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3 martaba jannat ki basharat pane wale सहाबी का राज़ः हसद से बचकर अल्लाह का क़ुर्ब कैसे हासिल करें? | हदीस की रौशनी में

 

हसद से बचो, अल्लाह का कुर्ब हासिल करो 

हसद इंसान के लिए एक बड़ी रूहानी बीमारी है, जो उसकी नेकियों को खतम कर देती है। अगर इंसान हसद से बचकर अपने दिल को पाक और साफ रखे, तो ना सिर्फ ये कि दुनिया और आख़िरत में कामयाबी हासिल होगी, बल्कि जन्नत का रास्ता भी आसान हो जाएगा। इस हदीस-ए-मुबारका में हसद से बचने वाले एक सहाबी ए रसूल का ज़िक्र है, जिसे तीन मरतबा जन्नती होने की खुशखबरी दी गई। 

हदीस 

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि वो फरमाते हैं: एक रोज़ हम हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर थे कि आप अलैहिस्सलातु-वस्सलाम ने इरशाद फरमायाः जन्नती शख्स आने वाला है। इतने में एक अंसारी शख्स आए, जिनके बाएं हाथ में जूतियां थीं और उनकी दाढ़ी से वुजू का पानी टपक रहा था। दूसरे दिन भी आप अलैहिस्सलातु-वस्सलाम ने यही इरशाद फरमाया और वही अंसारी शख्स आए। तीसरे दिन भी हुजूर अलैहिस्सलातु-वस्सलाम ने यही इरशाद फरमाया और फिर वही शख्स आए। हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र रजी अल्लाहु तआला अन्हु ने सोचा कि इस शख्स का कौन सा ऐसा अमल है, जो इसे जन्नती बना रहा है। वो उस शख्स के पास गए और कहा: मैं अपने वालिद से नाराज़ हूं और तीन रातें तुम्हारे साथ गुजारना चाहता हूं। उसने इजाज़त दे दी। हज़रत अब्दुल्लाह रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु ने तीन रातें उसके साथ गुजारी। लेकिन उन्होंने इस दौरान कोई ऐसा अमल नहीं देखा, सिवाए इसके कि जब भी नींद से जागते, अल्लाह का ज़िक्र करते। तीसरी रात के बाद हज़रत अब्दुल्लाह ने उस शख्स से कहा: मैं अपने वालिद से नाराज़ नहीं हूं। दरअसल, हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने तुम्हारे बारे में इरशाद फरमाया कि तुम जन्नती हो। मैंने ये जानने के लिए तुम्हारे साथ वक्त गुज़ारा कि तुम्हारा कौन सा अमल तुम्हें इस मक़ाम पर ले गया। उस शख्स ने कहा: मेरा वही अमल है, जो तुमने देखा। लेकिन जब हज़रत अब्दुल्लाह वहां से जाने लगे तो उस शख्स ने आवाज़ दी और कहा: एक और बात है, जिसे मैं तुमसे बयान करना चाहता हूं। वो ये कि मैं कभी किसी से हसद नहीं करता। हज़रत अब्दुल्लाह रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु ने फरमायाः यही वजह है कि तुम्हें ये बुलंद मक़ाम हासिल हुआ। (किमियाए सआदत, सफा: 407) 

हसद से बचना मोमिन की पहचान 

इस हदीस-ए-मुबारका से ये पता चला कि हसद से बचना एक मोमिन की पहचान और उसकी बुलंदी का सबब है। दिल की सफाई और नेकी की नीयत इंसान को बुलंद मकाम तक ले जाती है। हुजुर अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने जिस शख्स को जन्नती करार दिया, उसकी सबसे बड़ी खूबी ये थी कि उसने कभी किसी से हसद नहीं किया। हमें भी चाहिए कि हम अपने दिलों को हसद, नफरत और बदगुमानी से पाक रखें और दूसरों की कामयाबी और भलाई देखकर खुश हों। यही एक सच्चे मोमिन की पहचान है। 
यहाँ पर यह भी पढ़ते चलें के हज़रात मूसा अलैहिस्सलाम ने एक शख्स को अर्शे अज़ीम के साए में देखा। यह वाकिया जो अब आप पढ़ने जा रहे हैं, यह वाक्रिया हमें हसद (जलन) जैसी बुराई से बचने और अच्छे अख़लाक़ अपनाने का पैग्राम देता है। इमाम ग्रज्ञाली रहमतुल्लाह अलैह 'इहया उल-उलूम' में बयान करते हैं कि हज़रत मूसा अलीहिस्सलाम ने एक शख्स को अशें अज़ीम के साए में देखा। तो आपने उस शख्स के मरतबे पर रश्क फरमाते हुए कहा: अल्लाह तआला के हुजूर इस शख्स का मर्तबा बहुत बुलंद है: अर्ज किया 'या इलाहुल आलमीन! यह नेक मर्द कौन है? 

तीन अमल अल्लाह के कुर्ब का ज़रिया 

अल्लाह तआला ने फरमाया इस के तीन अमल तकर्रुब का बाइस है। एक तो इसने कभी किसी से हसद नहीं किया। दूसरे इसने कभी अपने वालिदैन की नाफ़रमानी नहीं की। तीसरे इसने कभी चुगलखोरी नहीं की। पता चला हसद से बचने वाला कुर्वे इलाही पाता है 
दोस्तों! मोमिन का शिआर यह नहीं कि वह हसद जैसी शैतानी बीमारी को अपनाए। हसद ईसान की नेकियों को खत्म कर देता है, दिलों में नफ़रत भर देता है और इंसान को अल्लाह तआला के कुर्ब से दूर कर देता है। मुसलमान को चाहिए कि वह हमेशा मोहब्बत, भाईचारे और अल्लाह तआला की रज़ा के रास्ते पर चले। अल्लाह तआला हसद जैसी बीमारी से महफूज़ रखे और हमें हसद करने वालों के शर से बचाए। अल्लाह से हमेशा अपने अख़लाक़ को बेहतर बनाने और उसके कुर्ब को हासिल करने की दुआ करनी चाहिए।
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