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riyakari vs ikhlas islam mein niyat ki अहमियत और कुरानी हिदायत - कुरान और हदीस से जानिए


इख्लास का मानी 

इख़्लास 
इख़्लास ख़ालिस से बना है। जिस चीज़ की आमेज़िश का शुबहा हो जब वह उससे साफ़ हो जाए तो उसको ख़ालिस कहते हैं। यानी जो चीज़ मिलावट से पाक हो। अल्लाह तबारक व तआला की इबादत में इख़्लास का मतलब यह है कि अल्लाह तबारक व तआला की इबादत सिर्फ़ उसकी रज़ामंदी या उसके हुक्म की फ़रमाबरदारी की नीयत से की जाए। उसमें किसी को दिखाने या सुनाने की नीयत न हो और न ही इस काम पर अपनी तारीफ़ सुनने की ख़्वाहिश हो। इख़्लास की हक़ीक़त यह है कि बंदा अल्लाह तबारक व तआला की परस्तिश और उसकी रज़ा जोई के सिवा हर एक की परस्तिश और उसकी रज़ा जोई से बरी हो जाए। 

इख़्लास के मुतअल्लिक़ कुरान मजीद की आयात मुबारकह

व मा उमिरू इल्ला लियअबुदुल्लाह मुख़्लिसीना लहुद्दीन (अल-बय्यिना: 5) और उनको सिर्फ़ यह हुक्म दिया गया है कि वह अल्लाह तबारक व तआला की इबादत करें, इख़्लास के साथ उसकी इताअत करते हुए। 
इन्ना अन्ज़ल्ना इलैकल किताबा बिल्हक्कि फ़अबुदिल्लाह मुख़्लिसन लहुद्दीन, अला लिल्लाहिद्दीनुल ख़ालिस (अज़-जुमर:2-3) "बे-शक हमने आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की तरफ़ हक़ के साथ किताब नाज़िल फ़रमाई है सो आप अल्लाह (तबारक व तआला) की इबादत कीजिए इख़्लास के साथ उसकी इताअत करते हुए। सुनो! अल्लाह (तबारक व तआला) ही के लिए दीन ख़ालिस है। 
इन्नल मुनाफ़िक़ीना फ़िद दरकिल अस्फ़ली मिनन्नारि वलन तजिद लहुम नसीरन इल्लल्लज़ीना ताबू व अस्लहू वअतसमू बिल्लाहि व अख़्लसू दीनहुम लिल्लाहि फ़उलाइका मअल मोमिनीन (अन-निसा: 145-146) "बे-शक मुनाफ़िक़ीन दोज़ख़ के सबसे निचले तबक़े में होंगे और (ऐ मुखातिब !) तू उनके लिए कोई मददगार नहीं पाएगा। सिवा उन लोगों के जिन्होंने तौबा की और नेक काम किए और अल्लाह (तबारक व तआला) के साथ मज़बूत तअल्लुक़ क़ायम किया और उन्होंने इख़्लास के साथ अल्लाह (तबारक व तआला) की इताअत की सो वह लोग ईमान वालों के साथ होंगे।

इख़्लास के मुतअल्लिक़ अहादीस मुबारकह 

इक़रार तौहीद 
हज़रत सैयदना अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के खातमुन्नबिय्यीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जो शख़्स इस हाल में दुनिया से रुख़्सत हुआ कि वह अल्लाह तबारक व तआला वहदहू ला-शरीक के साथ इख़्लास पर था और उसकी इबादत में किसी को शरीक नहीं करता था और नमाज़ क़ायम करता था और ज़कात अदा करता था तो वह इस हाल में मरा कि अल्लाह तबारक व तआला जल शानह उस पर राज़ी था। 
वसीयत मुबारकह 
हज़रत सैयदना मुआज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के जब उन्हें यमन की तरफ़ भेजा गया तो उन्होंने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम !) मुझे वसीयत फ़रमाइए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः इख़्लास के साथ अल्लाह तबारक व तआला जल मज्दहुल करीम की इताअत करो तुम्हें कम अमल भी काफ़ी होगा।

