क़ब्र के अज़ाब से हिफ़ाज़त की चंद मख़सूस दुआएं और वज़ीफ़े

इस पोस्ट में क़ब्र के अज़ाब से बचने की मख़सूस दुआएं और वज़ीफों के बारे में बताया गया है। जानिए उन दुआओं और वज़ाइफ़ को और रोज़ाना पढने का मामूल बनाइये।

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों हम इस पोस्ट में कुछ अहम् दुआओं का ज़िक्र करेंगे जिन में से ख़ास वह दुआएं हैं जो अज़ाब ए क़ब्र से बचने का ज़रिया हैं तो आइए पोस्ट पूरी पढ़ें और अज़ाब ए क़ब्र से बचने की दुआओं के बारे में जानें।

अज़ाबे क़ब्र से बचने की चंद दुआएं

रब्बना आतिना फ़िद्दुनिया हसनतन व वफ़िल आख़िरति हसनतन व किना अज़ाबन्नार।

ए रब हमारे हमें दुनिया में भलाई दे और हमें आख़िरत में भलाई दे और हमें अज़ाबे दोज़ख से बचा।

अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिका मिनल कुफरी वल फकरी व अज़ाबिल क़ब्र।

ए अल्लाह मैं पनाह मांगता हूँ कुफ्र से तंगदस्ती से और क़ब्र के अज़ाब से।

अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिका मिन अज़ाबन नारि व अज़ाबिल क़ब्री व मिन फितनतिल महया वल ममाती शर्रिल मसिहिद दज्जाल।

ए अल्लाह मैं तुझसे पनाह मांगता हूँ जहन्नम के अज़ाब से और क़ब्र के अज़ाब से और ज़िंदगी और मौत के फ़ितनों से और काने दज्जाल के शर से।

अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिका मिन अज़ाबिल कबरी व अऊज़ु बिका मिन फितनतिल मसिहिद दज्जाल व अऊज़ु बिका मिन फितनतिल महया वल ममाती अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिका मिनल मआस्मि वल मगरमि।

ए अल्लाह मैं तेरी पनाह लेता हूँ क़ब्र के अज़ाब से और तेरी पनाह लेता हूँ काने दज्जाल के फ़ितना से और तेरी पनाह लेता हूँ ज़िंदगी और मौत के तमाम फ़ितनों से ए अल्लाह मैं पनाह लेता हूँ हर गुनाह और कर्ज़ से तू मुझे उनसे बचा ले।

अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिक मिनल जिबनि व अऊज़ु बिक मिन अन उरद्दा इला अरज़िल उम्रि व अऊज़ु बिक मिन फितनतिद दुन्या व अऊज़ु बिक मिन अज़ाबिल क़ब्र।

ए अल्लाह मैं तुझसे पनाह मांगता हूँ बुज़दिली और बे इज़्ज़ती से और मैं तुझसे पनाह मांगता हूँ इससे के निकम्मी और रज़ील उम्र को पहुँचूं और मैं तुझसे पनाह मांगता हूँ दुनिया के फ़ितनों से और मैं पनाह मांगता हूँ क़ब्र के अज़ाब से।

अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिक मिनल बुख़्लि व सूइल उम्रि व फितनतिस सदरि व अज़ाबिल क़ब्र।

ए अल्लाह मैं तेरी पनाह लेता हूँ बु्ख़्ल से और बुरी उम्र से और नफ्स के हर फ़ितना से और क़ब्र के अज़ाब से।

अंजाम ब खैर का बेहतरीन अमल

साहिबे ईमान रहते हुए इस दुनिया से जाना बड़े मुक़द्दर की बात है या रहीमु को रोज़ाना 285 मर्तबा पढ़ने वाला साहिबे ईमान मरेगा उसका खात्मा बिलखैर होगा सकरात और नज़अ के आलम में आसानी पैदा होगी क़ब्र की मनाज़िल बड़े आराम से तय होंगी अल्लाह तआला उस पर हद से ज़्यादा रहम करेगा और उसकी क़ब्र को कुशादा करके मिस्ल जन्नत कर दिया जाएगा और आख़िरत में उसकी निजात होगी।

