अस्सलामु अलैकुम सबसे अच्छा और बेहतरीन इंसान मुआशरे में कौन है आइए इसी पर बात की जाए और और यह मालूम किया जाए के समाज में कौन अच्छा आदमी है बेहतरीन इंसान कौन कहलाता है आइए हदीस शरीफ की रौशनी में जानते हैं के अच्छा और बेहतरीन इंसान कौन है।
अच्छा इंसान समाज में
हदीस शरीफ में है "खैरुन नास मय्यन फऊन नास" यानी लोगों में सबसे बेहतर वह है जो लोगों के लिए नफा का बाइस हो। यानी लोगों में अच्छा इंसान वह है जो कोगों को नफा पहुंचाता हो लोगों के साथ भलाई करता हो लोगों के साथ अच्छाई से पेश आता हो तो जो लोगों को फायदा पहुंचाए जो लोगों के लिए नफा का बाइस हो वह अच्छा इंसान है भला आदमी है।
नफा पहुंचाने की सुरतें
नफा भलाई करने की बहुत से तरीके हैं बहुत सी सुरतें हैं उन में से कुछ यह हैं, के अगर कोई ज़रुरत मंद है उसकी ज़रुरत को पूरी करना, कोई हाजत मंद है उसकी हाजत पूरी करना, इसी तरीके सी अगर कोई ऐसा शख्स जो बेरोज़गार है उसको रोज़गार सी लगा देना, या कोई बीमार है उसका इलाज करा देना, या कोई ऐसी बहन बेटी जो शादी के लाइक़ तो हो गईं हैं लेकिन पैसा ना होने की वजह से शादी नहीं हो पा रही है, तो ऐसों की पैसों से मदद करके उनकी शादी करा देना, किसी के यहाँ बिजली बिल ज़ियादा आ गया और उसके पास इतना पैसा नहीं है के वह बिजली बिल अदा कर सके तो ऐसे का बिजली बिल पटा देना, अगर किसी पर क़र्ज़ है और वह क़र्ज़ चुकाने की ताकत नहीं रखता उसका क़र्ज़ चुका देना, या कोई पढ़ाई करना चाहता है दीन का इल्म हासिल करना चाहता है लेकिन पैसे ना होने की वजह से वह पढ़ाई नहीं कर पा रहा है इल्म हासिल नहीं कर पा रहा है तो ऐसे लोगों को अपने खर्च से तालीम दिला देना, या किसी को कोई हुनर का काम सिखा देना वगैरह, तो यह सारी बातें और काम वह हैं जो लोगों को नफा पहुंचाने वाले और भलाई करने वाले हैं, तो समाज में बहतरीन और अच्छा वह शख्स है जो फ़राइज़ व वाजिबात सुनन को अदा करने के साथ लोगों को फायदा पहुंचाए लोगों के साथ भलाई करे।
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दोस्तों: आपने ऊपर पढ़ा अच्छा इंसान कौन होता है अब देखिये के इसका एक दूसरा पहलू भी है और वह क्या है तो सुनिए, जैसा के जो इंसान लोगों को फायदा पहुंचाता है लोगों के साथ भलाई करता है तो वह शख्स अच्छा है बहतरीन है वहीँ इसका दूसरा पहलू यह है के जो लोगों को तो नफा नहीं पहुंचाता और लोगों के साथ भलाई भी नहीं करता, बल्के उल्टा लोगों को सताता है, परेशान करता है, लोगों की बुराई करता है, चार लोगों के सामने दूसरों की इज़्ज़त उछालता है गीबत करता है, चुगली करता है, वगैरह यानी लोगों के लिए नफा फायदा भलाई का बाइस नहीं बनता बल्के नुकसान का बाइस बनता है, लोगों को नुकसान पहुंचाता है तो ऐसा शख्स समाज का बदतरीन आदमी है मुआशरे का बुरा शख्स है। दोस्तों हमें ऐसा नहीं बनना चाहिए के हमसे लोगों को नुकसान हो लोग हमसे खौफ खाएं डरें हमारी ज़ात से लोगों को ज़रर पहूंचे तो ऐसा ना बनो के हमारी ज़ात से लोगों को नुकसान पहूंचे, तो अपनी ज़ात को बुराई करने वाली नुकसान देने वाली ना बनायें। बल्के हमें कोशिश करनी चाहिए के हमारी ज़ात से लोगों फायदा हो हम लोगों की भलाई करें, तो अपनी ज़ात को नफा देने वाली फायदा पहुंचाने वाली बनाएं, के हम लोगों की भलाई करें उनकी ज़रूरतों को पूरी करें लोगों की मदद करें। वाक़िआ कुछ ऐसा है के अल्लाह तआला ने एक शख्स को खूब मालो दौलत से नवाज़ा था, और उस शख्स का लोगों को नफा देना फायदा पहुंचाने और लोगों के साथ, ज़रुरत मंदों के साथ भलाई करने का ऐसा उसके अंदर जज़्बा था के जब भी वह अपने घर के काम से बाज़ार जाता और अपने घर के लिए किराना खरीदता तो वहीँ गरीबों के लिए भी किराना खरीद लेता और गरीबों को दे देता। जहां कपड़ों की दूकान जाता और अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदता तो वहीँ पर बेसहारा यातिम बच्चों के लिए भी कपड़े खरीद लेता। तो इस वाक़िआ से हमें यह दर्स मिलता है के हमें भी ज़रुरत मंदों की मदद करनी चाहिए और लोगों की भलाई करनी चाहिए। हज़रत ज़ैनुल आबिदीन जो के हज़रत इमाम हुसैन रदी अल्लाहु अन्हु के साहबज़ादे हैं उनकी मदद और लोगों के साथ भलाई का यह आलम था के सौ घर ऐसे थे जिनको हर महीने खाने का सामान मिला करता था और उनको यह भी मालूम नहीं होता था के कौन घर में गल्ला रख के चला जाता है तो उनकी मदद करने वाला और कोई नहीं बलके हज़रत ज़ैनुल आबिदीन थे जो उनकी हर महीने मदद किया करते थे आखिर में यही दुआ करूंगा के अल्लाह तआला हमें लोगों को फायदा पहूँचाने वाला लोगों के साथ भलाई करने वाला बना। आमीनसमाज का बुरा शख्स
अच्छा इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए
लोगों की मदद का एक ऐसा भी तरीक़ा है
ज़ैनुल आबिदीन और लोगों की भलाई करना