा को सिर्फ़ माल ओ ज़र, सोने-चाँदी और दौलत ख़र्च करने तक महदूद नहीं रखा, बल्कि बे शुमार नेक आमाल को भी सदक़ा का दर्जा दिया गया है।

रसूल ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कुल मअरूफ़ सदक़ा यानी हर भलाई सदक़ा है। (मजमा उज़-ज़वाइद)

हर भलाई सदक़ा है

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया “भलाई का हर काम सदक़ा है, और भलाई यह भी है कि तू अपने भाई से खुश होकर मुस्कुरा कर मिलो, और अपने डोल से पानी अपने भाई के बर्तन में डाल दो, तो यह भी सदक़ा है। (मजमा उज़-ज़वाइद)

इस हदीस से साबित हुआ कि हर नेक काम और भलाई सदक़ा है।

खाना खिलाना

पानी पिलाना

कपड़ा पहनाना

रास्ते से तकलीफ़देह चीज़ें हटाना

मुस्कुरा कर मिलना

किसी मुसलमान के ग़म को दूर करना

रास्ता बताना

दीन की बातें सिखाना

बीमारों की तीमारदारी

नमाज़-ए-जनाज़ा में शिरकत

अहल ओ ऐयाल पर ख़र्च करना

ये सब सदक़ा की क़िस्में हैं और इन पर अज़ीम सवाब है।

सदक़ा की मुख़्तलिफ़ क़िस्में

मुस्कुराना और दूसरों को खुशी देना

हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है अगर तुम अपने मोमिन भाई को देखकर मुस्कुराओ, तो अल्लाह तआला तुम्हें सदक़ा करने का अज्र अता फ़रमाएगा। अपने डोल का पानी अपने भाई के डोल में डालना भी सदक़ा है। रास्ते से तकलीफ़देह चीज़ें हटाना भी सदक़ा है। भलाई का हुक्म देना और बुराई से रोकना भी सदक़ा है। (मजमा उज़-ज़वाइद)

रास्ता बताना और रहनुमाई करना

किसी भटके हुए शख़्स को सीधा रास्ता बता देना भी सदक़ा है।

इस्लाम ने इंसान की हर छोटी से छोटी भलाई को भी नेक अमल का दर्जा दिया है।

आग पानी और नमक देना भी सदक़ा है

उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ हुमैरा! जिसने किसी को आग दी, तो उस आग से जो कुछ पकाया गया, वह सब सदक़ा है। जिसने नमक दिया, तो उस नमक से जो खाना बना, उसका सवाब भी उसे मिलेगा।

जिसने पानी पिलाया, जहाँ पानी मिलता है, उसे एक गुलाम आज़ाद करने का सवाब मिलेगा। और अगर ऐसी जगह पानी पिलाया जहाँ पानी न मिलता हो, तो गोया उसने इंसान को ज़िंदगी बख़्श दी। (इब्न माजा, कंजुल-उम्माल)

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह भी फ़रमाया पानी, नमक और आग इन तीन चीज़ों से किसी को मना न किया जाए। (मजमा उज़-ज़वाइद)

रास्ते से तकलीफ़देह चीज़ें हटाना सदक़ा है

हज़रत अबू दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हुसे रिवायत है जिसने मुसलमानों के रास्ते से तकलीफ़ पहुँचाने वाली चीज़ हटा दी, अल्लाह तआला उसके लिए एक नेकी लिख देता है, और उसी नेकी से वह जन्नत में दाखिल हो जाता है। (कंजुल-उम्माल)

हज़रत मुआज़ रज़ियल्लाहु अन्हु से भी रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिसने रास्ते से पत्थर हटाया, उसके लिए एक हसनत लिखी जाती है, और जिसके पास एक हसनत है, वह जन्नत में दाखिल होगा। (मजमा उज़-ज़वाइद)

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मैंने जन्नत में एक शख़्स देखा जो सिर्फ़ मुसलमानों के रास्ते से तकलीफ़देह चीज़ें हटाया करता था, अल्लाह ने उसी अमल की बदौलत उसे जन्नत बख़्श दी।

