दीवारे कहकहा dilchasp maloomat

इस पोस्ट में हम दीवारे कहकहा के बारे में बात करने वाले हैं जो के एक रहस्यमयी ऐतिहासिक वाकिया है

इस पोस्ट में हम दीवारे कहकहा के बारे में बात करने वाले हैं जो के एक रहस्यमयी ऐतिहासिक वाकिया है तो आइये जानते हैं दीवारे क़हक़हा की हकीकत और उसका राज़ क्या है।

उंदलस का इतिहास

यूरोप के दक्षिण पश्चिम के कोने पर एक मुल्क हुआ करता था जिसका नाम उंदलस था और इस मुल्क पर मुसलमानों की हुकूमत लगभग आठ सौ बरस थी और इसके गवर्नर मूसा बिन नसीर थे और ये मुल्क बादशाह वलीद बिन अब्दुल मलिक के तहत था ये मुल्क आज भी है लेकिन दो हिस्सों में बट गया है एक का नाम स्पेन और दूसरे हिस्से का नाम पुर्तगाल है यूरोप के मौजूदा नक्शा में जहां स्पेन और पुर्तगाल दिखाया जाता है वही पुराने जमाने का उंदलस है।

दीवारे कहकहा की शुरुआत

कहा जाता है कि उंदलस के पश्चिमी मैदानों मैं बहरे जुल्मात के करीब जिन्नातों ने हजरत सय्येदेना सुलेमान अलैहिस्सलाम के लिए तांबे का एक शहर बनाया था जिसको अरबी जबान में मदीना तुल नोहास और आम बोलचाल में दीवारे कहकहा कहते हैं जिन्नातों का बनाया हुआ यह शहर बड़ा अजीब और गरीब है इस की फसील यानी शहरे पनाह ताम्बे की एक बहुत बड़ी चौड़ी बुलंद दीवार है जो शहर को चारों तरफ से घेरे है जब इस अनोखे शहर की खबर वलीद बादशाह तक पहुंची तो उसने अपने गवर्नर मुसा बिन नसीर को लिखा कि तुम दीवारे कहकहा के बारे में हालात मालूम करके मेरे पास भेजो।

खोज अभियान की शुरुआत

शाही फरमान पहुंचने पर गवर्नर मूसा बिन नसीर ने अपने वक्त के बड़े बड़े आलिम फाजिल हजरात को जमा किया जो कदीम पुरानी जबानों और तहरिरों के माहिर थे और फिर एक लश्कर तैयार किया और सब को साथ लेकर मदीना तुल नोहास की तरफ कूच कर दिया दुश्वार गुज़ार जंगलों पहाड़ों को तय करते हुए चालीसवीं दिन गवर्नर मूसा एक वसी बड़े मैदान मैं पहुंचे जहां बहुत से चश्मा लहलहाते सब्जा ज़ार और रंग बिरंगे गुल बूटे थे और जहां से मदीनतुन नोहास का किला नजर आ रहा था उन्होंने उसी मैदान में अपना पड़ाव डाला और सबको वहीं पर ठहरने का हुक्म दिया।

दीवारे कहकहा का राज़

सिपाहियों ने हुक्म की तामील की और हर तरफ केंप और खैमे तान दिए जब सफर की थकान दूर हो गई तो गवर्नर मूसा बिन नसीर ने 1000 आदमियों को मुंतखब करके उन पर एक अफसर मुंतखब किया और उसको हुक्म दिया कि अपने साथ उन आदमियों को लेकर मदीनतुन नोहास के करीब जाओ और उसकी शहरे पनाह के किनारे किनारे चारों तरफ घूम कर देखो के अंदर जाने के लिए दरवाजा कहां है वह अफसर 1000 आदमियों का दस्ता लेकर शहर पनाह के करीब पहुंचा और उसके किनारे किनारे घूम कर 6 दिन में चक्कर पूरा किया लेकिन उसे कहीं दरवाजा दिखाई ना पड़ा सातवीं दिन वह गवर्नर मूसा बिन नसीर की खिदमत में वापस आया और बताया कि मैंने शहर पनाह के चारों तरफ का मुकम्मल चक्कर लगाया है मगर दरवाजा का कहीं पता निशान नहीं है।

