ज़ुबान इंसान को मिली एक अनमोल नेमत है जिससे वह मोहब्बत का इज़हार भी करता है और कभी-कभी नफ़रत का आगाज़ भी। इस ब्लॉग में जानिए इस्लामी नसीहतों की रोशनी में ज़ुबान का सही इस्तेमाल, मीठे और कड़वे बोलों का असर, और कैसे एक लहजा रिश्तों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है।
ज़ुबान इंसान को मिला एक अनमोल तोहफ़ा
ज़ुबान इंसान को अता किया गया एक अनमोल तोहफ़ा है यह सिर्फ़ अल्फ़ाज़ का ज़रिया नहीं बल्कि दिलों तक पहुंचने वाला पुल है इसी ज़ुबान से हम मोहब्बत का इज़हार करते हैं और इसी से कभी कभी नफ़रत का आगाज़ भी इसकी नर्मी रिश्ते बना देती है और इसकी तल्ख़ी वही रिश्ते तोड़ भी सकती है ज़ुबान वह ताक़त है जो किसी का दिल जीत सकती है या किसी के दिल को ज़ख़्मी कर सकती है यह अल्लाह की एक बड़ी नेमत है और यह हम पर है कि हम इसे कैसे बरतते हैं मीठे लहजे में या कड़वी बातों के साथ।
हमारी बोली हुई हर बात सिर्फ़ हवा में उड़ते अल्फ़ाज़ नहीं बल्कि असर छोड़ने वाले तीर हैं जो किसी का दिल भी जीत सकते हैं और ज़ख़्म भी दे सकते हैं।
ज़ुबान के असरात और इंसान की पहचान
इंसान तमाम मख़लूक़ात में अफ़ज़ल है उसकी सबसे बड़ी ख़ुसूसियत यह है कि उसे बोलने और अपने ख़्यालात के इज़हार की सलाहियत हासिल है यह अल्लाह की दी हुई बहुत बड़ी नेमत है लेकिन इस नेमत का इस्तेमाल दो तरीकों से होता है अच्छा बोलकर या बुरा बोलकर इन दोनों के असरात का फ़र्क इंसान की ज़िंदगी पर बहुत गहरा पड़ता है अगर इंसान के लहजे में रस हो तो उसके दो बोल भी काफी हैं इंसान को रहती है मुहब्बत की ज़ुबान याद।
मीठे बोल कामयाबी की कुंजी
इंसान दूसरे तमाम जानदारों के मुक़ाबले में कई इम्तियाज़ी ख़ुसूसियतों का हामिल है इनमें से एक यह कि इंसान को बोलने की सलाहियत हासिल है वह गुफ्तगू कर सकता है और अपने ख़्यालात व जज़्बात को अल्फ़ाज़ और जुमलों के ज़रिए पेश कर सकता है।
यह नेमत अगर अच्छे अंदाज़ में इस्तेमाल की जाए तो इंसान की शख्सियत निखर जाती है मीठे बोलने वाला हर दिल में जगह बना लेता है प्यारे और दिलकश अंदाज़ में नेक और बा मानी बातें करना सुनने वालों के दिलों में असर छोड़ देता है ऐसे अल्फ़ाज़ लोगों के दिलों को जोड़ते हैं और मोहब्बत को बढ़ाते हैं मीठी ज़ुबान इंसान को न सिर्फ़ दूसरों की नज़रों में बल्कि अल्लाह की नज़रों में भी प्यारा बना देती है।
कड़वी बातें और रिश्तों का बिखराव
ज़ुबान का दूसरा इस्तेमाल यह है कि इंसान अपने बोल में तल्ख़ी ला दे तुर्श और कड़वी बातें करे तंज़ करे दूसरों को ज़लील करे या गाली गलौज में लग जाए ऐसी ज़ुबान इंसान की इज़्ज़त को गिरा देती है रिश्ते बिखर जाते हैं दोस्त दुश्मन बन जाते हैं बोलने की यह सलाहियत अगर गलत रास्ते पर इस्तेमाल हो तो इंसान के लिए वबाल बन जाती है दुनिया में भी नुकसान उठाना पड़ता है और आख़िरत में भी बर्बादी का सबब बनती है।
अच्छा लहजा एक नेमत
एक हदीस का मफ़हूम है कि जो शख्स अपनी ज़ुबान और शर्मगाह की ज़मानत दे उसे जन्नत की ज़मानत दी जाती है अच्छा लहजा रखना हर इंसान के लिए फायदेमंद है एक छोटी सी मिसाल लीजिए एक शख्स हर रोज़ एक दुकान से सामान खरीदता है दुकानदार उसे हमेशा कम दाम में चीज़ देता है क्योंकि वह नरम लहजे में बात करता है उसकी गुफ्तगू में नर्मी और अदब होता है यही लहजा उसे दूसरों से अलग बनाता है अच्छे बोल न सिर्फ़ दूसरों को खुश करते हैं बल्कि हमारी शख्सियत में निखार लाते हैं इज़्ज़त बढ़ती है और ताल्लुकात लंबे अरसे तक कायम रहते हैं।
गुफ्तगू ज़र्फ का मेयार बताती है
चाहे कोई खुद को कितना भी महज़ब समझे लेकिन गुफ्तगू उसका असली ज़र्फ दिखा देती है बात करने के दो ही अंदाज़ होने चाहिए या तो तमीज़ से की जाए या दलील से वरना बकवास तो कोई भी कर सकता है इंसान की पहचान उसके चेहरे से नहीं बल्कि उसके लहजे और गुफ्तगू के अंदाज़ से होती है।
नतीजा और पैग़ाम
ज़ुबान इंसान की सबसे बड़ी और असरदार नेमतों में से एक है इससे निकलने वाले अल्फ़ाज़ या तो दिलों को जोड़ते हैं या रिश्तों को तोड़ते हैं अगर हम अपनी ज़ुबान को सही तरीके से इस्तेमाल करें मीठे बोल नरम लहजा और तमीज़ भरी गुफ्तगू को अपनी आदत बना लें तो लोग हमसे मुतास्सिर होंगे और अल्लाह तआला भी हमसे राज़ी होगा मीठी ज़ुबान एक ऐसा तोहफ़ा है जो बग़ैर कुछ खर्च किए दूसरों का दिल जीत लेती है लेकिन यही ज़ुबान अगर तल्ख़ हो जाए तो मोहब्बत को नफ़रत में और क़रीबी रिश्तों को अदावत में बदल देती है हमें हर लफ़्ज़ बोलने से पहले सोचना चाहिए क्या यह बात अल्लाह को पसंद आएगी क्या यह किसी का दिल दुखाएगी हमारा लहजा हमारे किरदार का आईना है हमें अपनी ज़ुबान को ऐसा बनाना है जिससे दुआ निकले मोहब्बत के फूल खिलें और नेकियों का सबब बने ऐ अल्लाह हमें ऐसी ज़ुबान अता फ़रमा जो तेरी रज़ा वाली हो हमारे लहजे में मिठास और अल्फ़ाज़ में हिकमत पैदा फ़रमा ताकि हम दूसरों के दिल जीत सकें और तुझसे क़रीब हो जाएं आमीन।