परेशान हाल और ज़रूरतमंद की मदद करना सदक़ा है

हज़रत अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अन्हुसे रिवायत है हर मुसलमान पर सदक़ा है। सहाबा ने अर्ज़ किया “या रसूलल्लाह! अगर किसी के पास देने को कुछ न हो तो? हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया वह मेहनत करे, कमाए और उसमें से खुद भी फ़ायदा उठाए और दूसरों को भी दे। अगर वह भी न हो सके, तो ज़रूरतमंद और परेशान हाल की मदद करे। (कंजुल-उम्माल)

सैय्यदा का वाक़िया सदक़ा का अज्र और अल्लाह की रज़ामंदी

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह का मशहूर वाक़िया है

वह हज के लिए निकले, पाँच सौ अशरफ़ियाँ साथ थीं। रास्ते में एक औरत को देखा जो एक मरी हुई बतख़ नोच रही थी। पूछने पर उसने कहा मैं सैय्यदा हूँ, चार बेटियाँ हैं, चार दिन से भूखी हैं। मुझ पर मुर्दार हलाल है, इसलिए यही ले जा रही हूँ।

हज़रत बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह ने सब अशरफ़ियाँ उस औरत को दे दीं और हज छोड़ दिया। जब हुज्जाज वापस लौटे, सब ने कहा अल्लाह तेरा हज कबूल करे। उन्होंने हैरत से पूछा कि “मैं तो गया ही नहीं! रात को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ख़्वाब में तशरीफ़ लाए और फ़रमाया

अब्दुल्लाह! तूने मेरी औलाद में से एक परेशान हाल की मदद की, मैंने दुआ की कि अल्लाह तेरी तरफ़ से एक फ़रिश्ता मुक़र्रर करे जो हर साल तेरी तरफ़ से क़ियामत तक हज करता रहेगा। (फ़ज़ाइल-ए-हज)

औलाद ए रसूल की मोहब्बत ईमान वालों की निशानी

इस वाक़िए से मालूम हुआ कि मुसीबतज़दा की मदद, परेशान हाल की राहत और औलाद-ए-रसूल से मोहब्बत रखना अल्लाह और रसूल की नज़र में बेहद मक़बूल अमल है।

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कोई ईमान वाला उस वक्त तक पूरा मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि वह मुझसे और मेरे अहल-ए-बैत से मुहब्बत न करे। (सवाइक़-ए-मुहर्रिक़ा)

नतीजा ख़ुलासा

सदक़ा सिर्फ़ माल देने का नाम नहीं, बल्कि हर नेक अमल, हर भलाई, हर मुस्कुराहट, और हर मदद सदक़ा है। जो इंसान अपने भाई की खुशी, राहत और भलाई का सबब बनता है  वह दरअसल अल्लाह की राह में सदक़ा कर रहा होता है। “कुल मअरूफ़ सदक़ा” हर भलाई सदक़ा है।

सवाल: क्या सिर्फ़ माल या पैसा देना ही सदक़ा है?

जवाब: नहीं, हर नेक काम और भलाई जैसे मुस्कुराना, मदद करना या रास्ते से तकलीफ़देह चीज़ हटाना भी सदक़ा है।

सवाल: मुस्कुराना भी सदक़ा कैसे है?

जवाब: रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया,“अपने भाई से मुस्कुरा कर मिलना भी सदक़ा है। (मजमा उज़-ज़वाइद)

सवाल: कौन-सी तीन चीज़ें हैं जिनसे मना नहीं किया जाता?

जवाब: पानी, नमक और आग इनसे किसी को मना करना सही नहीं।

सवाल: परेशान हाल की मदद करने का क्या अज्र है?

जवाब: जो ज़रूरतमंद और मुसीबतज़दा की मदद करता है, अल्लाह तआला उसे सदक़ा का सवाब अता करता है और उसकी मग़फ़िरत करता है।

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