इस्लाम में कारोबार के अहकाम आदाब फज़ाइल और हराम कमाई का अंजाम

इस पोस्ट में कुरआन हदीस की रौशनी में कारोबार के अहकाम और आदाब और फज़ाइल बताए गए हैं पोस्ट पढ़ें और कारोबार के अहकाम फ़ज़ीलत और आदाब के बारे में जानें

तिजारत के फज़ाइल व अहकाम और उसूल व आदाब मुहतरम हज़रात आज के दौर में जब हर शख्स माल व दौलत के पीछे भाग रहा है जिंदगी का बड़ा हिस्सा बिजनेस नौकरी और रोज़ी रोटी के मसाइल में गुज़रता है तो ऐसे वक्त में यह जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि इस्लाम तिजारत और कारोबार के बारे में क्या तालीम देता है।

इस पोस्ट में हम कुरआन ए मजीद की आयतों और हदीस ए मुबारका की रोशनी में तिजारत के फज़ाइल अहकाम और उसूल व आदाब जानेंगे साथ ही बुज़ुर्गान ए दीन के तजुर्बात और तिजारत के इंसानी व समाजी असरात को भी समझेंगे आइए पूरी तहरीर बगौर पढ़ें ताकि न सिर्फ इल्म में इज़ाफा हो बल्कि अगर आप तिजारत करते हैं तो आप अपना कारोबार भी इस्लामी तरीके से कर सकें और बरकात हासिल करें।

मुसलमान को हराम माल खाना जाइज़ नहीं

अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है, ऐ ईमान वालो आपस में एक दूसरे के माल नाहक न खाओ मगर यह कि कोई सौदा तुम्हारी बाहमी रज़ामंदी का हो। कंजुल ईमान। इस आयत से साफ मालूम होता है कि मुसलमान को हराम तरीके से माल हासिल करना जाइज़ नहीं चोरी सूद ब्याज़ जुआ रिश्वत मिलावट धोखाधड़ी झूठी कसम या किसी भी गैर शरई तरीके से हासिल किया गया माल बातिल और हराम है।

तिजारत और मुआमलात की अहमियत

शरीअत ए इस्लामिया ने तिजारत को बड़ी अहमियत दी है दीन ए इस्लाम हलाल कारोबार की हौसला अफज़ाई करता है और हर उस तरीके से मना करता है जिस में धोखा या फरेब हो। कुरआन मजीद में फरमाया गया और अल्लाह तआला ने हलाल किया बैअ खरीद व फरोख्त को और हराम किया सूद को। सूरतुल बक़रह आयत 275

यानी तिजारत हलाल है और सूद हराम।

बुज़ुर्गाने दीन और तिजारत

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एलान ए नुबुव्वत से पहले तिजारत फरमाते थे और पूरे अरब में सादिक और अमीन के नाम से मशहूर थे सहाबा ए किराम में भी बड़े बड़े ताजिर थे हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रज़िअल्लाहु अन्हु ताजिर थे हज़रत उस्मान गनी रज़िअल्लाहु अन्हु अरब के बड़े दौलतमंद ताजिर थे इमामे आज़म अबू हनीफा रज़िअल्लाहु अन्हु भी ताजिर थे और तिजारत से हलाल रिज्क कमा कर अपना और अपने अहल व अयाल का खर्च चलाते थे।

तिजारत सुन्नते रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद तिजारत की और उम्मत को इस पर अमल करने की तरगीब दी तो यह कारोबार सिर्फ मुआशरत का हिस्सा नहीं बल्कि सुन्नत ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बन गया इसलिए तिजारत में बेपनाह बरकत है।

तिजारत के नाम पर लूट

आज का अलमिया यह है कि तिजारत ईमानदारी से नहीं की जाती ग्राहक से धोखा मिलावट झूठ और नाप तौल में कमी आम हो चुकी है जबकि इस्लाम ऐसे कारोबार को हराम करार देता है।

इस्लामी तिजारत कुरआन व हदीस की रोशनी में

कुरआन मजीद में इरशाद है। ऐ पैगम्बरो पाकीज़ा चीज़ों में से जो चाहो खाओ और नेक अमल करो। सूरतुल मोमिनून आयत 51

