मुहब्बत ए रसूल हर इबादत की असल है इस तहरीर का मकसद रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की शख्सियत और आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम से मोहब्बत की अहमियत को बयान करना है नबी ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत ही ईमान है बल्के ईमान कि जान है इस तहरीर में कुरआन मजीद की आयात आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम के फरामीन और सहाबा किराम रज़ी अल्लाहु अन्हुम की मिसालों के जरिए यह बताया गया है कि सच्ची मोहब्बत का इजहार सिर्फ लफ्जों तक महदूद नहीं रहना चाहिए बल्कि उसके साथ आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम की पैरवी और आपकी सुन्नत पर अमल भी लाज़मी है कुरआन का पैगाम मुहब्बत के लिए इताअत जरूरी है।
कुरआन की आयत
कुल इन कुन्तुम तुहिब्बूनल्लाह फत्तबिऊनी युहबिबकुमुल्लाह व यगफिर लकुम ज़ुनूबकुम वल्लाहु गफूरुर्रहीम। तर्जुमा ए महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आप फरमा दीजिए अगर तुम अल्लाह तबारक व तआला से मोहब्बत करते हो तो मेरी पैरवी करो जब तुम मेरी पैरवी करोगे तो अल्लाह तबारक व तआला न सिर्फ तुमसे मोहब्बत फरमाएगा बल्कि तुम्हारे गुनाह भी माफ कर देगा क्योंकि अल्लाह तबारक व तआला बख्शने वाला और बड़ा मेहरबान है।
अल्लाह की मुहब्बत रसूल की पैरवी से वाबस्ता
अल्लाह तबारक व तआला की मोहब्बत रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत और पैरवी के बिना हासिल नहीं हो सकती अल्लाह तबारक व तआला ने अपनी मोहब्बत रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत में रखी है और रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत मखलूक में सबसे ज़्यादा होनी चाहिए।
हदीस ए मुबारक मुहब्बत की पहचान और निशानियां
रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद अज़ीम है तुममें से कोई उस वक्त तक मोमिन नहीं हो सकता जब तक मैं उसके नज़दीक उसके वालिदैन औलाद और सब लोगों से ज़्यादा महबूब न हो जाऊं आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत ही ईमान है जब कोई बंदा कामिल मोमिन हो जाता है तो वह अल्लाह तबारक व तआला की मोहब्बत में पुख्ता हो जाता है अल्लाह तबारक व तआला कुरआन मजीद में फरमाता है वल्लज़ीना आमनू अशद्दु हुब्बल लिल्लाह और ईमान वाले अल्लाह तबारक व तआला की मोहब्बत में बहुत सख्त यानी पुख्ता होते हैं ईमान वालों के दिलों में अल्लाह तबारक व तआला की मोहब्बत रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वसीले से कायम होती है रब्ब ज़ुल जलाल वल इकराम ने दस्तूर ए मोहब्बत बयान फरमाते हुए सूरह तौबा में इर्शाद फरमाया है ऐ मेहबूब सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम फरमा दें तुम्हारे बाप तुम्हारे बेटे तुम्हारे भाई तुम्हारी औरतें तुम्हारा कुनबा तुम्हारी कमाई के माल और वह सौदा जिसके नुकसान का तुम्हें डर है और तुम्हारे पसन्द के मकान यह चीज़ें अल्लाह तबारक व तआला और उसके प्यारे रसूल अलैहिस्सलातु वस्सलाम और उसकी राह में जिहाद में लड़ने से ज़्यादा प्यारी हों तो रास्ता देखो यहाँ तक कि अल्लाह तबारक व तआला अपना हुक्म लाए।
मोहब्बत के तीन दर्जे
मोहब्बत के तीन दर्जे हैं ज़बानी कल्बि रूहानी रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत सिर्फ ज़ुबानी काफी नहीं है बल्कि आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम से दिली और रूहानी मोहब्बत भी होनी चाहिए रसूल अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत हर इबादत की असल है रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत के बिना हर अमल बेनूर होता है।
अल्लामा इकबाल का कलाम
अल्लामा इकबाल फरमाते हैं रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत में वही शख्स कामिल और सच्चा है जिस पर मोहब्बत की अलामत ज़ाहिर हो नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत की अलामत यह है कि एक मुसलमान अपनी नफ्सानी ख्वाहिश के मुकाबले में उस चीज़ को तरजीह दे जिसे आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने मशरूअ जाइज़ करार दिया है।
