हमारे समाज की बहुत सी परेशानियों की जड़ एक ही है कि हम बुराई का जवाब बुराई से देते हैं जबकि कुरआन हमें सिखाता है कि बुराई को भलाई से टालो यही तरीका दिलों को जोड़ता है नफरतों को मिटाता है और दुश्मनों को दोस्तों में बदल देता है आज की यह पोस्ट इसी हुक्मे इलाही की रौशनी में है जो सूरह हामीम सज्दह की आयत नंबर 34 में बयान हुआ है
बुराई को भलाई के साथ दूर कर दो
आयते करीमा
वला तस्तविल हसनतु वलस्सय्यिअतु इद्फअ बिल्लती हिया अहसन फइज़ल्लज़ी बैनक व बैनहु अदावतुन का अन्नहु वलिय्युन हमीम
और नहीं बराबर भलाई और बुराई तुम बुराई को उस चीज़ से दूर करो जो बेहतर हो फिर वह शख्स जिसके और तुम्हारे दरम्यान दुश्मनी थी ऐसा हो जाएगा गोया वह जिगरी दोस्त है! सूरह हामीम सज्दह
तीन बुनियादी नुक्ते
1 हुक्म की नोइयत यह एक हुक्म है
2 हुक्म की शर्त इद्फअ बिल्लती हिया अहसन बेहतर तरीके से टालना
3 हुक्म का वादा दुश्मन जिगरी दोस्त बन जाता है
पहला नुक्ता यह एक हुक्म है आप्शन नहीं
अल्लाह तआला फरमाता है इद्फअ यानी टाल दो यह वाज़ेह और साफ हुक्म है अल्लाह का जैसे नमाज़ और रोज़े का हुक्म है अगर बुराई का जवाब बुराई से दिया जाए तो समाज में बुराई की लहर दौड़ जाएगी
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है
तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने भाई के लिए वही पसंद न करे जो अपने लिए पसंद करता है! सही बुखारी सही मुस्लिम
अगर हम अपने लिए बुराई का बदला नहीं चाहते तो दूसरे के लिए भी नहीं चाहना चाहिए यही हुक्म हमारे ईमान की तकमील के लिए है
दूसरा नुक्ता इद्फअ बिल्लती हिया अहसन बेहतरीन तरीके से टालना
यह सबसे बड़ा इम्तेहान है ग़ुस्से में आकर बुराई का जवाब देना आसान है मगर कुरआन कहता है बेहतर तरीके से टालो यही एहसान की ऊंची मंज़िल है
रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत से दो बेहतरीन मिसालें
ताइफ़ का वाक़िया
जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ताइफ़ गए तो लोगों ने आपको पत्थर मारे यहां तक कि जूते खून से भर गए जब जिब्रईल आए और पूछा कि क्या आप चाहें तो इन लोगों पर पहाड़ गिरा दूं तो आपने फ़रमाया ए अल्लाह मेरी क़ौम को हिदायत दे क्योंकि वे नहीं जानते यही इद्फअ बिल्लती हिया अहसन का असली मज़हर है
यहूदी औरत का वाक़िया
एक यहूदी औरत ने खाने में ज़हर मिलाया जब बात खुली तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसे माफ़ कर दिया यह हुस्ने अख़लाक ही था और एक बेहतरीन मिसाल है यह के बुराई का बदला भलाई से दो बुराई को भलाई से टाल दो
हमारी रोज़मर्रा ज़िंदगी में अमल
कोई गाली दे तो ख़ामोशी अख़्तियार करो
कोई बुरा कहे तो अच्छा जवाब दो
कोई धक्का दे तो रास्ता दे दो
कोई ग़लती करे तो दरगुज़र करो
कुरआन में इरशादे बारी तआला है
जो लोग ग़ुस्सा पी जाते हैं और लोगों को माफ़ कर देते हैं अल्लाह ऐसे नेक लोगों से मुहब्बत करता है!
सूरह आले इमरान
तीसरा नुक्ता वादा ए इलाही दुश्मन जिगरी दोस्त बन जाएगा
यह हुक्म सिर्फ नसीहत नहीं बल्कि इसके साथ अल्लाह का वादा भी है कि जो दुश्मन था वही दोस्त बन जाएगा
यह कैसे होता है
1 इंसानी नफ़्सियात जब कोई शख्स देखता है कि मैंने बुरा किया और उसने अच्छा किया तो उसके दिल में शर्मिंदगी पैदा होती है यही तौबा का पहला ज़ीना है
2 अल्लाह की मदद जब तुम अल्लाह के हुक्म पर अमल करते हो तो अल्लाह उस शख्स के दिल में तुम्हारे लिए नर्मी डाल देता है
हदीस शरीफ
हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
सदक़ा देने से माल में कमी नहीं आती दरगुज़र करने से अल्लाह इज़्ज़त बढ़ा देता है और जो अल्लाह के लिए आज़िज़ी अख़्तियार करता है अल्लाह उसके दर्जे बुलंद करता है! सही मुस्लिम
इख़्तितामी नसीहत
दोस्तों आज हमारे घरों में रंजिशें रिश्तों में दरारें दफ़्तरों में कशीदगी और समाज में अदावतें इसी लिए हैं कि हमने कुरआन के इस रहमत भरे उसूल को भुला दिया है
हम बुराई का जवाब बुराई से देने पर तुल जाते हैं मगर अल्लाह कहता है बुराई को भलाई से टाल दो यही हुक्म समाज में सुकून और मुहब्बत लाता है
आज अहद करें
घर में बीवी शौहर औलाद और माँ बाप की ग़लती माफ़ करेंगे
मुआशरे में पड़ोसी रिश्तेदार और दोस्तों से सुलह करेंगे
दफ़्तर में ग़लती पर शर्मिंदा करने के बजाय समझाने का तरीका अपनाएंगे
याद रखो यह रास्ता कमजोरी का नहीं बल्कि ताक़त और अज़मत का रास्ता है यही रास्ता अंबिया और सिद्दीक़ीन और औलिया किराम का रास्ता है
आखरी कलमात
अल्लाह तआला हमें इस अज़ीम कुरआनी हुक्म पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए
हमारे दिलों से कीना और बुग़्ज़ निकाल दे
हमारे सीने मुहब्बत और रहमत से भर दे
और हमें अपने दुश्मनों के दिल जीतने की हिकमत अता फ़रमाए
आमीन या रब्बल आलमीन
यह मज़मून कुरआन की रोशनी में इस्लामी अख़लाक और इंसानी रिश्तों की बेहतरीन तालीमात पर आधारित है इसे शेयर करें ताकि भलाई आम हो और नफरतें मिटें