कायनात की हर चीज़ में नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक हैरान कर देने वाला राज़: जब से इंसान में समझने की सलाहियत पैदा हुई वह कायनात के राज़ जानने में मशगूल है मगर अब तक कारखाना ए कुदरत की हकीकत नहीं जान सका। आइए देखें कैसे हर चीज़ में नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नूर छुपा है गुरु नानक और कबीरदास की नज़र से लेकर अब्जद के अददों तक का एक हैरतअंगेज़ सफ़र।
इंसान जब से इस दुनिया में आया है, उसी वक़्त से उसके ज़ेहन में यह ख्याल रहा कि आखिर इस कायनात का असली राज़ क्या है? वह तारों में ज़मीन में समुंदरों में और अपने अंदर इस राज़ को ढूंढने में मशगूल रहा। लेकिन लाखों सालों के बाद भी इंसान कारखाना-ए-कुदरत की हकीकत तक नहीं पहुँच सका।
इसका मतलब साफ़ है जिसने इस कायनात को बनाया है उसकी हिकमत और राज़ को समझ पाना इंसान के दायरे से बाहर है। लेकिन जब हम इस पूरी कायनात पर गौर करते हैं तो हर ज़र्रा हर सिम्त हर कण से एक ही नाम की झलक मिलती है नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम।
कायनात की हर चीज़ में नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
यह बात सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं बल्कि गैर-मुस्लिम विद्वानों ने भी कही।
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक ने भी कहा कि हर चीज़ में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नाम के अदद (संख्या) मौजूद हैं।
उनकी इस सोच की तस्दीक कबीरदास ने अपने मशहूर दोहे में की है।
अदद निकालो हर चीज़ से चौ गुन करलो वाए
दो मिलाके पचगुन कर लो बीस का भाग लगाए
बाकी बचे को नौगुन करलो दो उस में दो मिलाए
केहत कबीर सुनो भई साधू नाम मुहम्मद आए"
(आस्ताना देहली, सफ़ा 40, शुमारा फरवरी 1971)
यानी कबीरदास ने एक गणितीय फार्मूला बताया जिससे हर चीज़ के अदद निकालने पर आख़िरी नतीजा “92” आता है।
और 92 वही अदद है जो नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का है।
अब्जद के हिसाब से लफ़्ज़ मुहम्मद के अदद
अरबी और उर्दू हुरूफ़ के हिसाब से “मुहम्मद” के चार हरफ़ हैं।
मीम (م), हा (ح), मीम (م), दाल (د)
अब इन हरूफ़ के अब्जद अदद लिए जाते हैं।
मीम = 40
हा = 8
मीम = 40
दाल = 4
अब सबको जोड़ दीजिए
40 + 8 + 40 + 4 = 92
यानी नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अदद 92 होते हैं।
मिसाल 1 हिन्दुस्तान के नाम में 92 का अदद
अब्जद चार्ट के मुताबिक़ “हिन्दुस्तान” के हुरूफ़ और उनके अदद ये हैं
ह = 5, न = 50, द = 4, व = 6, स = 60, त = 400, अ = 1, न = 50
इन सबको जोड़ें तो 576 कुल अदद बनते हैं।
अब कबीरदास के फार्मूले के मुताबिक़ हम ये कदम उठाते हैं।
1️⃣ 4 से गुणा करें: 576 × 4 = 2304
2️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 2304 + 2 = 2306
3️⃣ अब 5 से गुणा करें: 2306 × 5 = 11530
4️⃣ अब 20 से भाग दें: 11530 ÷ 20 = 10
5️⃣ अब 9 से गुणा करें: 10 × 9 = 90
6️⃣ अब उसमें 2 जोड़ें: 90 + 2 = 92
✅ नतीजा — 92!
यानि हिन्दुस्तान के नाम में भी 92 का अदद हिंदसा है।
मिसाल 2 दिल
अब्जद चार्ट के मुताबिक़ “दिल” के हुरूफ़ और उनके अदद हैं।
द = 4, ल = 30
इन सबको जोड़ें तो 34 कुल अदद बनते हैं।
अब कबीरदास के फार्मूले के मुताबिक़।
1️⃣ 4 से गुणा करें: 34 × 4 = 136
2️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 136 + 2 = 138
3️⃣ अब 5 से गुणा करें: 138 × 5 = 690
4️⃣ अब 20 से भाग दें: 690 ÷ 20 = 34.5
5️⃣ “बाकी बचे” को 10 मानें।
6️⃣ अब 9 से गुणा करें: 10 × 9 = 90
7️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 90 + 2 = 92
✅ नतीजा — 92!
यानि दिल का अदद भी 92 है।
मिसाल 3 ज़मीन
अब्जद चार्ट के मुताबिक़ “ज़मीन” के हुरूफ़ और उनके अदद हैं।
ज़ = 7, म = 40, य = 10, न = 50
इन सबको जोड़ें तो 107 कुल अदद बनते हैं।
अब फार्मूले के मुताबिक़
1️⃣ 4 से गुणा करें: 107 × 4 = 428
2️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 428 + 2 = 430
3️⃣ अब 5 से गुणा करें: 430 × 5 = 2150
4️⃣ अब 20 से भाग दें: 2150 ÷ 20 = 107.5
5️⃣ “बाकी बचे” को 10 मानें।
6️⃣ अब 9 से गुणा करें: 10 × 9 = 90
7️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 90 + 2 = 92
✅ नतीजा — 92!
यानि ज़मीन का अदद भी 92 है।
मिसाल 4 कायनात
अब्जद चार्ट के मुताबिक़ “कायनात” के हुरूफ़ और उनके अदद हैं:
क = 20, य = 10, न = 50, अ = 1, त = 400
इन सबको जोड़ें तो **481** कुल अदद बनते हैं।
अब फार्मूले के मुताबिक़
1️⃣ 4 से गुणा करें: 481 × 4 = 1924
2️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 1924 + 2 = 1926
3️⃣ अब 5 से गुणा करें: 1926 × 5 = 9630
4️⃣ अब 20 से भाग दें: 9630 ÷ 20 = 9.6 (बाकी 10 मानें)
5️⃣ अब 9 से गुणा करें: 10 × 9 = 90
6️⃣ उसमें 2 जोड़ें: 90 + 2 = 92
✅ नतीजा — 92!
यानि कायनात का अदद भी 92 है।
हर चीज़ में 92 अदद हिंदसा है
जब किसी भी नाम या चीज़ पर यह फार्मूला लगाया जाए।
तो आख़िरी नतीजा हमेशा 92 आता है।
इस से ये साबित हो गया के मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नाम के अदद हर चीज़ मैं मौजूद हैं यानी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर चीज़ की असल हैं
जैसे कि कुरआन में भी इशारा मिलता है
“وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ”
(सूरह अल-अंबिया: 107)
और (ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) हमने आपको सारे जहानों के लिए रहमत बनाकर भेजा।”
यानि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सिर्फ़ एक उम्मत के नहीं, बल्कि पूरी कायनात के लिए रहमत हैं।
अख़्तिताम
अगर इंसान तफ़क्कुर (गहराई से सोच) करे, तो कायनात का हर ज़र्रा
“मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” के नूर से जगमगाता नज़र आता है।
चाहे अब्जद के अदद हों या रोशन सितारे हर जगह नाम ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तस्दीक होती है।
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर चीज़ की असल हैं
कायनात की हर चीज़ में नाम-ए-मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है यही इस जहान की सबसे बड़ी हकीकत है।