हदीस ए अनस
हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु अन्हु इस सिलसिले में रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम का इरशाद बयान फरमाते हैं रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने मुझे फरमाया ए मेरे बेटे अगर तुम इस बात पर कादिर हो कि दिन रात इस हालत में रहो कि तुम्हारे दिल में किसी के लिए हसद या खोट न हो तो ऐसा करो फिर फरमाया ये मेरी सुन्नत है और जिसने मेरी सुन्नत से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की और जिसने मुझसे मोहब्बत की वो जन्नत में मेरे साथ होगा।
तारीख ए इस्लाम में मोहब्बत के बेमिसाल वाकियात
इस्लाम की तारीख रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत की सच्चाई और हकीकी दास्तानों से भरी पड़ी है।
सहाबा की मुहब्बत और अल्लाह का इनाम
हज़रत सौबान रज़ियल्लाहु अन्हु को रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम से बहुत मोहब्बत थी उन्हें रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम को देखे बगैर चैन व करार नहीं आता था एक रोज़ खिदमत ए अकदस में हाज़िर हुए तो चेहरे का रंग उड़ा हुआ था गम के आसार नुमायाँ थे रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फरमाया ऐ सौबान तेरा रंग बदला हुआ है खैर है तो हज़रत सौबान रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुझे कोई तकलीफ या मरज़ लाहिक नहीं बात दरअसल यह है कि जब मुझे आप की ज़ियारत नहीं होती तो मुझ पर शदीद वहशत तारी हो जाती है और दिल उचाट हो जाता है और जब तक आप की ज़ियारत न कर लूँ दिल को चैन नहीं आता फिर आखिरत का तसव्वुर करता हूँ और डरता हूँ कि वहाँ मुझे आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम का दीदार होगा या नहीं क्योंकि अंबिया ए कराम अलैहिमुस्सलाम के साथ आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम इन्तिहाई ऊँचे दर्जों पर होंगे और अगर मैं जन्नत में चला भी गया तो आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम के दर्जे से बहुत नीचे होंगा और अगर जन्नत में दाखिला न मिला तो कभी भी दीदार नसीब न होगा तो अल्लाह तबारक व तआला ने रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम पर वही नाज़िल फरमाई कि आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम फरमा दीजिए व मन युतिअल्लाहा व रसूलहु फा उलाइका मअल्लज़ीना अनअमल्लाहु अलैहिम मिनन्नबिय्यीना व स्सिद्दीकीना वश्शुहदाइ वस्सालिहीन व हसुना उलाइका रफीका और जो अल्लाह तबारक व तआला और रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की इताअत करे तो उसे उनका साथ मिलेगा जिन पर अल्लाह तबारक व तआला ने फज़ल फरमाया यानी अंबिया ए कराम अलैहिमुस्सलाम सिद्दीकीन शुहदा और सालिहीन और यह क्या ही अच्छे साथी हैं।
मोहब्बत के बिना ईमान कामिल नहीं है
एक रोज़ रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम से हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुझे मेरी जान के सिवा कायनात की हर चीज़ से प्यारे हैं तो रसूल ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया उस ज़ात की कसम जिसके हाथ में मेरी जान है तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जब तक मैं उसे उसकी जान से भी ज्यादा अज़ीज़ न हो जाऊँ तो हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम मुझे मेरी जान से भी ज़्यादा प्यारे हैं तो रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फरमाया ऐ उमर अब तुम्हारा ईमान कामिल है।
सहाबा ए किराम का इश्क ए रसूल
सहाबा ए किराम रिज़्वानुल्लाही अलैहिम अजमईन का इश्क ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम।
अंसारी औरत
