अच्छी ज़िन्दगी का राज़ आमाल ए सालेहा हर इंसान की दिली ख्वाहिश यही है कि उसकी ज़िन्दगी चैन और सुकून से गुज़रे। वह एक अच्छी आरामदेह ज़िन्दगी जी सके। इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कोई मेहनत मज़दूरी करता है तो कोई नौकरी या कारोबार। हर कोई इसी जद्दोजहद में लगा है कि कैसे उसकी ज़िन्दगी बेहतर हो सके।
लेकिन क्या सिर्फ पैसा कमा लेने से ऐशो आराम का सामान जुटा लेने से सच्चा सुकून और इत्मीनान हासिल हो जाता है? तजुर्बा बताता है कि ऐसा नहीं है। दुनिया के इन तरीकों से सच्ची राहत सुकून और इत्मीनान नसीब नहीं होता, और न ही हो सकता है।
अच्छी ज़िन्दगी कैसे हासिल हो
तो फिर सवाल यह उठता है कि अच्छी ज़िन्दगी हासिल करने का तरीका क्या है?
इस सवाल का जवाब हमें अपने रब की किताब कुरान मजीद से मिलता है। अल्लाह तआला सूरह अन-नहल की आयत नंबर 97 में इरशाद फरमाता है।
मन अमिला सालेहम मिन ज़कारिन अव उन्सा व हुवा मुमिनुन फला नुहय्यिन्नहू हयातन तय्यिबतन व ल-नज्ज़ियन्नहुम अज्रहुम बि-अहसने मा कानू यअमलून।
तर्जुमा जो अच्छा काम करे मर्द हो या औरत और हो मुसलमान तो ज़ुरूर हम उसे अच्छी ज़िन्दगी जिलाएंगे और ज़ुरूर उन्हें अज्र देंगें बसबब उनके अच्छे आमाल के।
आयत से मिलने वाला सुनहरा सबक
इस आयत में अल्लाह पाक ने अच्छी ज़िन्दगी हासिल करने का सीधा और साफ़ फॉर्मूला बता दिया है। यह फॉर्मूला दो चीज़ों पर है।
1. ईमान इंसान का मोमिन होना यानी अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर सच्चे दिल से यकीन रखना।
2. आमाल ए सालेहा नेक और अच्छे काम करना। यानी अल्लाह और उसके रसूल के बताए हुए हुक्मों पर चलना।
इन दो चीज़ों का नतीजा अल्लाह ने खुद यह बताया है कि हम उसे पाकीज़ा ज़िन्दगी (हयातन तय्यिबा) से नवाज़ेंगे। यही वह चैन और सुकून है जिसकी तलाश हर इंसान को है।
अच्छी ज़िन्दगी पाने के लिए कुछ ठोस कदम
तो आइए, इस फॉर्मूले को अपनी ज़िन्दगी में नाफ़िज़ करने के लिए नेक आमाल करें आमाले सालेहा की पाबंदी करें।
नमाज़ की पाबन्दी, पाँच वक्त की नमाज़ को उसके वक़्त पर और बजमात अदा करने की कोशिश करें। यह दिनभर में अल्लाह से सीधा ताल्लुकात का वक़्त है।
हलाल रोज़ी, हलाल तरीक़े से कमाई करें और हलाल खाएं-पिएं। हराम की कमाई और खानपान दिल की बेचैनी का सबब बनते हैं।
माँ बाप की खिदमत, उनके साथ अच्छा सुलूक करें और उनकी खिदमत करे और उनकी ज़रुरतों को पूरा करे।
सच्चाई और अमानतदारी, हर हाल में सच बोलें और अमानत में खयानत न करें। यह इंसान का सबसे बड़ा गहना है।
कुरान की तिलावत, खाली वक़्त में कुरान पढ़ें और उसके मतलब को समझने की कोशिश करें।
ज़बान की हिफ़ाज़त, इस बात का खास ख्याल रखें कि ज़बान से कोई गाली गलोच झूठ चुगली या गीबत न निकले। आजकल लोग हँसी मज़ाक में भी गाली दे देते हैं और इसे बुरा नहीं समझते जबकि यह एक बहुत ही बुरी आदत है।
एक मिसाल गाली से परहेज़
हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के एक सहाबी का वाकिया है। एक देहाती सहाबी आपकी खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया,या रसूलल्लाह, मुझे कुछ नसीहत फरमाइए आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया किसी को गाली न देना।
इस एक नसीहत को उन सहाबी ने इतनी पक्की तौर पर अपनाया कि हुज़ूर के हुक्म की तामील किस क़दर की के उन सहाबी ने रावी बयान करते हैं के मरते दम तक इंसान तो इंसान किसी जानवर को भी गाली नहीं दी!
यह है हुक्म पर अमल की मिसाल। अगर हम भी अपनी ज़बान को गाली और बुराई से बचाए रखें तो यह हमारे दिल के सुकून को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होगा।
दुआ है कि अल्लाह तआला हम सभी को आमाल ए सालेहा (नेक काम) करने की तौफीक़ अता फरमाए और अपने रहम व करम से हमें दुनिया और आखिरत दोनों में अच्छी ज़िन्दगी नसीब फरमाए। आमीन।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल अच्छी ज़िन्दगी का सफर
क्या अच्छी ज़िन्दगी का मतलब सिर्फ पैसा और ऐशो आराम है?
जी नहीं। पैसा और सहूलियात ज़िन्दगी का एक हिस्सा हैं, लेकिन वे दिल को सच्चा सुकून और इत्मीनान नहीं दे सकते। अच्छी ज़िन्दगी का मतलब है दिल का पुर सुकून और मुत्मइन रहना,चाहे हालात कैसे भी हों। यह चैन और सुकून ईमान और नेकी से ही मिलता है।
क्या नौकरी, कारोबार या मेहनत मज़दूरी करना ग़लत है?
बिल्कुल भी नहीं। यह सब हलाल रोज़ी कमाने के जायज़ तरीके हैं। ग़लत सिर्फ इतना है कि इन्हें ही ज़िन्दगी का एकमात्र मकसद समझ लेना और इन्हीं में इतना उलझ जाना कि अल्लाह के हुक्म और आखिरत भुला दें। हमें दुनिया की कमाई के साथ-साथ अपनी आखिरत की कमाई पर भी ध्यान देना चाहिए।
आमाल ए सालेहा या नेक अमल से क्या मतलब है? क्या यह सिर्फ नमाज़-रोज़ा है?
नमाज़-रोज़ा नेक अमल का एक बहुत अहम हिस्सा है सिर्फ यह ही नहीं बलके नेक अमल में हर वह अच्छा काम शामिल है जो अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ हो माँ-बाप की खिदमत करना ईमानदारी से कमाई करना सच बोलना लोगों की मदद करना अपनी ज़बान और हाथ से दूसरों को नुकसान न पहुँचाना ये सभी नेक अमल हैं।
क्या दुनिया की कोशिश मेहनत और आखिरत की कोशिश नेक अमल एक साथ कर सकते हैं?
जी हाँ बिल्कुल यही तो सही तरीका है आप दुनिया की हलाल कमाई के लिए पूरी मेहनत करें लेकिन उस कमाई को हलाल तरीके से खर्च करें ज़कात दें और अपनी नमाज़ और दूसरे फर्ज़ भी बजा लाएँ। इस तरह आपकी दुनियावी कोशिश भी एक इबादत बन जाती है।