शहर में दाख़िल होने की कोशिशें

अब गवर्नर मूसा बिन नसीर ने अपने साथियों से पूछा कि ऐसे अजीब शहर के अंदरूनी हालात मालूम करने के लिए क्या रास्ता निकालना चाहिए महिंदसों इंजीनियरों ने अर्ज की के शहर पनाह की दीवार काटकर रास्ता निकालना तो बहुत दुश्वार है हां अगर हुक्म हो तो हम लोग सुरंग लगाकर जमीन के अंदर ही अंदर शहर में दाखिल होने का रास्ता बनाएं गवर्नर मूसा बिन नसीर ने ये तजवीज मंजूर की चूनांचे सुरंग खोदी गई लेकिन मकसद हासिल ना हुआ क्योंकी सुरंग खोदते खोदते पानी निकल आया और नीचे दीवार कि बुनियाद ख़तम होती नज़र ना आई फिर आपस में ये सलाह ठहरी के सीढ़ी के जरिए दीवार पर चढ़ कर शहर के अंदरूनी हालात मालूम किए जाएं।

पहली कोशिश और नाकामी

चुनांचे इस तजवीज के मुताबिक़ एक बहुत ही ऊंची सीढ़ी त्यार करके दीवार से लगा दी गई गवर्नर मूसा बिन नसीर ने ऐलान किया के जो शख्स इस सीढ़ी के जरिए दीवार पर चढ़ जाए और ख़ुदा ना खवास्ता हलाक हो जाए तो सरकारी खज़ाना से उसके बीवी बच्चों को रकम पैसा दिया जाएगा ऐलान सुनकर एक जवान आदमी हिम्मत करके दीवार पर चढ गया लेकिन जब उसने शहर कि तरफ निगाह की तो देखते ही उसने ज़ोर से कहकहा लगाया और शहर के अंदर ना कूदा तीन दिन और तीन रात शहर की तरफ ऐसी हैबत नाक और भयानक आवाज़ें आती रहीं जिन्हें सुनकर खौफ के मारे बदन के रोंगटे खड़े हो जाते थे लोगों ने उस आदमी का नाम लेकर बार बार पुकारा लेकिन शहर की तरफ से कोई जवाब ना आया।

दूसरी और तीसरी कोशिश

दूसरी दफा गवर्नर मूसा बिन नसीर ने ऐलान किया के अब जो शख्स दीवार पर चड़ेगा उसको अगर कुछ होता है तो उसके घर वालों को हजार दीनार दिए जाएंगे ये एलान सुनकर एक शेर दिल त्यार हुआ तो गवर्नर मूसा बिन नसीर ने उससे अहद ओ पेमान लिया के देखो पहले आदमी कि तरह ना करना बलके जो कुछ शहर मैं तुम्हें नजर आए फौरन हम लोगों को बता देना उसने खूब पक्का इकरार किया और इत्मीनान दिलाया और फिर जब वह दीवार पर चढ गया और उसे शहर नज़र आया तो कहकहा लगाना शुरू किया इधर उसके साथी उसे चीख चीख कर उसे आवाज देने लगे लेकिन उसने एक ना सुनी कहकहा लगाते और तालियां बजाते हुए वह शहर के अंदर कूद पड़ा अबकी मर्तबा पहले से भी बढ़कर मुहीब आवाज़ें आती रहीं।

आखिरी कोशिश और राज़

तीसरी मर्तबा गवर्नर मूसा बिन नसीर ने दीवार के ऊपर जाने के लिए दो हज़ार दीनार रुपए का ऐलान किया एक शेर मर्द निकला उसने कहा मैं चढ़ता हूं लेकिन मेरी क़मर में एक बहुत मज़बूत रस्सा बांध दिया जाए ताकि जब में शहर के अंदर कूदने की त्यारी करूं तो नीचे से रस्से को खींच लिया जाए शायद इस सूरत में कामयाबी हासिल हो फिर जब वो शेर दिल आदमी दीवार के उपर पहुंचा और उसे शहर नजर आया तो कह कहा लगाते हुए उसने भी शहर की तरफ कूदने का इरादा किया इधर साथियों ने रस्सा खींचना शुरू किया थोड़ी देर बड़ी कश्म कश रही वह शहर की तरफ खींचता रहा और उसके साथी अपनी तरफ खींचते रहे इस खींचा तानी में उसका आधा जिस्म शहर के अंदर जा गिरा और आधा जिस्म उसके साथियों के तरफ आ गया ये आख़री कोशिश थी जो गवर्नर मूसा बिन नसीर ने हालात मालूम करने के लिए अंजाम दी फिर ना चार होकर सबको वापस लौटने का हुक्म दिया और दीवार ए कह कहा का हाल दुनिया वालों के लिए सर बस्ता राज़ ही रह गया।

आखरी कलमात

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