mahfile meelad aur juloos mein गैर शरई आमाल से बचने की तालीमात

माहे रबीउल अव्वल की महफ़िलों और जुलूस में शरीअत के खिलाफ़ आमाल से कैसे बचें? पढ़ें हिदायात और मीलाद के सही उसूल।

माहे रबीउल अव्वल शरीफ़ में हर उस चीज़ से बचना चाहिए बल्कि अक़्लमंदी का तक़ाज़ा यह है कि जो बातें माहे रबीउल अव्वल शरीफ़ या महाफ़िले मीलाद में ग़ैर शरई नज़र आएँ उनको ख़त्म किया जाए और महाफ़िले मीलाद को ज़्यादा से ज़्यादा मक़ामात पर मुनअक़द किया जाए।

मीलाद और जुलूस में ग़ैर शरई उमूर की रोक थाम

जैसा कि काबा में बुतों के होने की वजह से वहाँ पर अल्लाह तआला की इबादत को मना नहीं किया गया था बल्कि उस बुराई यानी कि बुतों को दूर कर दिया गया लिहाज़ा अगर किसी जगह ख़िलाफ़े शरअ काम या बात नज़र आए तो आप उसकी रोक थाम के लिए मुनासिब इक़दाम करें मसलन किसी जगह म्यूज़िक के ज़रिए महफ़िले नअत सजाई गई हो तो उसको मना किया जाएगा और अगर ऐसा करना नामुमकिन या मुश्किल हो तो वहाँ जाने से परहेज़ करें इसी तरह औरतों का इतनी ज़ोर से नअत पढ़ना कि अजनबी मर्दों तक आवाज़ पहुँचे यह मना है औरतों की महफ़िले मीलाद में औरतों का बिला हिजाब बन संवर कर मूवी बनवाना फिर उसे मीडिया पर चलवाना जिसे हर शख़्स देखे और सुने सख़्त मना है और ग़ैरते मुस्लिम के मुख़ालिफ़ है महाफ़िले मीलाद को इतना तवील करना कि नमाज़ का वक़्त ही जाता रहे ना जाएज़ व हराम है हाँ अगर नमाज़ बा जमाअत का इहतिमाम हो तो कोई हरज नहीं महाफ़िले मीलाद में वक़्त की पाबंदी का ख़्याल रखा जाए ता कि लोग महफ़िले मीलाद में दिल जमाई के साथ शामिल रहें।

मीलाद शरीफ और अवाम की रहनुमाई

महाफ़िले मीलाद शरीफ़ में ख़िताब के लिए मुस्तनद आलिमे दीन बुलवाएँ ता कि वो अहादीस और मुस्तनद वाक़िआत अवाम तक पहुँचाएँ नामनहाद इस्कॉलर्ज़ पेशावर मुक़र्ररीन को हरगिज़ न बुलवाएँ महाफ़िले मीलाद चिराग़ाँ और नज़्रो नियाज़ के लिए मुसलमानों को डरा और धमका कर चंदा वसूल न करें बल्कि अहसन तरीक़े से लोगों को समझा कर फ़ंड माँगें जो फ़ंड दें उनसे ले लें जो न दें उनसे कुछ न कहें ख़ामोशी से लौट आएँ।

महफ़िल और जुलूस में अदब एहतराम और अमल

ऐसे रास्ते में महाफ़िले मीलाद का मुनअक़द करना जो कि अवामुन्नास की आम आमदोरफ़्त के लिए इस्तेमाल होता हो वहाँ रुकावट खड़ी कर के महाफ़िले मीलाद करना मकरूहे तहरीमी है कि हुक़ूकुल इबाद का मुआमला है महाफ़िले मीलाद में बुलंद आवाज़ से बे-दिरिग़ माइक और साउंड सिस्टम का इस्तेमाल करना कि अतराफ़ के घरों में बीमार बच्चे बूढ़े और नौकरी पेशा अफ़राद जिन को सुबह काम पर जाना होता है उनके आराम में ख़लल पड़े इससे बचना चाहिए  क्योंकि यह हुक़ूकुल इबाद का मुआमला है।

रबीउल अव्वल में गरीबों की मदद

इस मुआमले में क़ियामत के दिन पूछा जाएगा अगर महफ़िल करनी है तो आवाज़ कम से कम रखें और रात गए तक जारी न रखें यानी लम्बी रात तक जारी न रखें वक़्त पर ख़त्म कर दें  महाफ़िले मीलाद पाक में बावज़ू और अच्छे लिबास के साथ सर ढाँप कर शिरकत करें नअत शरीफ़ और ज़िक्रे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुतवज्जह हो कर सुनें और हमारी तवज्जोह न हों और हम अपने अमल से बे-एतिनाही और लापरवाही का मुज़ाहिरा कर रहे हों यह मुनासिब नहीं नज़्रो नियाज़ का इहतिमाम करें मगर आधी रक़म लिटरेचर की तक़सीम पर ख़र्च करें यानी बारहवीं वाले आक़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत पर मबनी रिसाले ईदे मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम या इस्लाम की शरई हैसियत के पैम्फ़्लेट और किताबचा ख़ूब तक़सीम करें ता कि लोग इल्म की दौलत से बहरामंद हों इस मुबारक पर मुसर्रत मौक़े पर ग़रीब व नादिर तुलबा की इमदाद करें  खाने पीने  कपड़े और ज़रूरियाते ज़िंदगी की तक़सीम का इहतिमाम करें ग़रीब बस्तियाँ जिस में यतीम मिस्कीन  बेवा औरतों और मुहताजों की बड़ी तादाद रहती है उनकी भरपूर मदद की जाए ता कि वो लोग भी इस ख़ुशी में शामिल हो जाएँ।

