हज़ूर अलैहिस्सलाम अपनी उम्मत की हर नेकी और अमल को जानते हैं हदीस से साबित

नबी अलैहिस्सलाम का इल्म ए गैब हदीस की रौशनी में जानें और पढ़ें की हमारे हुज़ूर अपनी उम्मत की हर नेकी और अमल से वाकिफ़ हैं और जानते हैं।

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु दोस्तों, इस आर्टिकल में हदीस की रौशनी में यह बताने वाला हूं कि अल्लाह तआला की अता से हमारे हुज़ूर अलैहिस्सलाम अपने उम्मती के हर अमल और हर नेकी को जानते हैं। और यह भी जानते हैं कि किसकी कितनी नेकियां हैं। आइए हदीस मुबारका पढ़ें, अपने ईमान को ताज़ा करें और यह पैगाम अपने दोस्तों तक पहुंचाएं कि हमारे प्यारे नबी अलैहिस्सलाम अपनी उम्मत की हर नेकी और अमल से वाकिफ़ हैं।

हज़रत आयशा सिद्दीक़ा का सवाल और नबी का जवाब

उम्मुल मोमिनीन हज़रत सय्यिदतुना आयशा सिद्दीक़ा रज़ी अल्लाहु अन्हा बयान करती हैं कि एक मर्तबा चांदनी रात में जब रसूल ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का सर ए अनवर मेरी गोद में था, मैंने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह क्या किसी की इतनी नेकियाँ भी हैं जितने आसमान पर सितारे हैं। आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया हाँ वो उमर हैं जिनकी नेकियाँ आसमान के सितारों के बराबर हैं। फिर मैंने अर्ज़ किया मेरे वालिद अबू बकर की नेकियों का क्या हाल है। आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया उमर की तमाम नेकियाँ अबू बकर की एक नेकी के बराबर हैं। मिश्कात उल मसाबीह

हज़रत उमर और हज़रत अबू बकर की नेकियां

इस हदीस पाक में ग़ौर करें, कितना अहम सवाल है। क्योंकि तारे मुख़्तलिफ़ आसमानों पर हैं, पहले आसमान से लेकर सातों आसमान तक। कुछ इतने छोटे हैं जो आज तक देखने में नहीं आए और कुछ वो हैं जो आफ़ताब की रौशनी की वजह से नज़र नहीं आते। इसी तरह क़यामत तक मुसलमानों की नेकियाँ मुख़्तलिफ़ क़िस्म की हैं। कुछ बाज़ारों में, कुछ पहाड़ों में, कुछ अंधेरी रातों में, कुछ दिन की रौशनी में, कुछ ख़लवतों में और कुछ जलवतों में।

यह सवाल अर्श व फ़र्श के मुताल्लिक़ है और ज़ाहिर है कि दो चीज़ों की बढ़ाई और बराबरी वही बता सकता है जिसके सामने दोनों चीज़ें हों और जिसकी नज़र दोनों के हर फर्द पर हो। मालूम हुआ कि सय्यिदतुना आयशा सिद्दीक़ा का अकीदा यह था

सर ए अर्श पर है तेरी गुज़र
दिल ए फ़र्श पर है तेरी नज़र
मलकोत व मल्क में कोई शय नहीं
वो जो तुझ पे अयाँ नहीं

आला हज़रत

तबसिरा

हज़रत आयशा के जवाब में नबी अलैहिस्सलाम ने यह नहीं फ़रमाया कि मुझे क्या ख़बर कि क़यामत तक मेरी उम्मत कहाँ होगी और कितनी नेकियाँ करेगी, बल्कि बिला ताम्मुल फ़ौरन फ़रमाया हाँ एक शख़्स है जिसकी नेकियाँ आसमान के तारों के बराबर हैं और वो हैं जनाब उमर। उम्मुल मोमिनीन ने अर्ज़ किया मेरे वालिद जनाब सिद्दीक़ ए अकबर की नेकियों का क्या ख़याल है। फ़रमाया उनकी हिजरत की रात की ख़िदमत जनाब उमर की तमाम नेकियों से अफ़ज़ल है। मालूम हुआ  कि हज़ूर ए अनवर अलैहिस्सलाम अपने उम्मती की हर नेकी से ख़बरदार हैं। यह हैं ख़बर रखने वाले हमारे नबी।

नबी करीम अलैहिस्सलाम का इल्म ए गैब हदीसों से

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हज़ूर ए अनवर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया बेशक मैं उस शख़्स को जानता हूँ जो सबसे आख़िर में दोज़ख़ से निकलेगा और सबसे आख़िर में जन्नत में जाएगा। एक शख़्स दोज़ख़ से घिसटता हुआ निकलेगा। उसे अल्लाह तआला फ़रमाएगा जा जन्नत में दाख़िल हो जा। जब वह जन्नत के पास आएगा तो उसे ख्याल आएगा कि जन्नत तो भर चुकी है। वह लौटेगा और अर्ज़ करेगा ऐ बारी तआला वह तो भरी हुई है। अल्लाह तआला फ़रमाएगा जन्नत में दाख़िल हो जा। फिर वह जन्नत के पास आएगा और फिर यही सोचेगा कि वह भर चुकी है। फिर लौटेगा और अर्ज़ करेगा ऐ मेरे रब वह तो भरी हुई है। अल्लाह तआला फ़रमाएगा जा जन्नत में दाख़िल हो जा तेरे लिए दुनिया के बराबर हिस्सा है। तब वह बंदा अर्ज़ करेगा क्या तू मुझसे दिल्लगी करता है हालाँकि तू बादशाह है। हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद ने फ़रमाया मैंने रसूल ए अकरम अलैहिस्सलाम को हँसते हुए देखा कि आपकी दाढ़ें ज़ाहिर हो गईं। फिर फ़रमाया यह वह शख़्स होगा जिसे जन्नत में सबसे कम हिस्सा मिलेगा। बुख़ारी शरीफ

दोज़ख़ के हल्के अज़ाब का बयान

हज़रत सैय्यदुना नुअमान बिन बशीर रज़ी अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि मैंने हज़ूर ए अनवर अलैहिस्सलाम को फ़रमाते हुए सुना क़यामत के दिन दोज़ख़ियों में अज़ाब के लिहाज़ से सबसे हल्का अज़ाब पाने वाला वह शख़्स होगा जिसके दोनों पैरों के नीचे दो अंगारे रख दिए जाएँगे जिनसे उसका दिमाग़ खौल रहा होगा जिस तरह हाँडी और पतीली में पानी खौलता है। बुख़ारी शरीफ

ख़ुलासा

मालूम हुआ कि महबूब ए ख़ुदा अलैहिस्सलाम को दोज़ख़ में होने वाले मुआमलात का भी इल्म है। और हदीस ए मुबारका से यह भी वाज़ेह हो गया कि हमारे हुज़ूर अलैहिस्सलाम को हर चीज़ का इल्म है, हर चीज़ जानते हैं, और अपनी उम्मत की नेकी और अमल से वाक़िफ़ हैं अल्लाह तआला की अता से। अल्लाह तआला हमें मक़ाम ए मुस्तफ़ा अलैहिस्सलाम को समझने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन।

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