अस्सलामु अलैकुम दोस्तों कुछ मुजर्रब वज़ाइफ़ जो ज़रूर फ़ायदा देंगे दोस्तों आज की इस पोस्ट में मैं आपके साथ कुछ ऐसे आज़माए हुए (मुजर्रब) वज़ाइफ़ शेयर कर रहा हूं जिन पर अमल करने से अल्लाह तआला के फ़ज़्ल से ज़रूर फ़ायदा मिलता है।
हर मसला हर तकलीफ़ का हल कुरआन और हदीस की रोशनी में मौजूद है बस ज़रूरत है यक़ीन सब्र और तवक्कुल के साथ अमल करने की। तो आइए एक-एक करके देखते हैं इन मुजर्रब वज़ाइफ़ को।
शादी पसंद के मुताबिक़ हो
अगर आप चाहते हैं कि शादी आपकी पसंद के मुताबिक़ हो तो यह अमल कीजिए
"अगिस्नी अगिस्नी या मुगीसू"
इक्कीस रोज़ तक, पांच सौ मर्तबा पढ़िए।
अवल और आखिर ग्यारह बार दरूद शरीफ़ पढ़ें और दिल में अपने मक़सद का ख़याल रखें।
इंशाअल्लाह कामयाबी ज़रूर मिलेगी।
आसेब से बचाव के लिए
अगर किसी को आसेब का असर हो गया हो तो
"व इज़ा बतश्तुम बतश्तुम जब्बारीन"
इस आयत को तीन मर्तबा पढ़कर मरीज को पिला दें।
इंशाअल्लाह आसेब से निजात मिल जाएगी।
जादू का असर न होने के लिए
"बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम व उमली लहुम इन्ना कैदी मतीन"
यह आयत लिखकर बाज़ू पर बांध लें।
अगर कोई जादू भी करेगा तो उसका असर नहीं होगा।
कैंसर का इलाज
फजर की सुन्नत के बाद फर्ज़ से पहले
"बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम" इकतालीस मर्तबा पढ़ें।
हर बार अर्रह़ीम की मीम को अल्हम्दु के लाम से मिलाकर पूरी सूरह फातिहा पढ़ें।
फिर पानी में दम करें और मरीज को पिला दें।
निहायत ही मुजर्रब अमल है।
दुश्मनों से हिफ़ाज़त के लिए
जब कहीं दुश्मनों का ख़ौफ़ हो तो यह दुआ पढ़ें
"अल्लाहुम्मा इन्ना नजअलुका फी नुहूरिहिम व नऊज़ु बिका मिन शरूरिहिम"
अवल व आखिर दरूद शरीफ़ के साथ पढ़ें।
इंशाअल्लाह दुश्मन कुछ न बिगाड़ सकेगा।
नामर्दी का इलाज
"इय्याका नअबुदु व इय्याका नस्तईन"
हर रोज़ नमाज़े फजर के बाद तीन सौ मर्तबा पढ़ें।
यह अमल एक सौ बीस दिन तक जारी रखें।
इंशाअल्लाह नामर्दी का खात्मा हो जाएगा।
दिल की घबराहट से निजात
जिसे दिल में बेचैनी या घबराहट हो वह पढ़े
"या सलामु या अल्लाह"
अवल व आखिर दरूद शरीफ़ के साथ सौ मर्तबा रोज़ाना पढ़ें।
इंशाअल्लाह दिल को सुकून मिलेगा।
कमर दर्द से आराम
जो शख्स कमर दर्द से परेशान हो वह नमाज़ों की पाबंदी करे
और ज़ुहर के बाद सौ इकतालीस मर्तबा पढ़े
"या अल्लाहु या हकीमु"
अवल व आखिर दरूद शरीफ़ के साथ पढ़ें।
इंशाअल्लाह दर्द खत्म हो जाएगा।
गैस की बीमारी से निजात
अवल व आखिर दरूद शरीफ़ पढ़ें
फिर सात मर्तबा "या मुहिय्यु" पढ़कर सीने पर दम करें।
इंशाअल्लाह गैस की बीमारी से निजात मिलेगी।
जिसके पास घर न हो
अगर किसी के पास रहने को घर नहीं है तो रोज़ाना यह आयत पढ़े
"व ल क़द मक्कन्नाकुम फिल अर्दे व जअलना लकुम फीहा मआयिशा क़लीलम मा तशकुरून"
एक सौ इक्यावन मर्तबा अवल व आखिर दरूद शरीफ़ के साथ।
इंशाअल्लाह अल्लाह तआला मकान अता फरमाएगा।
खैर व बरकत का बेहतरीन अमल
जब भी किसी से रुपया या माल ले तो कहे "बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम"
और जब किसी को दे तो कहे "इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन"
इस अमल की पाबंदी से ना देने से कमी आएगी ना आमदनी में।
औलाद को नेक बनाने का अमल
अगर औलाद तंग करती हो तो असर की नमाज़ के बाद पढ़े
"या हन्नानु अंतल लज़ी वसिअता कुल्ला शयइर्रहमतुं व इल्मुन या हन्नान"
एक सौ उन्नीस मर्तबा अवल व आखिर ग्यारह बार दरूद शरीफ़ के साथ।
इंशाअल्लाह औलाद फरमाबरदार और नेक बनेगी।
आख़िरी कलमात नसीहत और दुआ
दोस्तों याद रखिए
इन वज़ाइफ़ में असर तब होता है जब दिल में यक़ीन हो और अमल दीनदारी से किया जाए और नमाज़ की पाबंदी की जाए।
हर अमल से पहले और बाद में दरूद शरीफ़ ज़रूर पढ़ें,
क्योंकि दरूद शरीफ़ दुआओं को कबूल होने का ज़रिया है।
हर मुश्किल को हल करने वाला अल्लाह है,
वो ही शिफ़ा देता है, वो ही राहत देता है, वो ही कामयाबी देता है।
अगर कभी देर लगे तो मायूस मत हो,
अल्लाह तआला पर कामिल यकीन और भरोसा करते हुए अमल पढ़ें इंशा अल्लाह कामयाबी और शिफा व राहत ज़रूर मिलेगी।
अल्लाह तआला हम सबको नेक अमल करने की तौफ़ीक़ दे,हमारी हर दुआ कबूल फरमाए, हमारी बीमारियाँ दूर करे और हमारी ज़िंदगी रहमतों और बरकतों से भर दे।
आमीन या रब्बल आलमीन।
