Fateha ka aasan tarika sikhiye आप भी फातेहा इस तरह से दे सकते हैं

आपने जब यह सारा कुछ पढ़ लिया तो इसके बाद आपको दुआ करना है दुआ के लिए अपने दोनों हाथों को उठायें और अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ मांगें


अस्सलामु अलैकुम आप इस तहरीर में फातेहा का तरीका यानी फातेहा कैसे देते हैं उसका तरीका क्या हैं पढेंगे और जानेंगे दोस्तों फातेहा देना जाइज़ व मुस्तहब है फातेहा का तरीका कुछ इस तरह से है के जब फातेहा दें तो वुजू करलें यह बेहतर है और अपना रुख किबला की तरफ हो और जो भी चीज़ें हों के जिनका सवाब भेजना हैं उन चीज़ों को सामने रखे जो फातेहा देने वाला है उसके अलावा भी वहाँ बहुत से लोग हैं तो चाहिए के सब तिलावत के वक़्त खामोश रहें बात बिलकुल भी ना करें फातेहा देने वाले को चाहिए के सबसे पहले दरूद शरीफ पढ़े तीन मर्तबा।

दरूद शरीफ़

अल्लाहुम्मा सल्ली अला सैय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिव्व वबा रिक वसल्लिम सल्लू अलैहि सलातँव व सलामन अलैका या रसुल्लाह। दरूद शरीफ तीन बार पढ़ले यह जो दरूद शरीफ दी गई है अगर यह याद है तो इसे पढ़ें नहीं तो आपको जो भी दरूद शरीफ याद हो उसे पढ़ लें। इसके बाद अऊज़ू बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़ें फिर बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ें इस के बाद सूरह काफ़िरून पढ़ना है।

सूरह काफिरून

क़ुल या अय्युहल काफ़िरून, ला अ'बुदु मा ता'बुदून, व ला अंतुम आबिदूना मा अ'बुद, व ला अना आबिदुम मा अबदतुम, व ला अंतुम आबिदूना मा अ'बुद, लकुम दीनुकुम व ली दीन।
जब सूरह काफिरून पढ़ चुकें तो इसके बाद तीन मर्तबा कुल हुवल्लाहू अहद यानी सूरह इखलास पढ़ना है। और हर बार सूरह इख्लास पढ़ने से पहले शुरू में सुरह के बिस्मिल्लाह पढ़ें।

सूरह इख्लास

क़ुल हुवल्लाहु अहद, अल्लाहुस्समद, लम यलिद व लम यूलद, व लम यकुल्लहु कुफुवन अहद।
क़ुल हुवल्लाह शरीफ तीन बार पढने के बाद आपको फिर सूरह फलक यानी क़ुल अऊज़ू बि रब्बिल फ़लक़ पूरी सूरह पढ़ना है।

सूरह फ़लक़

क़ुल अऊज़ू बि रब्बिल फ़लक़, मिन शर्री मा ख़लक़, व मिन शर्री ग़ासिकिन इज़ा वक़ब, व मिन शर्रिन नफ़्फ़ासाति फिल उक़द, व मिन शर्री हासिदिन इज़ा हसद।
सूरह फलक पढ़ लेने के बाद फिर सूरह नास यानी क़ुल अऊज़ू बि रब्बिन नास पूरी सूरह पढ़ें बिस्मिल्लाह शरीफ के साथ एक बार पढ़ें।

सूरह नास

क़ुल अऊज़ू बि रब्बिन नास, मलिकिन नास, इलाहिन नास, मिन शर्रिल वस्वासिल ख़न्नास, अल्लज़ी युवस्विसु फी सुदूरिन नास, मिनल जिन्नति वन नास।
फिर इसके बाद एक मर्तबा सूरह फातिहा यानी अल्हम्दु शरीफ पढ़ें बिस्मिल्लाह शरीफ़ के साथ।

सूरह फातिहा

अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अररहमानिर रहीम, मालिकि यौमिद्दीन, इय्याका ना'बुदु व इय्याका नसतईन, इह्दिनस्सिरातल मुस्तक़ीम, सिरातल्लज़ीना अनअमता अलैहिम, ग़ैरिल मग़दूबि अलैहिम व लद्दाल्लीन। इसके बाद एक मर्तबा आमीन कहें।
जब आप यह सारी सूरह जो उपर दी गईं हैं उन्हें पढ़ चुके तो अब इसके बाद आपको सूरह बकरह अलिफ़ लाम मीम से लेकर मुफ्लिहून तक पढ़ना है जो के पांच आयते मुबारका हैं। अलिफ़ लाम मीम पढने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ें।

