रसूल ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी इंसानियत के लिए एक ऐसी रोशनी है जो हर दौर और हर ज़माने में इंसान को सही राह दिखाती है। अल्लाह तआला ने अपने प्यारे नबी को सिर्फ़ रहमत बनाकर नहीं भेजा बल्कि इंसानों को यह सिखाने के लिए भेजा कि असल इंसानियत क्या है और अच्छा अख़लाक़ किसे कहते हैं। कुरआन ए पाक में अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि और बेशक आप बुलंद अख़लाक़ वाले हैं। यह आयत अपने अंदर एक पूरा जहान रखती है। इसमें इंसान के लिए यह पैग़ाम है कि अगर वह असली कामयाबी चाहता है तो उसे अपने अख़लाक़ को रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अख़लाक़ के साँचे में ढालना होगा।
अख़लाक़ की अहमियत इस्लाम में
इस्लाम में अख़लाक़ की बुनियादी अहमियत है। अख़लाक़ सिर्फ़ अच्छे बर्ताव या मुस्कुराने का नाम नहीं बल्कि यह इंसान की पूरी ज़िंदगी का मिज़ाज है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मुझे अच्छे अख़लाक़ को मुकम्मल करने के लिए भेजा गया है। यानी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पूरी तालीमात की रूह ही अख़लाक़ है। जो शख़्स अपने अख़लाक़ को बेहतर बना लेता है वह असल में अपने ईमान को भी मुकम्मल कर लेता है।
आज अगर हम अपने समाज को देखें तो झगड़े, नफ़रतें, खुदगर्ज़ी और बे-इमानी का बाज़ार गर्म है। यह सब तब तक खत्म नहीं हो सकता जब तक इंसान अपने दिल और ज़हन में अख़लाक़ ए मुहम्मदी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जगह नहीं देता।
रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अख़लाक़ इंसानियत के लिए रहनुमा
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अख़लाक़ हर इंसान के लिए रहनुमा है। आप हमेशा दूसरों के साथ नरमी से पेश आते, अपने दुश्मनों को माफ़ कर देते और कभी किसी के साथ ज़ुल्म नहीं करते थे। जब ताइफ़ के लोगों ने आप पर पत्थर बरसाए तो आपने उनके लिए बददुआ नहीं की बल्कि यह दुआ की कि ऐ अल्लाह इन्हें हिदायत दे क्योंकि यह जानते नहीं।
आपके अख़लाक़ की यह बुलंदी ऐसी थी कि आपके दुश्मन भी आपकी सच्चाई का इकरार करते थे। जो लोग पहले आपसे नफरत करते थे वही आपके अख्लाक को देखकर आपके दीवाने बन गए। यही है वह अख़लाक़ जो इंसानियत को जोड़ता है और नफ़रतों को मिटा देता है।
अख़लाक़ और कामयाबी का असली रिश्ता
कामयाबी सिर्फ़ दौलत, ताक़त या शोहरत का नाम नहीं है। असली कामयाबी तो वह है जो इंसान को अल्लाह के करीब कर दे। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि क़ियामत के दिन मोमिन के पलड़े में सबसे भारी चीज़ उसका अच्छा अख़लाक़ होगा। यानी जिसकी ज़िंदगी में अच्छे अख़लाक़ होंगे वही अल्लाह के नज़दीक मक़बूल होगा।
अच्छे अख़लाक़ वाला इंसान दूसरों को सुकून देता है, समाज में अम्न और मोहब्बत फैलाता है। उसकी मौजूदगी खुद एक बरकत बन जाती है। ऐसे लोग ही उम्मत के बेहतरीन और ख़ूबसूरत लोग हैं और वही उम्मत को कामयाबी की राह पर ले जाते हैं।
आज की दुनिया में अख़लाक़ की ज़रूरत
आज की दुनिया में इंसान के पास इल्म भी है, तालीम भी है, दौलत और टेक्नोलॉजी भी है, लेकिन सुकून नहीं है। दिलों में बेचैनी और घरों में बेतरतीबी है। इसकी वजह यह है कि इंसान ने अपने अंदर के अख़लाक़ को भुला दिया है। अगर हम अख़लाक़ ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लें तो हमारे दिलों में मोहब्बत पैदा होगी, घरों में अमन होगा और समाज में इंसानियत की खुशबू फैलेगी।
अख़लाक़ का मतलब सिर्फ़ मीठी ज़बान या अच्छा सलूक नहीं बल्कि हर हाल में दूसरों के लिए भलाई चाहना है। अख़लाक़ का हक़ तब पूरा होता है जब इंसान अपने माँ-बाप से भी, अपने पड़ोसियों से भी, और यहां तक कि अपने दुश्मनों से भी इंसाफ़ करे।
रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अख़लाक़ ज़माने के लिए पैग़ाम
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अख़लाक़ सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए रहनुमा है। आपने अपने अख़लाक़ से यह बता दिया कि रहमत और नरमी से ही दिल जीते जा सकते हैं। जब मक्का फ़तह हुआ तो आपके पास पूरे शहर के दुश्मन खड़े थे लेकिन आपने सबको माफ़ कर दिया। यही वह अख़लाक़ है जो अम्न और मोहब्बत की बुनियाद रखता है। आज अगर दुनिया फिर से अमन चाहती है तो उसे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अख़लाक़ को अपनाना होगा।
आखरी बात
असली कामयाबी न तो दौलत में है न शोहरत में बल्कि अच्छे अख़लाक़ में है रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुम में सबसे बेहतर वह है जिसका अख़लाक़ सबसे अच्छा है। अगर आज मुसलमान इस इरशादे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अमल करले और अपने अख़लाक़ को सुधार ले तो पूरी उम्मत फिर से रोशन हो जाएगी और इंसानियत को वह अमन और सुकून मिलेगा जिसकी उसे तलाश है।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अख़लाक़ हर दौर में इंसानियत के लिए रहमत है। अगर हम सच में अमन, सुकून और कामयाबी चाहते हैं तो हमें अपने दिल, घर और समाज में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अख़लाक़ को नाफिज़ करना होगा।
आइए आज से इरादा करें कि हम अपने बर्ताव, बोल और सोच में वही नरमी, रहमत और सच्चाई लाएँगे जो हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें सिखाई।