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Nabi Mukhtar सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

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 जो कुछ तुम्हें रसूल अता फरमाएं वह लो, और जिससे मना फरमाएं बाज़ रहो

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों: बेशक अल्लाह ने हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मालिको मुख्तार बनाकर भेजा है, और यह भी इख्तियार अता फरमाया है, के नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिसे चाहें हलाल फरमादें, और जिसे चाहें हराम फरमादें।

وَمَا آتَاكُمُ الرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَاكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوا پ ۲۸ الآية ، الحشر

तर्जमा: और जो कुछ तुम्हें रसूल अता फरमाएं वह लो, और जिससे मना फरमाएं बाज़ रहो।

तफसीर: यह आयत आम है, हर उस चीज़ के बारे में के, रसूले पाक ने जिसके करने का हुक्म दिया है, या जिससे रुकने का हुक्म दिया है, चाहे वह क़ौल हो, या अमल वाजिब हो, या मंदूब व मुस्तहब, (खाज़िन)

हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद ने फरमाया के गोदना, गुदवाने वाले पर अल्लाह की लानत है, यह ख़बर बनी असद के एक औरत के पास पहुंची, जिसका नाम उम्मे याकूब था, जबकि वह कुरान की तिलावत करती थी, अब वह औरत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद के पास आई, और पूछा के आपकी यह बात हम तक पहुंची है, क्या आपने ऐसा ऐसा कहा है? इस पर हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद ने कहा, के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिस पर लानत भेजें, हम उस पर क्यूं न लानत भेजें, जबकि इसका ज़िक्र कुरान में भी है, औरत ने कहा मैंने पूरा कुरान पढ़ डाला, यह ज़िक्र मुझे नहीं मिला, आपने फरमाया के अगर तूने कुरान को पढ़ा होगा तो, ज़रूर इस आयत को पाया होगा, अल्लाह तआला फरमाता है

وَمَا آتَاكُمُ الرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَاكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوا پ ۲۸

वज़ाहत: इस तफसील से पता चला के, अल्लाह ने अपने नबी को मुकम्मल इख्तियार देकर भेजा है, के जिस चीज़ को चाहें, जाइज़ करदें, करने का हुक्म देदें, और जिसे चाहें हराम करदें, करने से रोक दें, और जिस काम को चाहें, जो दर्जा देदें, जाइज़ करें, मुस्तहब करें, वाजिब करें, मंदूब करें, रसूल को इख्तियार है, के वह अल्लाह के नाइब हैं, और जब असल को इख्तियार होता है, तो नाइब को इख्तियार वाला होना ज़रूरी होता है, वरना, या तो असल में, इख्तियार न पाया जाएगा, या फिर नाइब, नाइब न रहेगा। और यहां दोनों साबित है, के अल्लाह असल है, और बेशक वह इख्तियार रखता है, और नबी बिला शुबह अल्लाह के नाइब और खलीफा ए अतम भी हैं।

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