अस्सलामु अलैकुम दोस्तों: दुआ करना, दुआ के लिए कहना, दुआ करवाना, आज इस टॉपिक पर मेरी गुफ्तगू का उन्वान है हमें चाहिए के हम अल्लाह से दुआ करें और दुआ के लिए किसी नेक इन्सान से भी कहना चाहिए के वह हमारे लिए दुआ करे और मां बाप पीर उस्ताद मुसलमान भाई से दुआ करवा लेना चाहिए!
अल्लाह से दुआ करना
कुरान मजीद सुरह बकरह में अल्लाह तआला फरमाता है, "दुआ कुबूल करता हूँ पुकारने वाले की जब मुझे पुकारे" (सुरह बकरह) और हदीस शरीफ में आता है के अल्लाह से जो दुआ नहीं करता अल्लाह उससे नाराज़ होता है और जो अल्लाह से दुआ करता है अल्लाह उससे खुश होता है! लिहाज़ा हमें अल्लाह से दुआ करते रहना चाहिए, अल्लाह की बारगाह में तौबा इस्तिग्फार करते रहना चाहिए अल्लाह अज़ व जल्ल से दुनिया और आखिरत में आफियत की दुआ करना चाहिए! हदीस शरीफ में है के जब बन्दा अल्लाह के हुज़ूर दुआ के लिए हाथ उठाता है तो उन उठे हुए हांथों को खाली लौटाते हुए हया करता है! यह मेरे रब का करम है के बन्दा अल्लाह से दुआ करता है तो अल्लाह बन्दे को खाली हाथ नहीं लौटाता बलके उसकी दुआ को कुबूल फरमाता है! यहाँ एक वाकिया भी पढ़ें के एक औरत जिसकी आँखों की बीनाई चली गई थी किसी नेक और सालेह शख्स ने कहा मक्का शरीफ चले जाओ इधर उधर मारे मारे क्यू फिरते अल्लाह से रुजू करो उमरह करो ज़मज़म पियो और अल्लाह से दुआ करो के वोह इस औरत की आँखों की रौशनी लौटा दे चुनांचे मक्का शरीफ पहुँच कर औरत ने काबा शरीफ में खूब दुआ की इल्तेजायें की रोरोकर अल्लाह से दुआ की फिर क्या था औरत बे होश होकर फर्श पर गिर पड़ी और जब होश आया तो सामने अपनी आँखों से काबा शरीफ देखा उसके आँखों की रौशनी वापस आ चुकी थी! बस यह याद रखें के जब भी दुआ करें दिल से दुआ करें!
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किसी से दुआ करवाना
एक मुसलमान अपने दुसरे मुसलमान भाई के लिए दुआ करता है तो अल्लाह इस अमल को बहुत पसंद फरमाता है और इतना पसंद फरमाता है के इस का ज़िक्र कुरान मजीद में इसका ज़िक्र रख दिया चुनांचे कुरान करीम में है "जो लोग इसके बाद आये वह दुआ मांगते हैं ए हमारे रब हमें भी बख्श और हमारे उन भाइयों को भी जो ईमान के साथ पहले गुज़र चुके हैं" (सुरह हश्र) और हदीस शरीफ में है के जब हज़रात उम्र फारुक रदी अल्लाहु अन्हु उमरह के लिए जा रहे थे तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ए मेरे भाई हमें भी अपनी दुआओं में याद रखना हमें भूलना जाना! दोस्तों गौर करें के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत उमर रदी अल्लाहु अन्हु से फरमा रहें हैं हमें अपनी दुआओं में याद रखना दोस्तों तो बताओ क्या नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हज़रत उमर की दुआ की ज़रुरत है, हरगिज़ नहीं! हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस अमल मुबारक से अपनी उम्मत को यह सबक दे रहें हैं के अपने लिए किसी नेक शख्श से दुआ करवा लेना चाहिए !
नेक इंसान से दुआ के लिए कहना
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद हज़रत उमर रदी अल्लाहु अन्हु से फ़रमाया ए उमर जब यमन में तुम्हारी मुलाक़ात ओवैस करनी से हो तो अपने लिए दुआ करा लेना" तो इससे यह साबित हो गया के दुसरे को दुआ के लिए कहना यह जाइज़ है" लिहाज़ा पीर अपने मुरीद के लिए दुआ करे, उस्ताद अपने शागिर्द के लिए दुआ करे माँ बाप औलाद के लिए, औलाद माँ बाप के लिए, बहन भाई के लिए दुआ करे! एक दुसरे के लिए दुआ करें और किसी को बद्दुआ ना दें!
दुआ लें बद्दुआ से बचें
दोस्तों हमें दुआ लेनी चाहिए बद्दुआ से बचना चाहिए यहाँ यह भी याद रखें के किसी मुसलमान के लिए बद्दुआ नहीं करना चाहिए हमें चाहिए के हम किसी मुसलमान भाई के लिए बद्दुआ न करें और ऐसा काम भी नहीं करना चाहिए के सामने वाले के मुंह से बद्दुआ निकले दुआ ए ज़रर निकले के किसी को इतना न सताओ इतना परेशान न करो किसी पर बोहतान न लगाओ किसी पर इलज़ाम ना लागाओ के आपके सताने से परेशां करने से बोहतान और झूठा इलज़ाम लगाने से उसका दिल टूट जाए और उसके मुन्ह से तुम्हारे लिए बद्दुआ निकले याद रखें के बद्दुआ भी असर रखती है! यहाँ पर एक वाकिया पढ़ें और देखें बद्दुआ का असर! सहाबी ए रसूल हज़रत सईद इब्ने ज़ैद रदी अल्लाहु अन्हु पर एक औरत ने इलज़ाम लगाया ज़मीन के क़ब्ज़ा का हज़रत सईद इब्न ज़ैद जो सहाबी ए रसूल हैं जिन्होंने अपनी सारी ज़िन्दगी सुन्नत ए रसूल पर अमल करते हुए गुजारी कुरान ओ सुन्नत पर अमल करते रहे शरीअत के मुताबिक ज़िन्दगी गुज़ारते रहे, जब एक औरत ने झूठा इल्ज़ाम लगाया, आपका दिल टूट गया वह औरत थी उससे क्या कहते आपने अपने हाथ अल्लाह की बारगाह में उठा दिए और अल्लाह की बारगाह में अर्ज़ किया या अल्लाह अगर यह औरत झूटी है तो यह आँख से अंधी हो जाए और इसकी कबर इसके घर में ही बने लोगों ने देखा के वह औरत आँखों से अंधी हो गई और घर में इधर से उधर हाथ मारती फिरती थी एक वक़्त ऐसा आया के उसके घर में एक गहरा कुआं था वह और उस कुएं मैं गिर गई और वहीँ मर गई उसकी कबर उसके घर में ही कुएं में बन गई!
लिहाज़ा हमें दुआ लेनी चाहिए और बद्दुआ से बचना चाहिए अल्लाह हम सबको दुनिया और आखिरत में खैर ओ आफियत अता फरमाए!