अमल अल्लाह अज़्ज़ व जल के लिए 

हज़रत सैयदना ज़हाक बिन कैस रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं शफ़ीउल मुज़निबीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अल्लाह तबारक व तआला इरशाद फ़रमाता है मेरा कोई शरीक नहीं है जिसने मेरे साथ किसी को (अमल में) शरीक किया फिर वह (अमल) मेरे शरीक के लिए है ऐ लोगो ! अल्लाह तबारक-व-तआला के लिए इख़्लास के साथ अपने अमल बजा लाओ क्योंकि अल्लाह तबारक व तआला उन्हीं अमल को क़बूल फ़रमाता है जो ख़ालिस उसके लिए हों और यह न कहो कि यह अमल अल्लाह सुब्हानह के लिए है और रिश्तेदारों के लिए क्योंकि फ़िर वह अमल रिश्तेदारों ही के लिए है और अल्लाह तबारक-व-तआला के लिए वह अमल बिल्कुल नहीं है और यह न कहो कि यह तुम्हारी ख़ातिर है क्योंकि फ़िर वह तुम्हारी ही ख़ातिर है और अल्लाह तबारक-व-तआला के लिए बिल्कुल नहीं है। 

अम्र का तालिब 

हज़रत सैयदना अबू उमामा बाहिली रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के एक शख़्स इमामुल अम्बिया हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया और अर्ज़ किया एक आदमी जिहाद करता है वह अज्र का भी तालिब है और शोहरत का भी तालिब है। हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः उसके लिए कोई अज्र नहीं है। उसने तीन बार सवाल दुहराया और नबी रहमत हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन बार यही जवाब फ़रमाया कि उसके लिए कोई अज्र नहीं है। फ़िर फ़रमायाः बे-शक अल्लाह तबारक व तआला इस अमल को क़बूल फ़रमाता है जो ख़ालिस उसके लिए हो और उस अमल से सिर्फ़ उसकी ज़ात का इरादा किया गया हो। 

तीन औसाफ़ 

हज़रत सैयदना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के सरकारे कायनात हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जिस मुसलमान में यह तीन औसाफ़ हों उसके दिल में कभी ख़ोट (कीना और फ़साद नहीं होगा। उसके अमल में अल्लाह तबारक-व-तआला के लिए इख़्लास हो वह अइम्मा मुस्लिमीन के लिए खैर ख़्वाही करे और मुसलमानों की जमाअत के साथ लाज़िम रहे। 

ज़ईफ़ लोग 

हज़रत सैयदना मुसअब बिन सअद रज़ियल्लाहु अन्हु अपने वालिद से रिवायत करते हैं कि सैय्यिद कायनात हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अल्लाह तबारक व तआला जल मज्दहुल करीम इस उम्मत के ज़ईफ़ लोगों की दुआओं उनकी नमाज़ों और उनके इख़्लास की वजह से इस उम्मत की मदद फ़रमाता है। 
इख़्लास का समरह 
हज़रत सैयदना अबू दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के सरवरे कौनैन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अल्लाह तबारक व तआला की इबादत इख़्लास के साथ करो। पाँच (फ़र्ज़) नमाज़ें पढ़ो और अपने अमवाल की ज़कात ख़ुशी से अदा करो। अपने महीना (रमज़ानुल मुबारक) के रोज़े रखो अपने बैत (काबा) का हज्ज करो (और) अपने रब की जन्नत में दाखिल हो जाओ।

अमल का दारोमदार किस पर 

अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के मैंने सैय्यिद कौनैन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फ़रमाते हुए सुना है कि अमाल का मदार सिर्फ़ नीयत पर है। हर शख़्स के अमल का वही समरह है जिस की उसने नीयत की है तो जिस शख़्स की हिजरत अल्लाह तबारक व तआला जल शानह और उसके प्यारे महबूब आख़िरी रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ़ है तो उसकी हिजरत अल्लाह तबारक व तआला वहदहू ला-शरीक उसके प्यारे महबूब आख़िरी रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ़ है और जिस शख़्स की हिजरत दुनिया की तरफ़ हो जिस को वह पाए या किसी औरत की तरफ़ हो जिस से वह निकाह करे तो अल्लाह तबारक-व-तआला के नज़दीक उसकी हिजरत उसी की तरफ़ है जिस की उसने नीयत की है। 

