nek niyat ka fayeda aur achhi soch ki बरकत और अल्लाह का फ़ज़ल

हिकायत: नेक नियत का फल
यह हिकायत नेक नियत और हुस्ने ज़न के सिलसिले में एक बेहतरीन मिसाल है। इंसान की सच्चाई और दिल की अच्छी नियत न सिर्फ उसके लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी किस क़दर फ़ायदेमंद हो सकती है, यह वाक़िया इसकी बेहतरीन मिसाल है।
हिकायत बयान की जाती है कि चोरों की टीम रात के पहले हिस्से में एक काफ़िला पर डाका डालने के लिए निकली। जब रात ज़्यादा छा गई तो वह मुसाफ़िर खाना में आए और दरवाज़ा खटखटा कर मुसाफ़िर खाना के लोगों से कहने लगे: हम गाज़ियों की जमात हैं और हम तुम्हारे मुसाफ़िर खाना में रात गुज़ारना चाहते हैं। लोगों ने उनके लिए दरवाज़ा खोला। वह सब उसमें दाख़िल हो गए। मुसाफ़िर खाना का मालिक अल्लाह तआला का क़ुर्ब और बरकत हासिल करने के लिए उन गाज़ियों की ख़िदमत के लिए कमरबस्ता हो गया। उसके पास एक माज़ूर बच्चा भी था जो कि अपने क़दमों पर खड़ा नहीं हो सकता था। मुसाफ़िर खाना के मालिक ने उन चोरों और डाकुओं का झूटा खाना और बचा हुआ पानी ब-तौर बरकत लिया और अपनी बीवी से कहा: अपने बेटे के सारे आज़ा पर यह पानी मल दो, शायद इन गाज़ियों की बरकत से अल्लाह पाक इसको शिफ़ा दे दे। चुनांचे उन्होंने ऐसा ही किया। जब सुबह हुई तो डाकुओं ने लोगों से माल लूटा और शाम को मुसाफ़िर खाना के मालिक के पास आए तो देखा कि वह बच्चा बिलकुल ठीक चल रहा है। तो उन्होंने मुसाफ़िर खाना के मालिक से कहा: यह वही बच्चा है जिसको हमने कल माज़ूर देखा था? उसने कहा:
हाँ, मैंने तुम्हारा झूटा और बचा हुआ पानी लेकर उसको दिया था। तो अल्लाह तआला ने तुम्हारी बरकत से इसको शिफ़ा दे दी।यह सुनकर वह सब रोने लगे और कहने लगे: ऐ बंदा-ए-ख़ुदा, तू जानता है। हम तो गाज़ी नहीं हैं बल्कि हम तो चोर हैं। डाका डालने के लिए निकले थे। लेकिन अल्लाह पाक ने तेरी अच्छी नियत की वजह से तेरे बेटे को आफ़ियत बख़्शी है। लिहाज़ा हम भी अल्लाह पाक से तौबा करते हैं। उन सब ने तौबा की और सारे गाज़ी और मुजाहिद फी सबीलिल्लाह बन गए। और इसी मिशन में फ़ौत हुए।
वाक़िया से मिलने वाली नसीहत
इस वाक़िया से हमें नसीहत मिलती है कि नेक नियत और भलाई और अच्छा गुमान रखने से बड़े से बड़े गुनहगार के दिल को भी बदल सकते है। मुसाफ़िर खाना के मालिक की अच्छी नियत और अच्छी सोच और भलाई ने चोरों की जिंदगी को बदल दिया। और यह भी मालूम हुआ के इंसान चाहे जितना भी गुनहगार हो, अगर वह तौबा कर ले और सही राह पर आ जाए, तो अल्लाह तआला उसे माफ़ कर देता है। उसकी ज़िंदगी न सिर्फ बेहतर होती है बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाती है।