अल्लाह का ज़िक्र और फ़रिश्ता-farishton ki tasbeeh aur zikr kya hai

रूह फ़रिश्तों में से एक फ़रिश्ता है, जिस के सत्तर हज़ार मुंह हैं। हर मुंह में सत्तर हज़ार ज़बानें हैं। हर ज़बान की सत्तर हज़ार लुगते (भाषाएँ) हैं। वह इन

फरिश्ता और ज़िक्र व इबादत-ए ख़ुदा फ़रिश्ता अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की ऐसी मख्लूक़ है जिसे अल्लाह तआला ने नूर से पैदा फ़रमाया है यानी वह नूरी मख्लूक़ है जो नफ़्स उसकी शरारतों और गुनाहों से महफूज़ है जिसने पलक झपकने के बराबर भी कभी अपने रब की नाफ़रमानी नहीं की जिसने एक लम्हा भी अल्लाह की इबादत व बन्दगी और उसके ज़िक्र व याद से गफलत नहीं बरती अल्लाह ने जिसे जिस काम पर लगा दिया वह उस काम में पूरी मुस्तैदी से मसरूफ़ है फ़रिश्तों की मशगूलियत अल्लाह की इबादत व बन्दगी इताअत व फ़रमाबरदारी और हर लम्हा हर वक़्त अल्लाह का ज़िक्र करना है एक लम्हा के लिए भी फ़रिश्ते अल्लाह तआला के ज़िक्र व इबादत से गाफिल नहीं रहते।

अर्शे इलाही के इर्द गिर्द बे शुमार फ़रिश्ते

हज़रत अली बिन अबी तालिब कर्रमल्लाहू तआला वज्हहुल करीम फ़रमाते हैं कि में रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फ़रमाते सुना तर्जुमाः अर्श-ए इलाही के इर्द-गिर्द एक जगह है जिसे हज़ीरा-ए कुट्स यानी पाकीज़ा बाड़ा और मुक़द्दस दरबार कहा जाता है उसमें इतने फ़रिश्ते हैं जिनका शुमार नहीं किया जा सकता वह फ़रिश्ते अल्लाह तआला की इबादत व बन्दगी करते हैं और एक लम्हा के लिए भी इबादत से गाफिल नहीं होते।

फ़रिश्ते कहेंगे ऐ अल्लाह तू पाक है हमने कमा हक़्क़ा तेरी इबादत नहीं की

हज़रत उमर बिन अल-ख़त्ताब रज़ी अल्लाह तआला अन्हु से मरवी है कि मस्जिद में दाखिल हुए तो देखा कि हज़रत कअब अहबार रज़ी अल्लाह तआला अन्हु लोगों को हदीस सुना रहे हैं आप ने फरमायाः ऐ कब अहबार हमें डराइए तो उन्होंने फ़रमायाः तर्जुमाः ब-ख़ुदा अल्लाह तआला के कुछ फ़रिश्ते हैं कि जब से उन्हें पैदा किया गया है हालत-ए क्रियाम में है अपनी पीठ को झुकाया तक नहीं है और कुछ फ़रिश्ते रुकू में हैं अपनी पीठ को रुकू से नहीं उठाया है और कुछ फरिश्ते ऐसे हैं जो सज्दे में हैं अपने सरों को सज्दा से क़ियामत से पहले नहीं उठाएँगे जब क़ियामत क़ाएम होगी तो सारे फरिश्ते अर्ज़ करेंगे ऐ अल्लाह तू पाक है हमने कमा हक़्क़ा तेरी इबादत नहीं की जैसी तेरी इबादत होनी चाहिए थी हमने वैसी तेरी इबादत व बन्दगी नहीं की।

अल्लाह का फरमान कुरान में

अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है

वाल्मलाइक़तु युसब्बिहूना बिहम्दे रब्बिहिम् व यस्तग्फ़िरूना लिमन फिल अर्द।

तर्जुमाः और फ़रिश्ते अपने रब की हम्द के साथ तस्बीह करते हैं और ज़मीन वालों के लिए मग़फ़िरत की दुआ करते हैं सुरा शूरा 5।