रज़ाए इलाही के बगैर अमल 

हज़रत सैयदना उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के सैय्यिदुल कौनैन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः क़यामत के दिन मेरी उम्मत के तीन गिरोह होंगे। एक गिरोह उन लोगों का होगा जिन्होंने ख़ालिस अल्लाह तबारक व तआला जल शानह के लिए इबादत की होगी। एक गिरोह उन लोगों का होगा जिन्होंने दिखावे के लिए अल्लाह तबारक व तआला की इबादत की होगी। और एक गिरोह उन लोगों का होगा जिन्होंने दुनिया के लिए अल्लाह तबारक व तआला की इबादत की होगी। तो जिसने दुनिया के लिए अल्लाह तबारक व तआला की इबादत की होगी उस से अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तूने मेरी इबादत से किस चीज़ का इरादा किया था? वह कहेगा दुनिया का। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा यक़ीनन जिस चीज़ को तूने जमा किया था उसने तुझ को नफ़ा नहीं दिया उस को दोज़ख़ में ले जाओ और जिसने रियाकारी के लिए इबादत की थी उस से अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तेरी इबादत सिर्फ़ रियाकारी के लिए थी उस में से मेरी तरफ़ कोई चीज़ नहीं पहुँची और वह रिया तुझे आज नफ़ा भी न देगा उस को दोज़ख़ में ले जाओ और जिसने ख़ालिस अल्लाह तबारक-व-तआला के लिए इबादत की थी, उस से फ़रमाएगा तूने मेरी इबादत करने से जिस चीज़ का इरादा किया था वह शख़्स कहेगा तेरी इज़्ज़त और जलाल की क़सम ! तू ज़रूर मुझ से ज़्यादा जानने वाला है।मैं तेरी रज़ा जोई और जन्नत के लिए इबादत करता था। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा मेरे बंदे ने सच कहा उस को जन्नत की तरफ़ ले जाओ। 

अल्लाह के लिए अमल 

हज़रत सैयदना अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के जब क़यामत के दिन मुहर-ज़दा नामा-ए-अमल लाए जाएँगे अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा इस सहीफ़ा को क़बूल कर लो और इस सहीफ़ा को छोड़ दो। फ़रिश्ते कहेंगे तेरी इज़्ज़त की क़सम ! हमने वही लिखा है जो इस ने अमल किया है। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तुमने सच कहा (लेकिन) इस का अमल मेरी ज़ात के लिए नहीं था। आज मैं सिर्फ़ उसी अमल को क़बूल करूँगा जो मेरी ज़ात के लिए किया गया होगा। 

शैतान का काम 

हज़रत सैयदना अबू दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के सैय्यिदुल कौनैन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः किसी नेक अमल को बाक़ी रखना नेक अमल करने से ज़्यादा दुश्वार है। एक शख़्स तनहाई में कोई नेक अमल करता है तो उस का अज्र सत्तर गुना लिख दिया जाता है। फ़िर शैतान उस को बहकाता रहता है यहाँ तक कि वह उस अमल का लोगों से ज़िक्र करता है और उस का इलान कर देता है। फ़िर उस की वह नेकी (मख़फ़ी नेकियों के बजाए) ज़ाहिर नेकियों में लिख दी जाती है और तनहाई में अमल करने की वजह से उस का ज़्यादा अज्र था वह कम कर दिया जाता है और शैतान उस को मुसलसल वर्गलाता रहता है यहाँ तक कि वह चाहता है कि उस की इस नेकी का ज़िक्र किया जाए और इस नेकी पर उस की तारीफ़ की जाए। फ़िर उस के अमल को ज़ाहिरी नेकियों से भी काट दिया जाता है और यह लिख दिया जाता है कि उस ने यह अमल रियाकारी के तौर पर किया था। सो जो शख़्स अल्लाह तबारक व तआला से डरता है वह अपने दीन की हिफ़ाज़त करता है और बे-शक रियाकारी शिर्क है। 
हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के सैय्यिदुल आलमीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः क़यामत के दिन सब से पहले जिस के ख़िलाफ़ फ़ैसला किया जाएगा वह एक शहीद होगा। उस को लाया जाएगा। अल्लाह तबारक व तआला उस को दी हुई नेअमतें बतलाएगा। जिन का वह इक़रार करेगा। फ़िर अल्लाह तबारक व तआला जल शानह फ़रमाएगा तुमने इन नेअमतों के मुक़ाबले में क्या अमल किया? वह कहेगा मैंने तेरी राह में क़ताल किया यहाँ तक कि मैं शहीद हो गया। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा, तुम झूठ कहते हो तुमने इस लिए क़ताल किया था ताकि यह कहा जाए कि तुम बहुत बहादुर हो। सो वह कहा गया। फ़िर अल्लाह तबारक-व-तआला के हुक्म से उस को उल्टे मुँह जहन्नम में डाल दिया जाएगा। फ़िर एक शख़्स को लाया जाएगा जिस ने इल्म हासिल किया और पढ़ा और पढ़ाया और कुरान मजीद पढ़ा। अल्लाह तबारक व तआला उस को अपनी दी हुई नेअमतें बतलाएगा जिस का वह इक़रार करेगा। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तुमने इन नेअमतों के मुक़ाबले में क्या अमल किया? वह कहेगा, मैंने इल्म हासिल किया और पढ़ाया और मैंने तेरा कुरान पाक पढ़ा। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तुमने झूठ बोला तुमने इस लिए इल्म हासिल किया था ताकि तुम को आलिम कहा जाए और तुमने कुरान मजीद पढ़ा ताकि यह कहा जाए कि वह क़ारी है सो कहा गया। फ़िर अल्लाह तबारक-व-तआला के हुक्म से उस को जहन्नम में डाल दिया जाएगा और उस शख़्स को पेश किया जाएगा जिस को अल्लाह तबारक व तआला ने वुसअत दी थी और उस को हर क़िस्म का माल अता फ़रमाया था। अल्लाह तबारक व तआला उस को अपनी दी हुई नेअमतें बतलाएगा और वह उन का इक़रार करेगा। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तुमने इन नेअमतों के मुक़ाबले में क्या अमल किया? वह कहेगा मैंने अपने माल को नेकी के हर उस रास्ता में तेरी ख़ातिर ख़र्च किया जो तुझ को पसन्द है। अल्लाह तबारक व तआला फ़रमाएगा तुमने झूठ बोला तुमने तो यह इस लिए किया था ताकि यह कहा जाए कि यह बहुत सख़ी है। सो वह कहा गया। फ़िर अल्लाह तबारक-व-तआला के हुक्म से उस को जहन्नम में डाल दिया जाएगा। 