इससे मालूम होता है कि नेक अमल हलाल रिज्क पर मौकूफ हैं जो शख्स हराम कमाएगा उसका अमल कबूल नहीं होगा।

सच्चे और अमानतदार ताजिर का मकाम

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सच्चा और अमानतदार ताजिर अंबिया सिद्दीक़ीन और शुहदा के साथ होगा। तिर्मिज़ी, क्या ही बड़ा मकाम है सच्चे ताजिर के लिए।

अल्लाह तआला पेशेवर मोमिन को पसंद करता है

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया अल्लाह तआला पेशेवर मोमिन को पसंद फरमाता है। तबरानी। यानी मेहनत कर के हलाल कमाना अल्लाह को पसंद है।

सब से अच्छी कमाई कौन सी

हदीस में आया सबसे अफज़ल कमाई वह है जो आदमी अपने हाथों से काम कर के कमाए और वह तिजारत जो ईमानदारी से हो। मुसनद अहमद

हराम कमाई का अंजाम

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया वह जिस्म जन्नत में दाखिल नहीं होगा जो हराम खुराक से पला हो। बैहकी, यानी हराम कमाई से इंसान खुद भी जहन्नमी बनता है और अपनी औलाद को भी जहन्नम की तरफ धकेलता है।

तिजारत करने के कुछ उसूल व ज़वाबित

1 माल की हद से ज्यादा तारीफ न करें

2 अगर माल ऐबदार है तो खरीदार को बताना ज़रूरी है

3 नाप तौल में कमी न करें

4 अस्ल कीमत छुपा कर धोखा न दें

5 ग्राहकों से नाजायज़ ज़्यादा मुनाफा न लें

ताजिर को कैसा होना चाहिए

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बेशक सबसे पाकीज़ा कमाई उन ताजिरों की है जो झूठ न बोलें खियानत न करें वादा पूरा करें और नाप तौल में कमी न करें। शोअबुल ईमान।

आखरी कलमात 

दोस्तों इस्लाम ने तिजारत को इबादत का दर्जा दिया है बशर्ते कि वह ईमानदारी सच्चाई और अमानतदारी के साथ की जाए आज के दौर में अगर मुसलमान इस्लामी उसूलों के मुताबिक तिजारत करें तो न सिर्फ दुनियावी तरक्की पाएंगे बल्कि आखिरत में भी अंबिया सिद्दीक़ीन और शुहदा के साथ होंगे। अल्लाह तआला हमें हलाल रोज़ी कमाने और अपनी तिजारत को शरीअत के मुताबिक करने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

इस्लामी तिजारत से मुताल्लिक सवाल-जवाब

सवाल 1: क्या इस्लाम में तिजारत (व्यापार) करना पसंदीदा अमल है?

जवाब: जी हाँ इस्लाम तिजारत को पसंद करता है बशर्ते कि वह ईमानदारी सच्चाई और अमानतदारी के साथ की जाए। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद तिजारत की और फरमाया कि सच्चा और अमानतदार ताजिर कियामत के दिन अंबिया और सिद्दीक़ीन के साथ होगा।

सवाल 2: कौन से तरीके की कमाई इस्लाम में हराम है?

जवाब: चोरी सूद (ब्याज) जुआ रिश्वत मिलावट धोखा झूठी क़सम या किसी भी गैर-शरई तरीके से कमाया गया माल हराम है। ऐसा माल खाना या खर्च करना जायज़ नहीं है।

सवाल 3: एक मुसलमान ताजिर को कारोबार में किन उसूलों का ख्याल रखना चाहिए?

जवाब: ताजिर को नाप-तौल में कमी नहीं करनी चाहिए माल की झूठी तारीफ नहीं करनी चाहिए ऐबदार चीज़ का ऐब बताना चाहिए अस्ल कीमत छिपा कर धोखा नहीं देना चाहिए और नाजायज़ मुनाफा नहीं लेना चाहिए।

सवाल 4: हलाल कमाई की अहमियत क्या है?

जवाब: हलाल कमाई से इंसान की दुआ कबूल होती है नेक अमल में बरकत आती है और आख़िरत में उसका दर्जा ऊँचा होता है। जबकि हराम कमाई से अमल कबूल नहीं होता और इंसान जहन्नुम का हकदार बनता है।

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