खुशबूए मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और जिस्म ए मुबारक की महक के वाक़िआत

जानिए हुज़ूर के जिस्म ए मुबारक से आने वाली पैदाइशी खुशबू के वाक़िआत।और आप की महक से हाथ मिलाने वाले बच्चे और रास्ते तक महक उठते थे।

अस्सलामु अलैकुम आज हम आप के साथ इस आर्टिकल में रसूल ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिस्म ए अक्दस की मुबारक खुशबू के बारे में बात करेंगे तो आइये इस लेख में  "खुशबूए मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम "के बारे में पढ़ें और अपना ईमान ताज़ा करें।

आक़ा की पाकीज़ा खुशबू के वाक़िआत

हाथ मिलाते ही खुशबू का महकना

हज़रत अनस रज़ियल्लाहुअन्हु से रिवायत है कि जब भी कोई शख्स रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुसाफ़ह करता, पूरा दिन उस के हाथ से खुशबू आती रहती। यहाँ तक कि लोग पहचान लेते कि यह शख्स आज रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मिला है।

बच्चों के सर पर शफ़क़त भरा हाथ

जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम किसी बच्चे के सर पर शफ़क़त से हाथ फेरते, तो वह बच्चा दूसरे बच्चों में खुशबू की वजह से मुमताज़ हो जाता। उस की खुशबू सब को बता देती कि इस पर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़ास नज़र ए करम है।

रास्तों की पहचान

जिस रास्ते पर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ ले जाते, वह रास्ता खुशबू से महक उठता। लोग इस से पहचान लेते कि महबूब ए खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यहाँ से गुज़रे हैं।

हर चीज़ का महक उठना

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कामुबारक नाम भी तय्यिब था और वजूद भी पाकीज़ा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से खुशबूओं के झोंके उठते, हर गली कूचा आप की खुशबू से महक उठता।

इमाम अहले-सुन्नत की शायरी में खुशबूए मुस्तफा

अहबाब अहले-सुन्नत! खुशबूए मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तर्जुमानी करते हुए इमाम अहले-सुन्नत सरकार आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ क़ादरी फ़ाज़िल बरेलवी रज़ियल्लाहु अन्हु अपने एक शेर में फरमाते हैं।

उन की महक ने दिल के गुंचे खिला दिए हैं

जिस राह चल दिए हैं कूचे बसा दिए हैं

भीनी खुशबू से महक जाती हैं गलियाँ वल्लाह

कैसे फूलों में बसाए हैं तुम्हारे गेसू"

(जवाहिरुल बिहार, जिल्द 3, सफ़ा 217)

हदीस और वाक़िआत

सैय्यिदना उकबा बिन फरकद सलमी सहाबी रज़ी अल्लाहु अन्हु के जिस्म से हर वक़्त बेहतरीन खुशबू महकती रहती थी, हालाँकि आप खुशबू नहीं लगाते थे। आपकी चार बीवियाँ थीं जो आपस में कोशिश करतीं कि मेरी खुशबू सबसे अच्छी हो। लेकिन जब उनके शौहर सैय्यिदना उकबा घर तशरीफ लाते तो सब खुशबूएं फीकी पड़ जातीं और हज़रत उकबा की खुशबू ही ग़ालिब रहती।

एक दिन चारों बीवियाँ इकट्ठी होकर अर्ज़ करती हैं ऐ हमारे आक़, ऐ हमारे खावंद, क्या बात है? हम एक दूसरी से बढ़ने के लिए अच्छी से अच्छी खुशबू लगाती हैं मगर आप आते हैं तो और किसी की खुशबू का पता ही नहीं चलता, सिर्फ़ आप ही की खुशबू महकती रहती है। यह क्यों?