इख़्लास की हक़ीक़त 

अल्लाह तबारक व तआला जल शानह के मासिवा से बरी होना इख़्लास है दीन में इख़्लास यह है कि यहूद व नसारा ने जो उलूहियत में दूसरों को मिला रखा है उस से बरअत का इज़हार किया जाए। यहूदियों ने हज़रत उजैर अलैहिस्सलाम को और ईसाइयों ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को उलूहियत में मिला रखा है और इताअत और इबादत में इख़्लास यह है कि सिर्फ़ अल्लाह तबारक व तआला जल सुलतानह के लिए अमल किया जाए मख़्लूक़ को दिखाने और सुनाने के लिए अमल न किया जाए दुनिया की जिन चीज़ों की तरफ़ दिल माइल होता है और दुनिया की जिन चीज़ों से नफ़्स को राहत मिलती है जब इंसान के किसी अमल में इन चीज़ों की आमेज़िश हो जाती है तो उस से उस अमल की सफ़ाई मुकद्दर और मैली हो जाती है और इख़्लास ज़ाएल हो जाता है और इंसान ऐसी चीज़ों के इश्तियाक़ और हुसूल में डूबा हुआ है और उस की इताअत और उस की इबादत के अफ़आल इस क़िस्म की अग़राज़ से बहुत कम ख़ाली होते हैं इस लिए कहा गया है कि जिस शख़्स की पूरी ज़िंदगी में अल्लाह तबारक-व-तआला के लिए इख़्लास का एक लम्हा भी नसीब हो जाए उस की नजात हो जाती है और दिल को इन चीज़ों की आमेज़िश से ख़ाली करना बहुत मुश्किल है और इख़्लास यह है कि दिल में अल्लाह तबारक-व-तआला के कुर्ब के सिवा और किसी चीज़ की तलब न हो। 
ख़ुलासा यह है कि क़ौल और अमल को दिखावे और शोहरत की आमेज़िश से ख़ाली करना इख़्लास है चह जाइकह उस पर किसी अवज़ को तलब किया जाए। हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया है: मैं तमाम मुशरिकीन के शिर्क से मुस्तग़नी हूँ, जिस ने कोई ऐसा अमल किया जिस में मेरे गैर को शरीक किया मैं उस के अमल को और उस के शिर्क को तर्क देता हूँ वह अमल उस के लिए है जिस को उस ने शरीक किया है। 

अल्लाह आमाल देखता है 

हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के सैय्यिदुल मुरसलीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः बे-शक अल्लाह तबारक व तआला तुम्हारी सूरतों और तुम्हारे अमवाल की तरफ़ नहीं देखता लेकिन वह तुम्हारे दिलों और तुम्हारे आमाल की तरफ़ देखता है। 

ज़िक्र मदीना 

हज़रत सैयदना जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के हम राहतुल आशिक़ीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ एक ग़ज़वा में थे आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः मदीना मुनव्वरह में कुछ ऐसे लोग हैं कि तुम जिस मंज़िल पर पहुँचे और जिस वादी में भी गए वह तुम्हारे साथ थे वह किसी बीमारी की वजह से हमारे साथ नहीं जा सके थे एक रिवायत में है: वह आख़िर में तुम्हारे शरीक हैं। 