और एक दूसरे मक़ाम पर इरशाद फरमाता है।

व इन्ना लनह्नु साफ़ून व इन्ना लनह्नु मुसब्बिहून

तर्जुमाः और बेशक हम सफ़ बांधे हुए हैं और हम तस्बीह करने वाले हैं।

इन दोनों आयतों से कुछ बातें मालूम हुईं

1 फ़रिश्ते अल्लाह तआला का ज़िक्र करते हुए वह अल्लाह तआला की पाकी बयान करते हैं यानी सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह और या सुब्बूह या कुद्दूस का वज़ीफ़ा करते हैं।

2 वह अल्लाह तआला की हम्द व सना भी करते हैं यानी अल-हम्दुलिल्लाह या लकल हम्दु वन्निअमत के ज़रिए अल्लाह तआला की तारीफ़ करते हैं।

3 और ज़मीन वाले मोमिनीन के लिए मगफ़िरत की दुआ करते हैं।

फ़रिश्तों में कुछ वह हैं जो हालत-ए क्रियाम में हैं कुछ रुकू में हैं कुछ सज्दे में हैं और कुछ तशहहुद में हैं गरज़ यह कि वह हर तरह से अल्लाह तआला की इबादत व बन्दगी और ज़िक्र करते हैं और अपने रब की फ़रमाबरदारी में लगे रहते हैं तस्बीह व तहलील हम्द व सना ज़िक्र व दुरूद मुसलमानों की नुसरत व मदद और मोमिनीन के लिए दुआ-ए मग़फ़िरत करना उनकी ड्यूटी है।

एक अजीबुल खल्कत फ़रिश्ते की इबादत व ज़िक्र

दोस्तों आइए एक ऐसी हदीस आप को सुनाऊँ जिसे सुनेंगे तो इंशाअल्लाह दिल मचल उठेगा और आप के अंदर अल्लाह की इबादत व रियाज़त और ज़िक्र का ज़ौक़ व शौक़ पैदा हो जाएगा।

तर्जुमाः हज़रत अब्दुल्लाह इन अब्बास रज़ी अल्लाह तआला अन्हुमा से मरवी है कि रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः अल्लाह तआला ने सफ़ेद मोतियों की एक ज़मीन पैदा फ़रमाई है जिस की मसाफ़त हज़ार साल है उस पर चारों तरफ़ से एक सुर्ख़ याकूत का पहाड़ है उस ज़मीन में एक फ़रिश्ता है जिस ने ज़मीन के पूरब और पच्छिम को भर रखा है उस फ़रिश्ते के छह सौ सर हैं और हर सर में छह सौ चेहरे हैं हर चेहरे में छह लाख साठ हज़ार मुँह हैं हर मुँह में साठ हज़ार ज़बाने हैं वह अल्लाह तआला की सना तक़्दीस तहलील और बड़ाई हर ज़बान के साथ छह लाख साठ हज़ार मर्तबा बयान करता है जब क़ियामत का दिन होगा वह अल्लाह तआला की अज़मत को देखेगा और कहेगाः तेरी इज़्ज़त की क़सम में तेरी इबादत का हक़ अदा नहीं कर सका अल्लाहु अक्बर इतनी लम्बी इबादत व बन्दगी और ज़िक्र-ए इलाही करने के बावजूद वह भी क़यामत तक फिर भी इन फरिश्तों को अपनी इबादत पर नाज़ नहीं बल्कि इतनी तवील ज़िक्र व इबादत के बाद वह इस अंदाज़ और तवाज़ो के साथ बारगाह-ए ज़ुलजलाल में अर्ज़ करते हैं कि मौला हमने कमा हक़्क़हु तेरी इबादत नहीं की और एक हम हैं कि हफ़्ते की एक नमाज़ पढ़ने के बाद इतना इतराते हैं कि लगता है कि हम से ज़्यादा दुनिया में और कोई इबादतगुज़ार नहीं है।

