अल्लाह का फ़ज़्ल और उसकी रहमत Allah ki Rahmat

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 अस्सलामु अलैकुम दोस्तों इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे के अल्लाह का फ़ज़्ल और उसकी रहमत क्या है और अल्लाह का फ़ज़्ल और उसकी रहमत के मिलने पर हमें क्या करना चाहिए?

रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह का फ़ज़्ल और उसकी रहमत हैं 

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अपने फ़ज़्ल और रहमत का ज़िक्र किया है  आइये कुरान मजीद फुरकान हमीद से पूछते हैं के अल्लाह तआला का फ़ज़्ल क्या है और अल्लाह तआला की रहमत क्या है

يَأَيُّهَا النَّبِيُّ إِنَّا أَرْسَلْتُكَ شَاهِدًا وَ مُبَشِّرًا وَنَذِيرًا وَدَاعِيَّا إِلَى اللهِ بِإِذْنِهِ وَسِرَاجًا مُنِيرًا وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِينَ بِأَنَّ لَهُمْ مِّنَ اللَّهِ فَضْلًا كَبِيرًا

(سورہ احزاب)

तर्जमा : ए गैब की ख़बरें बताने वाले (नबी) बेशक हमने तुम्हें भेजा हाज़िर नाज़िर और खुश्खबरी देता और डर सुनाता और अल्लाह की तरफ उसके हुक्म से बुलाता और चमका देने वाला आफताब और ईमान वालों को खुश्खबरी दो के उनके लिए अल्लाह का बड़ा फ़ज़्ल है,!

दोस्तों इस आयते मुक़द्दसा में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने बता दिया के फ़ज़्ल कबीर मेरा नबी है !

आइये अब कुरान से पूछते हैं के ऐ कुरान , अब तू बता के रहमत क्या है,

وَمَا أَرْسَلْتُكَ إِلَّا رَحْمَةً لِلْعَلَمِينَ

(سورة الأنبياء )

तर्जमा: और हमने तुम्हें न भेजा मगर रहमत सारे जहान के लिए , 

इस आयते करीमा में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने रोज़े रोशन की तरह वाज़ेह कर दिया के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तमाम जहानों के लिए रहमत हैं 

पता चला के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही अल्लाह का फ़ज़्ल हैं और रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही अल्लाह की रहमत हैं 

सबसे अज़ीम तरीन नेमत

लिहाज़ा अल्लाह का फ़ज़्ल और अल्लाह की रहमत मिलने पर यानी रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आमद पर जश्न मनाओ क्यूंके काएनात की सबसे अज़ीम तरीन नेमत रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं!

मिलादुन्नबी में जश्न मनाएं

दोस्तों रोज़े रोशन की तरह वाज़ेह हो गया के फ़ज़्ल और रहमत से मुराद रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ाते गिरामी है, तो अहले ईमान का हक यही है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आमद पर ख़ुशी नहीं बल्के जश्ने मुस्तफा मनाएं ! 

फ़ज़्ले रब्बुल उला और क्या चाहिए - मिल गए मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और क्या चाहिए !

दामने मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिनके हाथों में है- उनको रोज़े जज़ा और क्या चाहिए!

नेमतें दोनों आलम की देकर हमें - पूछते हैं बता और क्या चाहिए !

ऐ रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तेरे बीमार को- बागे तैबा की आबो हवा चाहिए !

ले चलो अब मदीने को चारा गरो- मुझको तैबा की आबो हवा चाहिए !

हाज़री हो गई उनके दरबार में - मिल गया मुद्दुआ और क्या चाहिए!

गुम्बदे सब्ज़ ख़्वाबों में आने लगा - हाज़री का सिला और क्या चाहिए!

है सिकंदर सना ख्वाने शाहे उमम - इज्ज़तो मर्तबा और क्या चाहिए !


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