यह सुनकर हज़रत उकबा रज़ी अल्लाहु अन्हु ने फ़र्माया मैंने कभी कोई खुशबू लगाई नहीं। वजह यह है कि मैं बीमार हो गया था मेरे जिस्म पर फिन्सियाँ पित निकल आई थी। तो मैं अपने आक़ा रहमत दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हो गया और बीमारी की शिकायत की। तो खातिमुल अम्बिया सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़र्माया उकबा  कुरता उतार दे और बैठ जा। मैं कुरता उतार कर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने बैठ गया। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने दस्त मुबारक पर फूँक लगाई, फिर उस हाथ मुबारक को दूसरे हाथ मुबारक के साथ मिलाकर मेरी पीठ और मेरे पेट पर दोनों हाथ मुबारक फेर दिए। और उस वक़्त से यह खुशबू महक रही है। सुबहान अल्लाह!

इस हदीस के बारे में इमाम सुयूती रहमतुल्लाह अलैहि फ़र्माते हैं अख़रज अल-तबरानी फ़ी अल-कबीर व अल-अवसत बिसनदिन जययिदिन। (ख़साइस कुबरा)

पैदाइशी खुशबू

दोस्तों यह मुबारक खुशबू जो कि हबीब मुकर्रम नूर मुजस्सम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिस्म पाक से आती है, यह कोई आरज़ी खुशबू नहीं बल्कि पैदाइशी है। चुनाँचे हबीब ख़ुदा, सैय्यिद अम्बिया सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वालिदा माजिदा सैय्यिदा आमिना रज़ी अल्लाह तआला अन्हा फ़र्माती हैं।

जब मेरे नूर ए नज़र (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की पैदाइश हुई और मैंने देखा, हुस्न व जमाल ऐसा था जैसे कि चौदहवीं का चाँद है और आपके जिस्म पाक से ऐसी खुशबू महक रही थी जैसे बेहतरीन कस्तूरी की होती है। (मवाहिब लदुनियाह, अनवार मुहम्मदिय्यह)

इससे मालूम हुआ कि सैय्यिद अल-आलमीन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिस्म अनवर अतहर की तख़्लीक में ही सारे कमालात रखे गए थे।

शैख अल मुहद्दिसीन शाह अब्दुल हक़ मुहद्दिस दहलवी रहमतुल्लाह अलैहि ने तहरीर फ़र्माया एक शख़्स ने अपनी बेटी को उसके खावंद के पास भेजने के लिए खुशबू तलाश की मगर खुशबू न मिल सकी। तो उसने दरबार ए रिसालत में हाज़िर होकर माज़रा अर्ज़ किया और कहा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, आप ही कोई खुशबू अता करें। नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने शीशी मंगवाई ताकि उसमें खुशबू डाली जाए। शीशी हाज़िर करने पर हबीब ख़ुदा जान दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने जिस्म अनवर से पसीना लेकर उस शीशी में भर दिया और फ़र्माया जाकर उसे अपनी लड़की के जिस्म पर मल दो। और जब उसे पसीना मुबारक मला गया तो सारा मदीना उस खुशबू से महक गया और फिर उस घर का नाम ही बैत अल मुतैय्यबीन रख दिया गया। (मदारिज अल-नुबुव्वह)

एक आशिके रसूल जय्यद आलिमे दीन ने इस वाक़ए को बयान फ़र्माया और साथ ही फ़र्माया कि उस लड़की को फिर कभी खुशबू लगाने की ज़रूरत ही महसूस न होती, बल्कि उसकी औलाद और औलाद की औलाद में जो बच्चा पैदा होता, उसके जिस्म से भी खुशबू महकती थी। (व अल्लाहु तआला आ'लम बिल-सवाब)

आखरी कलमात

इन सारी रिवायात और हदीस पाक से हमें अज़मते मुस्तफा और शाने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पता चलता है तो वही हमारे लिए यह वाक़िआत महज़ पढ़ने सुनने की चीज़ नहीं, बल्कि हमें इन से यह सबक लेना चाहिए कि हम भी अपनी ज़िंदगियों में पाकीज़गी को अपनाएँ। खुशबू का इस्तेमाल सुन्नत है।

इख्तिताम

आइए,हम भी अपने आक़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इस पसंदीदा सुन्नत को अपनाएँ और फैलाएं।और न सिर्फ जिस्मानी खुशबू का इस्तेमाल करें, बल्कि अपने दिलों को भी बुराइयों की बदबू से पाक रखें। अल्लाह तआला हमें रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन


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