क़ब्र में राहत का अमल

अगर कोई या बारी रोज़ाना एक सौ मर्तबा पढ़ने का मामूल बना ले तो अल्लाह तआला उसे मरने के बाद क़ब्र में राहत नसीब फरमाएगा और उसकी क़ब्र को मिस्ल जन्नत कर देगा।

या करीमु का जामे वज़ीफा

यह वज़ीफा गुनाहों से मुआफी के लिए बहुत मुअस्सर है लिहाज़ा रोज़ाना 105 दिन तक बिला नागा पढ़े उसकी आख़िरत में निजात होगी अज़ाबे क़ब्र से बच जाएगा अगर कोई नुकसान पहुँचाने के दर पे हो तो इस वज़ीफे को 40 दिन तक 2041 मर्तबा रोज़ाना पढ़ें इंशा अल्लाह अल्लाह तआला की पनाह में रहेंगे और दुश्मन ज़र्रा भर भी नुकसान नहीं पहुँचाएगा।

या करीमल अफ़वि ज़ल अद्लि अंतल्लज़ी मलअ कुल्ला शैइन अद्लुहू या करीम।

ए दर गुज़र करने वाले करीम ए अदल वाले तूने हर चीज़ को अपने अदल से भर दिया है ए करम वाले।

अज़ाबे क़ब्र से निजात

जो शख्स या अहद फ़ज़र की नमाज़ के बाद 11 सौ मर्तबा रोज़ाना पढ़े और ता दम आखिर पढ़ता रहे वह इंशा अल्लाह अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहेगा इस इस्म की बरकत से उसकी क़ब्र अल्लाह के नूर से रोशन हो जाएगी और वुसअत नजर तक कुशादा हो जाएगी।

या वारिसु का अमल

तुलूअ आफताब से पहले जो शख्स या वारिसु 100 मर्तबा पढ़ता रहे अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहेगा शक़ो शुबह  दिल से निकल जाएगा।

हिकायत

हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम क़ब्र पर गुज़रे देखा के मय्यत पर अज़ाब हो रहा है यह देखकर चंद कदम आगे तशरीफ ले गए और जब वापस आए अब जो उस क़ब्र पर गुज़रे तो मुलाहिजा फरमाया के उस क़ब्र में नूर ही नूर है और वहां रहमत ए इलाही की बारिश हो रही है आप बहुत हैरान हुए और बारगाह ए इलाही में अर्ज़ किया के मुझे इसका भेद बताया जाए इरशाद हुआ के रुहुल्लाह यह सख्त गुनाहगार और बदकार था इस वजह से अज़ाब में गिरफ्तार था लेकिन इसने अपनी बीवी हामला छोड़ी थी इसके हां लड़का पैदा हुआ और आज उसको मक़तब में भेजा गया उस्ताद ने उसको बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ाया हमें हया आई के मैं जमीन के अंदर इस शख्स को अज़ाब दूं जिसका बच्चा जमीन पर मेरा नाम ले रहा है इस रवायत से मालूम हुआ के बच्चों की नेकी से माँ बाप की निजात हो जाती है।

हज़रत अली रदी अल्लाहु अन्हू से रिवायत है के नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स मुसलमानों के कब्रिस्तान से गुज़रे और सूरह इखलास 11 मर्तबा पढ़कर इसका सवाब अहले क़ब्र को बख्शे तो उसको सूरह इखलास पढ़ने का इतना सवाब मिलेगा जितने के उस कब्रिस्तान में मुर्दों की तादाद है। (फ़वाईदुल कुबरा)

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

कुल हु वाला हल्लाहु अहद अल्लाहुस समद लम यलिद वलम यूलद वलम यकुल्लहू क़ुफ़ुवन अहद

सूरह इखलास

दोस्तों आपने ऊपर दुआएं पढ़ी ख़ास अज़ाब ए क़ब्र से बचने की दुआएं पढ़ीं हमें चाहिए के इन दुआओं को रोज़ाना पढ़ने का मामूल बनाएं ताकि हम क़ब्र के अज़ाब से बचे रहें और अल्लाह तआला की रहमत के मुसतहिक़ हों।

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