अस्सलामु अलैकुम आज इस तहरीर में अल्लाह तआला की मुहब्बत अपने बंदों से इस पर गुफ्तगू करना चाहता हूं और यह बताना चाहता हूं के अल्लाह तआला अपने बंदों से बहुत मुहब्बत फरमाता है। कुरान मजीद के तीसवें पारे में इरशाद ए बारी तआला है "वहुवल ग़फ़ुरुल वदूद" यानी वह बहुत ज़्यादा बख्शने वाला बहुत मुहब्बत करने वाला है।
अल्लाह तआला की मुहब्बत
एक औरत अपने दो बच्चों के साथ हज़रत आएशा सिद्दीका रदी अल्लाहु अन्हा के पास आई और अर्ज़ की के मेरे दोनों बच्चे और में कई दिन से भूके हैं हमें कुछ खाने को दो हज़रत आएशा सिद्दीका रदी अल्लाहु अन्हा ने एक खजूर उनको दी के उस वक्त घर में सिर्फ वही एक खजूर थी। उस औरत ने खजूर के दो टुकड़े किए एक टुकड़ा एक बच्चे को और एक टुकड़ा दूसरे बच्चे को खाने को दिया और खुद भूकी रही। उस औरत की अपने बच्चों के साथ इतनी मुहब्बत देखकर के खुद भूकी रही और अपने बच्चों को खजूर खिला दिया। यह मुहब्बत देखकर हज़रत आएशा सिद्दीका रदी अल्लाहु अन्हा हैरान हुईं। औरत चली जाती है इसी असना में आका करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाते हैं तो उस औरत का सारा वाक़िआ हज़रत आएशा सिद्दीका रदी अल्लाहु अन्हा नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से से बयान करती हैं और कहती हैं के वह अपने बच्चों से किस क़दर मुहब्बत करती है। आका करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं ए आएशा तुम हैरान हो के वह अपने बच्चों से किस क़दर मुहब्बत करती है, हैरान ना हो, जो मां अपने बच्चों से मुहब्बत करती है उससे कहीं ज़्यादा अल्लाह तआला अपने बंदों से मुहब्बत फरमाता है अल्लाह तआला अपने बंदों से बहुत मुहब्बत फरमाता है!
हदीस शरीफ में है के जब मुसलमान की आंख से मक्खी के सर के बराबर आंखों से आंसू का कतरा अल्लाह तआला के ख़ौफ़ की वजह से निकलता है अल्लाह के डर से निकलता है और वह कतरा चेहरे पर आ जाता है तो अल्लाह तआला उस पर दोज़ख की आग को हराम कर देता है। (मिश्कात)
यह अल्लाह तआला की मुहब्बत ही है अपने बंदों से के जब मुसलमान अल्लाह के खौफ से रोता है और अल्लाह के डर से उसकी आंखों से मक्खी के सर के बराबर भी आंसू निकलकर उसके चेहरे पर आजाता है तो अल्लाह तआला अपने करम से उस पर जहन्नम की आग को हराम फरमा देता है।
अल्लाह की मुहब्बत और बंदे की मुहब्बत में फर्क
अल्लाह की मुहब्बत और बंदे की मुहब्बत का मतलब क्या है वह भी जानते और समझते चलें। बंदे की मुहब्बत अल्लाह से का मतलब यह के वह अल्लाह पर तस्दीक क़लबी से ईमान लाए अल्लाह की वहदानियत का इक़रार करे, सबसे ज़्यादा मुहब्बत अल्लाह से करे, अल्लाह के अहकाम पर अमल करे, गुनाहों से बचे, आमाले सालेहा करे,और जिन कामों को करने का हुक्म दिया है, उन कामों को करे, जिन कामों से रुकने का हुक्म दिया है, उनसे रुक जाए, और उसके ज़िक्र से अपनी ज़बान को तर रखे, और उसकी रज़ा के लिए जान की कुर्बानी देना पड़े तो जान भी कुर्बान करदे और ज़बान से यह नारा लगाए के जान दी हुई, दी हुई उसी की थी हक़ तो यह है हक़ अदा ना हुआ।
अल्लाह तआला की मुहब्बत बन्दे से
मतलब यह है जब बंदा सब कुछ अल्लाह की रज़ा के लिए क़ुर्बान कर देता है तो अल्लाह तआला बन्दे पर करम नवाज़ी करता है जो उसके शान के लाइक़ है और दुनिता व आख़िरत में वह वह सर बलंदियाँ अता फरमाता है के जहां तक किसी का तायरे ख्याल तक नहीं पहुँच सकता और अल्लाह तआला इसी मुहब्बत की वजह से बन्दे की लगज़ीशों खताओ को मुआफ फरमा देता है और बन्दे पर मुहब्बत की ही वजह से करम फरमाता है और उसको मुहब्बत से नवाज़ता है।
रज़ा ए इलाही के लिए मुलाक़ात का अजर
अल्लाह की रज़ा के लिए एक शख्स दूसरे गाँव के एक आदमी से मिलने के लिए अपने घर से निकला अल्लाह तआला ने एक फ़रिश्ते को रास्ते में बिठा दिया जब वह आदमी वहां पहुंचा तो फ़रिश्ते ने उससे पूछा कहाँ जा रहे हो वह शख्स कहने लगा के फलां गाँव में एक शख्स से मुलाक़ात के लिए जा रहा हूं फ़रिश्ते ने कहा उसका आप पर कोई अहसान होगा या आपका उस पर क़र्ज़ वगैरह होगा जिसकी वजह से उससे मुलाक़ात के लिए जा रहे हो, तो उस शख्स ने कहा ऐसी कोई बात नहीं है में सिर्फ और सिर्फ उस शख्स से अल्लाह तआला की रज़ा के लिए मुलाक़ात के लिए जा रहा हूं, तो फ़रिश्ते ने कहा सुनो में अल्लाह तआला का भेजा हुआ फरिश्ता हूं और तुम्हारे लिए खुशखबरी लाया हूं के तुमसे और तुम जिससे मिलने के लिए जा रहे हो दोनों से अल्लाह तआला मुहब्बत फरमाता है। यह है अल्लाह तआला की मुहब्बत अपने बन्दों से के जो बंदा किसी मुसलमान भाई से ख़ालिस अल्लाह की रज़ा और उसकी खुशनूदी के लिए मुहब्बत करता है तो अल्लाह तआला भी उससे मुहब्बत करता है।