जुलूसे मुहम्मदी और एहतियाती तदाबीर

जलूसे मीलाद में ग़ैर शरई उमूर से बिलकुल इज्तिनाब करें संजीदगी का मुज़ाहिरा करें नियाज़ या लंगर फेंकने से परहेज़ करें इज़्ज़त के साथ शुरकाए जलूस के हाथों में दें ख़वातीन को हरगिज़ हरगिज़ जलूस में न लाएँ और वीडियोग्राफ़ी या फ़ोटोबाज़ी के गुनाह से इज्तिनाब करें जलूस के गश्त के दौरान नमाज़ का वक़्त हो जाए तो जलूस रोक कर बा-जमाअत नमाज़ अदा करें फिर आगे बढ़ें  अगर रात शब-बेदारी की वजह से नमाज़ या जमाअत फ़ौत हो जाने का इंदेशा हो तो शब-बेदारी न करें  और नमाज़ बा जमाअत का ख़ुसूसी ख़्याल रखें  चिराग़ाँ देखने के लिए भी ख़वातीन की आमदोरफ़्त को रोका जाए ता कि तमाशा न बने और लोग उसको बुनियाद बना कर मीलाद मनाने वालों पर ताना ज़नी न करें अल्लाह तआला हम सब को सही मानो में अदब के साथ मीलाद मनाने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।

जलूसे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और चंद एहतियाती तदाबीर

अहबाबे अह्ले सुन्नत व हामियाने मसलके आला हज़रत जलूस का परमिशन हासिल करें  साफ़ सुथरा लिबास पहनें जाएज़ ख़ुश्बू इस्तेमाल करें सर पर अमामा या टोपी पहनें दरूद, नअत और सलवात व सलाम का वर्द करते रहें मुस्लिम महल्ले ही से जलूस गुज़रे तो बेहतर है असरोरसूख़ रखने वाले अफ़राद आगे आगे रहें  डीजे से व दूसरी ग़ैर शरई चीज़ों से मुकम्मल परहेज़ करें नअत शरीफ़ बजाएँ या माइक पर पढ़ें लेकिन मज़ामीर की आवाज़ से परहेज़ करें और मज़ीद साउंड को बढ़ा कर रखने से भी एहतियात बरते कुछ रज़ा कार मुतअय्यन व मुक़र्रर हो जो माइक पर सवार हो कर जलूस के अव्वल ता आख़िर तक निगरानी करते रहें पुलिस प्रोटेक्शन भी हासिल करने की कोशिश करें  उलमा को जलूस में आगे आगे रखें  बहुत छोटे बच्चे बूढ़े और औरत जलूस में शरीक न हों  इलाक़े के सरकर्दा लोग ज़रूर जलूस में शरीक हों  कोई भी अहबाब भड़काऊ नारा न लगाएँ तक़रीर ज़िम्मेदार और संजीदा आलिमे दीन से करवाएँ जलूस में तयशुदा नज़्मोनसक़ के साथ ही चलने की कोशिश करें  अजनबी लोगों पर कड़ी नज़र रखें ता कि कोई भेष बदल कर फ़साद न कर दे जलूस सुबह निकाला जाए ता कि काम काज या दुकानों के खुलने वक़्त से पहले ही ख़त्म हो जाए और सड़क जाम करने की शिकायत न रहे जलूस के दौरान किसी ना समझ के हाथ में माइक न दें नारे का इंतिख़ाब जलूस से पहले ही कर लें और लिख कर दे दें तो बेहतर होगा  जलूस के इख़्तिताम पर पर शाशन की हौसला अफ़ज़ाई कर दें इमामे मसाजिद जुमा की तक़रीर में लोगों को जलूस के आदाब से आगाह कराएँ  जलूस कमेटी के अराकीं या जलूस निकालने वाले तमाम ज़िम्मेदार और तमाम एहतियाती तदाबीर क़ब्ले जलूस ही तय कर लें और उन पर सख़्ती से अमल पैरा हों  झंडे या और कोई चीज़ इतनी लम्बी न करें कि रास्ते में मौजूद बिजली (इलेक्ट्रिक) तार से टकराने का ख़तरा पैदा हो जाए जलूस में इस्तेमाल होने वाले झंडे और दूसरी चीज़ें जिन में मक़ामाते मुक़द्दसा का अक्स हो या मुक़द्दस तहरीरें  ख़्याल रहे कि हरगिज़ हरगिज़ उनकी बे-हुरमती होने न पाए परचम और झंडियाँ लगाते हुए सख़्त एहतियात करें कि वो नीचे गिर कर बाद में तौहीन का बाइस न बन सकें  मीलाद के नाम पर आतिशबाज़ी ढोल बाजे जैसे हराम उमूर को क़ुव्वते बाज़ू से मना करें तज़ईन व आराइश के लिए ज़बरदस्ती या मजबूर कर के किसी से चंदा वसूल न करें  इस मौक़े पर लंगर की तक़सीम का तरीक़ा कार इस इस तर्ज़ पर वज़अ करें हासिल करने में न कोई दुशवारी न किसी की तहक़ीर हो न रिज़्क़ की बे-अदबी हो।

दुआ और इख्तितामी अलफ़ाज़

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाहे आलिया में दुआ है कि हम सब सुन्नी सहीउल अक़ीदा मुसलमानों को सही मानो में आक़ाए करीम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादते बा-सआदत की ख़ुशियाँ शरीअते मुहम्मदिया के ऐन मुताबिक़ अदा करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए और जम्ला ख़ुराफ़ात व इश्तिरात से महफ़ूज़ फ़रमाए और अम्नो सुकून और हिफ़्ज़ोअमन अता फ़रमाए और हर बुराई का ख़ात्मा अता फ़रमाए आमीन या रब्बल आलमीन।

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