रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नज़रे पाक का असर और सहाबा किराम का मक़ाम व मर्तबा

इस मज़मून में सहाबा किराम के बुलंद मक़ाम और हुज़ूर सैय्यद उल अंबिया सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नज़रे पाक के असर का बयान किया गया है।

इस मुबारक मज़मून में हम सहाबा किराम अलाईहिमुर्रिज़वान के बुलंद मक़ाम और मर्तबे पर बात करने वाले हैं कि कैसे उन्होंने हुज़ूर सैय्यद उल अंबिया सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीम और नज़रे पाक से फज़्लो कमाल पाया। इस मज़मून में यह समझाने की कोशिश की गई है कि जिस तरह एक सच्चा उस्ताद अपने शागिर्दों में इल्मो फज़्ल पैदा करता है और एक सच्चा पीर अपने मुरीदों को मुत्तबे शरीअत बना देता है, उसी तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की निगाहे रहमत ने जुहलाए अरब को इल्मो फज़्ल के समंदर में तब्दील कर दिया। नीचे दिए गए लेख में इन्हीं रूहानी हकीक़तों का बयान है जो हर मुसलमान के दिल में इज़्ज़ते सहाबा और अदबे रसूल को और मज़बूत कर देता है।

सहाबा किराम का मकाम व मर्तबा

दरख्त अपने फल से पहचाना जाता है पीर अपने मुरीद से और उस्ताद अपने शागिर्दों से पहचाना जाता है जिस पीर के मुरीद शरअ के खिलाफ हों अकल बतलाएगी कि उनका पीर भी बराए नाम पीर है जिस उस्ताद के शागिर्द जाहिल हों अकल बतलाएगी कि उनका उस्ताद ही कोरा मालूम होता है सच्चा पीर अपने मुरीदों को अपनी नज़रे पाक ही से मुत्तबे शरीअत बना देता है और उनकी काया पलट देता है ना किताबों से न कॉलेज के है दर से पैदा दीन होता है बुज़ुर्गों की नज़र से पैदा और काबिल उस्ताद अपनी काबिलियत से जोहला को फुज़ला की फहरिस्त में ले आता है यह एक मिसाल है आप इसे पेशे नज़र रखकर हुज़ूर सैय्यद उल अंबिया सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीम और तरबियत को देखें और खुदा ए तआला के इस ऐलान को मुलाहिज़ा फरमाएं वयु ज़क्कीहिम वयुअल्लिमुहुमुल किताबा वलहिकमता और फिर खुद ही फैसला करलें के हुज़ूर की निगाहें करम से किस कदर इंकलाब पैदा हुआ होगा बक़ौले शायर इधर से उधर फिर गया रुख हवा का गुम गश्तगाने राहे हिदायत किस तरह हादी व महदी और जुहलाए अरब किस तरह फुज़ालाए ज़माना व मम्बा इल्मो फज़्ल और दुनिया भर के मुअल्लिम बन गए होंगे।

हुज़ूर की नज़रे पाक

हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की तालीम व तरबियत से फज़्लो कमाल पाने वाले यह हज़रात सहाबा किराम अलैहिमुर्रिज़वान हैं उनके जुमला मदारिजे आलिया और कमालात हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की नज़रे रहमत के रहीने मिन्नत हैं हुज़ूर की नज़रे पाक से अबू बकर सिद्दीक अकबर बन गए उमर फारूके आज़म बन गए उस्मान ज़ुन्नूरैन बन गए और अली शेरे खुदा बन गए कोई कातिबे वही कोई अल्लाह की तलवार और कोई उम्मत का अमीन बन गया और फर्श व अर्श वाले इन पर रिज़वान व रहमत के फूल निछावर करने लगे।

सहाबा के फज़्लो कमाल का एतराफ हुज़ूर के फज़्लो कमाल का एतराफ है

दोस्तों हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के इन अव्वालीन फैज़ याफ्ता नुफूसे क़ुदसिया कि इज़्ज़तो अज़मत को अपने दिलों में जगह दो और उनके फज़्लो कमाल का एतराफ करो इसलिए के उनके फज़्लो कमाल का एतराफ हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के फज़्लो कमाल का एतराफ है और उनके फज़्लो कमाल का इनकार हज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फज़्लो कमाल का इनकार है इसलिए के साहबे कमाल पीर और उस्ताद अपने मुरीदों और शागिर्दों में फज़्लो कमाल ज़रूर पैदा कर देता है और हुज़ूर से बढ़कर तो साहबे फज़्लो कमाल और कोई है ही नहीं फिर आपने अपने मुरीदों और शागिर्दों को क्यों साहबे फज़्लो कमाल न बनाया होगा ज़रूर बनाया है दोस्तों सहाबा किराम की इज़्ज़त अपने दिलों में रखो और उनका अदब और अहतराम करो।

मज़मून का खुलासा

इस पूरे मज़मून का मक़सद यही है कि हम सहाबा किराम अलाईहिमुर्रिज़वान की अज़मत को दिल में जगह दें और यह मानें कि उनका फज़्लो कमाल दरअसल हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फज़्लो कमाल का परचम है। जैसे एक पीर अपने मुरीदों को और एक उस्ताद अपने शागिर्दों को काबिल बनाता है, उसी तरह हुज़ूर की तालीम व तरबियत ने सहाबा को ऐसी रौशनी बख्शी कि वे पूरी उम्मत के लिए रहबर बन गए। इसलिए यह हमारा ईमानी फ़र्ज़ है कि हम सहाबा किराम से मोहब्बत करें, उनका अदब करें और उनकी इज़्ज़त अपने दिलों में रखें।

सहाबा किराम कौन हैं?

सहाबा किराम वो मुबारक हस्तियाँ हैं जिन्होंने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दीदार किया, आपकी तालीम और तरबियत से रौशनी पाई और पूरे दिल से इस्लाम को अपनाया। वे हुज़ूर के सच्चे मुरीद और उम्मत के पहले रहबर हैं।

हमें सहाबा से क्या सीखना चाहिए?

हमें सहाबा की तरह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीम पर अमल करना चाहिए, अख़लाक में नर्मी, ईमान में मज़बूती और उम्मत की खिदमत का जज़्बा रखना चाहिए यही असली सुन्नत और वफादारी है।

About the author

JawazBook
JawazBook एक सुन्नी इस्लामी ब्लॉग है, जहाँ हम हिंदी भाषा में कुरआन, हदीस, और सुन्नत की रौशनी में तैयार किए गए मज़ामीन पेश करते हैं। यहाँ आपको मिलेंगे मुस्तनद और बेहतरीन इस्लामी मज़ामीन।

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the comment box.