सूरह बक़रह

अलिफ़-लाम-मीम, ज़ालिकल किताबु ला रैबा फीह, हुदल लिल मुत्तक़ीन, अल्लज़ीना यू'मिनूना बिल ग़ैबि व युक़ीमूनस्सलात व मिम्मा रज़क़नाहुम युन्फिक़ून, वल्लज़ीना यू'मिनूना बिमा उन्ज़िला इलैका व मा उन्ज़िला मिन क़ब्लिका व बिल आख़िरति हुम यूक़िनून, उलाइका अला हुदम मिर रब्बिहिम व उलाइका हुमुल मुफ़्लिहून। इसके बाद आपको कुरान शरीफ में से पांच आयते मुबारका और पढ़ना है जो नीचे दी गईं हैं।

पाँच आयतें मुबारक

व इलाहुकुम इलाहुव वाहिद, ला इलाहा इल्ला हुवर रहमानुर रहीम, इन्ना रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन, व मा अर्सलनका इल्ला रहमतल्लिल आलामीन, मा काना मुहम्मदुन अबा अहदिम मिर रिजालिकुम व लाकिन रसूलल्लाहि व ख़ातमन नबिय्यीन, व कानल्लाहु बि कुल्लि शैइन अलीमा, इन्नल्लाहा व मलाइकतहू युसल्लूना अलन्नबिय्यि या अय्युहल्लज़ीना आमनू सल्लू अलैहि व सल्लिमू तसलीमा।
जब इन्नल्लाहा व मलाइकतहू वाली आयत पढ़ी जाए तो इसके बाद दरूद शरीफ एक बार पढ़ें फातेहा पढ़ने वाला और सभी लोग जो फातेहा ख्वानी में हाज़िर हैं जो भी दरूद आपको याद हो उसे पढ़ें या जो उपर बताई गई है दरूद शरीफ उसे पढ़ लें। इस के बाद सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज़्ज़ति अम्मा यसिफून, व सलामुन अलल मुरसलीन, वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलामीन पढ़ें।

फातेहा में बख्शने का तरीका

आपने जब यह सारा कुछ पढ़ लिया तो इसके बाद आपको दुआ करना है दुआ के लिए अपने दोनों हाथों को उठायें और अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ मांगें इस तरह से करीमा कारसाज़ा बन्दा नवाज़ा मलिका बादशाह जो कुछ पढ़ा गया ज़िक्र अज़्कार किया गया कुरान करीम की तिलावत की गई है अगर इस में कोई ग़लती हो गई हो तो उसे माफ़ फरमा कर अपनी बारगाह में क़बूल फरमा और अपनी शान करीमी से इस पढ़ने पर और तआम या शीरनी जिस का इसाल-ए-सवाब के लिए इह्तिमाम किया है उस पर अज्र व सवाब अता फरमा या अल्लाह हम इन तमाम चीज़ों का सवाब तेरे प्यारे महबूब सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश करते हैं कुबूल फरमा या अल्लाह और इन तमाम चीज़ों का सवाब हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके व तुफैल तमाम अम्बिया व मुरसलीन और आल व अज़्वाजे मुतह्हिरात व तमाम सहाबा किराम अलैहिमुर रिज़्वान और तमाम ताबेईन, तब-ए-ताबेईन, ऐम्मा-ए-मुज्तहिदीन और जुमला औलिया-ए-कामिलीन की खिदमत में सवाब पेश करते हैं क़बूल फरमा या अल्लाह इस सब का सवाब  कुल मुमिनीन वल मुमिनात वल मुस्लिमीन वल मुस्लिमात तमाम की अर्वाह को इसका सवाब पहुंचा या अल्लाह बिल खुसूस इसका सवाब फलां (अपने उस अज़ीज़ रिश्तेदार या बुज़ुर्ग का नाम लें जिस को सवाब पहुँचाना चाहते हैं) उन को सवाब पहुँचा। इसके बाद अपने लिए और सभी लोग जो हाज़िर हैं उनके लिए और तमाम मुसलामानों के लिए दुआ ए खैर करें और दुआ ख़त्म करने पर अपने दोनों हाथों को चहरे पर फेरलें।

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