नीयत का सवाब 

हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं शम्सुल आरिफ़ीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जिस ने हालत-ए-ईमान में सवाब की नीयत से शब-ए-क़द्र में क़ियाम किया उस के अगले पिछले (सग़ीरा) गुनाह बख़्श दिए जाते हैं और जिस ने हालत-ए-ईमान में सवाब की नीयत से रमज़ानुल मुबारक के रोज़े रखे उस के अगले और पिछले (सग़ीरा गुनाह बख़्श दिए जाते हैं। 

मुनादी की निदा 

हज़रत सैयदना अबू सईद बिन अबी फ़ज़ाला रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के शम्सुल आरिफ़ीन हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः जब अल्लाह तबारक व तआला अव्वालीन और आख़िरीन को क़यामत के उस दिन जमा फ़रमाएगा जिस दिन के तहक़ीक़ में कोई शुबहा नहीं है तो एक मुनादी यह निदा करेगा, 
जिस ने अल्लाह के लिए कोई अमल किया और उस में किसी को शरीक किया वह उस के सवाब को अल्लाह के गैर से तलब करे क्योंकि अल्लाह तबारक व तआला तमाम शुरक़ा के शिर्क से मुस्तग़नी है।
ज़िक्र दज्जाल 
हज़रत सैयदना अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के हमारे पास हुजूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए इस वक़्त हम सब दज्जाल का ज़िक्र कर रहे थे आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः क्या मैं तुम को उस चीज़ की ख़बर न दूँ जो तुम्हारे लिए मसीह दज्जाल से ज़्यादा ख़तरनाक है? हम ने अर्ज़ किया क्यों नहीं! आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः वह शिर्क मख़फ़ी है एक शख़्स नमाज़ पढ़ता है फ़िर वह देखता है कि कोई शख़्स उस को नमाज़ पढ़ते हुए देख रहा है तो वह ज़्यादा अच्छी नमाज़ पढ़ने लगता है। 
ग़ैरुल्लाह के लिए अमल 
हज़रत सैयदना शद्दाद बिन औस रज़ियल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं के हुज़ूर सैय्यिदना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः मुझे अपनी उम्मत पर सब से ख़तरा अल्लाह तबारक-व-तआला के साथ शरीक करने का है और मैं यह नहीं कहता कि वह सूरज या चाँद या बुत की परस्तिश करेंगे लेकिन वह गैरुल्लाह के लिए अमल करेंगे और शहवत-ए-ख़फ़ीया (रियाकारी) करेंगे। 

इख़्लास वाली इबादात 

शम्मर बयान करते हैं कि क़यामत के दिन एक शख्स को हिसाब के लिए लाया जाएगा और उस के सहीफ़ा-ए-आमाल में पहाड़ों के बराबर नेकियाँ होंगी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त फ़रमाएगा तू ने फ़लाँ-फ़लाँ दिन नमाज़ें पढ़ीं ताकि यह कहा जाए कि यह नमाज़ी है मैं अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई इबादत का मुस्तहिक़ नहीं है मेरे लिए सिर्फ़ वह इबादात हैं जो ख़ालिस मेरे लिए हों। तू ने फ़लाँ-फ़लाँ रोज़े रखे ताकि यह कहा जाए कि यह रोज़ेदार है मैं अल्लाह हूँ मेरे सिवा कोई इबादत का मुस्तहिक़ नहीं है मेरे लिए सिर्फ़ वह इबादात हैं जो ख़ालिस मेरे लिए हों। तू ने फ़लाँ-फ़लाँ दिन सदक़ा किया ताकि यह कहा जाए कि फ़लाँ बंदे ने सदक़ा किया मैं अल्लाह हूँ मेरे सिवा कोई इबादत का मुस्तहिक़ नहीं है मेरे लिए सिर्फ़ वह इबादात हैं जो ख़ालिस मेरे लिए हों। फ़िर वह उस के सहीफ़ा में से एक के बाद एक अमल को मिटाता रहेगा यहाँ तक कि उस के सहीफ़ा में कोई अमल बाक़ी नहीं रहेगा, फ़िर उस से फ़रिश्ता कहेगा ऐ फ़लाँ शख़्स ! तू अल्लाह तबारक-व-तआला के गैर के लिए अमल करता था।
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