अंसार की एक औरत जिसका बाप भाई और खावन्द ग़ज़वा ए उहद के दिन रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम के सामने शहीद हुए थे उसने लोगों से पूछा रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम का क्या हाल है लोगों ने बताया कि अल्लाह तबारक व तआला के फज़्ल व करम से आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम बखैरियत हैं जैसा कि तू चाहती है उसने कहा मुझे नबी ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की ज़ियारत कराओ कि अपनी आँखों से देख लूँ जब उसने रसूल अलैहिस्सलातु वस्सलाम की ज़ियारत कर ली तो अर्ज़ करने लगी आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम की सलामती और ज़ियारत के बाद मेरी सारी परेशानियाँ आसान हैं और मेरे तमाम रंज ओ गम खत्म हो गए हैं।
हज़रत बिलाल
जब हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु के इन्तिकाल का वक्त आया तो उनकी बीवी ने पुकारा हाए अफसोस तो उन्होंने फरमाया 'ऐ खुशी' तो पूछा कैसी खुशी फरमाया विसाल के बाद नबी ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम और आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम के सहाबा ए कराम रिज़्वानुल्लाहि अलैहिम अजमईन और अपने दोस्तों से मिलूँगा।
हज़रत अली
हज़रत अली करमल्लाहु वज्हहुल करीम से सवाल किया गया कि रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम से आप की मोहब्बत कैसी है तो फरमाया वल्लाहि आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम हमारे नज़दीक हमारे माँ बाप औलाद और हर चीज़ से ज़्यादा मेहबूब हैं अल्लाह तबारक व तआला की बारगाह में दुआ है अल्लाह तबारक व तआला हमें भी रसूल ए करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम से सच्ची मोहब्बत अता फरमाए और महज़ ज़ुबानी मोहब्बत का दावा न करें बल्कि आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम की पैरवी भी करें ताकि अल्लाह तबारक व तआला हमसे मोहब्बत फरमाए आमीन।
अल्लाह और रसूल से सच्ची मोहब्बत की दुआ
इस मज़मून से यह बात वाज़ेह होती है कि रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत वो चिराग है जो इंसान के दिल को रोशन करता है और उसे अल्लाह की मोहब्बत और रज़ामंदी तक पहुंचाता है अगर मोहब्बत सिर्फ दावों तक महदूद रह जाए और उसकी पैरवी न की जाए तो वो नामुकम्मल है हमें अपने आमाल से साबित करना होगा कि हम रसूल अलैहिस्सलातु वस्सलाम के सच्चे आशिक हैं ताकि अल्लाह तबारक व तआला हमसे मोहब्बत फरमाए और हमें दीन व दुनिया की कामयाबी अता फरमाए अल्लाह तबारक व तआला से दुआ है कि हमें रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की सच्ची मोहब्बत और पैरवी की तौफीक अता फरमाए आमीन।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उसके जवाब
सवाल 1: मोहब्बत ए रसूल को ईमान की जान क्यों कहा गया है?
जवाब: क्योंकि रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम की मोहब्बत के बिना ईमान कामिल नहीं होता। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जब तक मैं किसी को उसकी जान से भी ज़्यादा अज़ीज़ न हो जाऊं, वह मोमिन नहीं हो सकता।
सवाल 2: कुरआन मोहब्बत ए रसूल के बारे में क्या कहता है?
जवाब: कुरआन मजीद में अल्लाह तबारक व तआला फरमाता है कि अगर तुम अल्लाह से मोहब्बत करते हो तो रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैरवी करो, तब अल्लाह तुमसे मोहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाह माफ करेगा।
सवाल 3: मोहब्बत ए रसूल की सच्ची अलामत क्या है?
जवाब: सच्ची मोहब्बत यह है कि इंसान अपनी ख्वाहिश के बजाय वही चीज़ पसंद करे जो रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने पसंद की, और आपकी सुन्नत पर अमल करे।
सवाल 4: सहाबा ए किराम ने मोहब्बत ए रसूल का किस तरह इज़हार किया?
जवाब: सहाबा ए किराम की ज़िंदगी मोहब्बत ए रसूल का बेहतरीन नमूना थी। वे रसूल करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम को अपनी जान, माल और औलाद से ज़्यादा प्यारा मानते थे और आपकी खिदमत व पैरवी को अपनी सबसे बड़ी कामयाबी समझते थे।