यह एक सज्दा जिसे तो गिरौं समझता है

हज़ार सज्दे से देता है आदमी को निजात

इबादत में नाज़ न करो

ऐ मुसलमानो हफ़्ते की एक नमाज़ या चंद इबादतों पर नाज़ न करो आसमान के फ़रिश्तों की इबादत व बन्दगी मुलाहिज़ा करो और अपने आप को अल्लाह की इबादत में लगा दो मेरे भाइयो हमें तो इतना भी मालूम नहीं कि हमारा ठिकाना जन्नत है या जहन्नम वह सहाबा जिन्हें रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुनिया में ही जन्नत की ख़ुशख़बरी दे दी उन्हें अपनी इबादत पर नाज़ नहीं था शबो-रोज़ इबादत व बन्दगी में रहते और ख़ौफ़-ए ख़ुदावन्दी से हमा वक़्त रोते और अश्कबार रहते हज़रत रबीआ असलमी जिन को मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जन्नत में अपने रहने की गारंटी अता फरमाई उन से भी हुज़ूर ने फ़रमायाः ऐनी बि-कसरतिस सुजूद यानी ज़्यादा सज्दे करो और कसरत के साथ सज्दा कर के मेरी मदद करो।

आसमान में एक बालिश्त भी जगह खली नहीं

तर्जुमाः हज़रत अनस रज़ी अल्लाह तआला अन्हु से मरवी है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जबकि आप अपने सहाबा-ए किराम के साथ बैठे हुए थे अचानक एक आवाज़ सुनी तो आप ने फरमायाः आसमान चर-चरा रहा है और चर-चराना उस का हक़ भी है सहाबा-ए किराम ने पूछाः हुजूर आसमान क्यों चर-चरा रहा है फ़रमायाः आसमान टूट रहा है और आसमान का टूटना हक़ भी है क़सम है उस जात की जिस के दस्त-ए कुदरत में मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जान है आसमान में एक बालिश्त जगह भी ऐसी नहीं है जहाँ सज्दा करने वाले फ़रिश्ते की पेशानी न हो।

अहद करो मस्जिद में कोई सफ खाली नहीं रहेगी

जब आसमान में एक बालिश्त जगह अल्लाह की इबादत व बन्दगी करने वाले फ़रिश्तों से ख़ाली नहीं तो तुम भी तहिया कर लो कि इंशाअल्लाह आज से हम अपनी मस्जिद में इस कसरत से हाज़िर होंगे कि मस्जिद की एक सफ़ भी मुहल्ले के नमाजियों से ख़ाली नहीं रहेगी।

इबादत का जज़्बा जो बेदार हो जाए

है यक़ीन मुझ को शैतान जलीलो-ख़ार हो

अल्लाह फ़रिश्ते की तस्बीह से फ़रिश्ता पैदा करता है।

तर्जुमाः रूह फ़रिश्तों में से एक फ़रिश्ता है जिस के सत्तर हज़ार मुंह हैं हर मुंह में सत्तर हज़ार ज़बानें हैं हर ज़बान की सत्तर हज़ार लुगते भाषाएँ हैं वह इन सारी लुग़तों में अल्लाह तआला की तस्बीह बयान करता है अल्लाह तआला उस की तस्बीह से एक फ़रिश्ता पैदा फ़रमाता है जो क़ियामत तक मलाइका के साथ उड़ता रहेगा।

तर्जुमाः रूह चौथे आसमान में एक फ़रिश्ता है और वह आसमानों पहाड़ों और फ़रिश्तों से बहुत बड़ा है वह रोज़ बारह हज़ार मर्तबा तस्बीहात कहता है अल्लाह तआला हर तस्बीह से एक फ़रिश्ता पैदा करता है वह क़ियामत के दिन अकेला और इन्फ़िरादी सफ़ की सूरत में होगा।

आसमान में फरिश्तों की तस्बीह

तर्जुमाः हज़रत उमर बिन अल-ख़त्ताब ने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से फ़रिश्तों की नमाज़ के बारे में पूछा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कोई जवाब नहीं दिया फिर जिब्राईल अमीन तशरीफ़ लाए और फ़रमायाः आसमान-ए दुनिया वाले क़ियामत तक सज्दे में हैं और कह रहे हैं सुब्हाना ज़िल-मुल्कि वल-मलकूत और दूसरे आसमान वाले क्रियामत तक रुकू में हैं और कह रहे हैं सुब्हाना ज़िल-इज़्ज़ति वल-जबरूत और तीसरे आसमान वाले क़ियामत तक क्रियाम में हैं और यह कह रहे हैं सुब्हानल-हय्यिल्लज़ी ला यमूत।

अल्लाह हमें भी ज़िक्र व इबादत का ज़ोक व शोक़ अता फरमाए आमीन।


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