रब्बुल आलमीन का एहसाने अज़ीम है कि उसने हमें अपनी सारी मख्लूकात में सबसे बेहतर यानि अशरफुल मख्लूकात बनाया। हमें सोचने समझने के लिए अक्ले सलीम अता फ़रमाया और अपने महबूब सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम को नबी बनाकर हमारे बीच मबऊस फ़रमाया। खुदा के इसी नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने हमें ज़िंदगी जीने का तरीक़ा और सलीका सिखाया और हमें एक बेहतरीन निज़ामे ज़िंदगी दिया। इस्लाम के इसी निज़ाम और कानून को शरीअत कहते हैं। इसी शरीअत पर चलकर जिसने ज़िंदगी गुज़ारी वह कामयाब हो गया और जो इससे भटक गया वह नाकाम हो गया।
मोमिन होना अपनी मरज़ी और तबीयत का नाम नहीं बल्कि मोमिन होना नबी की शरीअत का नाम है।
थर्टी फर्स्ट और मुस्लिम नौजवान
आज हम और हमारे नौजवान कब्र और हश्र की ज़िंदगी को भूलकर दुनिया की रंगीनियों और लज़्ज़तों को हासिल करने इस्लामी कानून शरीअत को छोड़कर गैर इस्लामी तरीकों पर चलकर गैरों की नक़ल करते नज़र आ रहे हैं। इन्हीं नक़लों में से एक नक़ल थर्टी फर्स्ट मनाना भी है जो सरासर नाजायज़ गुनाह और बेहयाई का काम है क्योंकि इसमें नौजवान साल की बिदाई और नए साल की आमद की खुशी में पार्टी के नाम पर नाच गाने और न जाने किन किन गुनाहों के कामों का एहतिमाम करते हैं।
नेकियाँ कितनी की हैं
यह बात समझ से बाहर है कि हमारे नौजवान नया साल जो ईसवी है इस्लामी नहीं है के आने की खुशी मनाते हैं या गुज़रते साल की बिदाई की खुशी मनाते हैं। अगर साल गुज़रने की खुशी मना रहे हैं तो उन्हें गुज़रते साल में किए गए अपने अच्छे और बुरे कामों पर नज़र डालनी चाहिए कि हमने साल भर में कितने अच्छे काम किए और कितने बुरे काम किए। रब और रसूल की कितनी फ़रमाबरदारी किए और कितनी नाफरमानी किए। नमाज़ रोज़ों का शरीअत और सुन्नतों का कितना ख्याल रखा। नेकियों के कितने काम किए और बुराइयों से कितने दूर रहे।
नाम किस लिस्ट में
अगर आपने रब और रसूल की फ़रमाबरदारी में साल गुज़ारा है नमाज़ रोज़ों को पाबंदी से अदा करते हुए साल गुज़ारा है शरीअत और सुन्नतों पर अमल करते हुए साल गुज़ारा है नेकियों के काम करते हुए और गुनाहों से दूर रहते हुए साल गुज़ारा है तो यकीनन आप गुज़रते हुए साल की बिदाई का जश्न ज़रूर मनाइए वरना याद रखिए इधर आप थर्टी फर्स्ट मनाने का इंतज़ाम कर रहे होंगें उधर आपका नाम जहन्नमियों की लिस्ट में लिखा जा रहा होगा।
याद रखिए नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फ़रमाया जो जिस कौम की मुशाबेहत करेगा यानि जिस कौम के तरीक़ों पर चलेगा बरोजे कयामत उसका हश्र उसी के साथ होगा।
सोचिए लम्हा लम्हा सेकंड सेकंड मिनट मिनट और एक एक दिन करते करते आपकी ज़िंदगी का एक साल कम हो गया और इसी तरह सारी ज़िंदगी यूं ही गुज़रते हुए खत्म हो जाएगी। फ़ैसला आपके हाथ है गुज़रते हुए साल में किए गए गुनाहों पर अफ़सोस करना है या फिर किए हुए गुनाहों पर खुश होकर जश्न मनाना है और साथ ही आने वाले साल की शुरुआत भी गुनाहों से करना है या फिर नेकियों के अहद के साथ करना है।
