इस मज़मून में हम यह बताने वाले हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम विसाल ए जाहिरी के बाद भी हयात हैं और अपनी उम्मत पर रहमत फरमा रहे हैं। सहाबा ए किराम का अकीदा भी यही था कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने रोज़ा ए मुबारक में ज़िंदा हैं और उम्मत के हालात से वाकिफ और बा खबर हैं। इसके अलावा हम निगाहे नुबुव्वत के उन कमालात का ज़िक्र करेंगे जिनसे मालूम होता है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने दाना ए कुल बनाया। साथ ही हम हुज़ूर की दुआ ए मुबारक के बारे में बताएँगे जो आपने अपनी मख़सूस दुआ को उम्मत की शफाअत के लिए बचाकर रखा जो आपकी रहमत और मोहब्बत की बेहतरीन मिसाल है। और आखिर में हम खुशबू ए मुबारक वाली वह रिवायत भी पेश करेंगे जिसमें हज़रत उम्मे सलमा रदीअल्लाहु अन्हा ने बयान किया कि विसाल के बाद भी आपके जिस्म ए मुबारक की खुशबू उनके हाथों से कभी न गई। यह सब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हयात और बरकत की रौशन दलीलें हैं।
सहाबा ए किराम का अकीदा नबी ज़िंदा हैं
सहाबा ए किराम का अकीदा था कि आक़ा व मौला सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम विसाले ज़ाहिरी के बाद भी रोज़ा ए अतहर में ज़िंदा हैं इसी लिए हज़रत अबू बकर रदी अल्लाहु अन्हू ने विसाल से पहले वसीयत फरमाई कि मेरा जनाज़ा हुज़ूर नबी करीम रऊफुर्रहीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हुजरा ए मुबारका के सामने रख देना और इजाज़त तलब करना अगर दरवाज़ा खुल जाए और इजाज़त मिल जाए तो मुझे हुजरा ए मुबारक के अंदर दफन करना वरना आम कब्रिस्तान में दफन कर देना। सहाबा ए किराम ने ऐसा ही किया जब आप का जनाज़ा रोज़ा ए मुबारका के सामने रखा गया तो दरवाज़ा खुल गया और रोज़ा ए अक्दस से आवाज़ आई दोस्त को दोस्त के पास ले आओ। तफसीर कबीर और ख़साइस उल कुबरा में यह वाकिआ मौजूद है सुब्हान अल्लाह।
निगाहे नुबुव्वत का बुरहान
हज़रत अनस बिन मालिक रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया पहले ज़ैद ने झंडा उठाया तो वो शहीद हो गए। फिर जाफर ने झंडा उठाया तो वो भी शहीद हो गए। फिर अब्दुल्लाह बिन रवाहा ने झंडा उठाया वो भी शहीद हो गए। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह फरमा रहे थे और आपकी आंखों से आंसू बह रहे थे। फिर आपने फरमाया अब खालिद बिन वलीद ने झंडा ले लिया और अब मुसलमानों को फतह नसीब हो गई है। (बुखारी)
यह जंगे मौता का वाक़िआ है जो आठ हिजरी में मुल्के शाम में बैतुल मुक़द्दस के करीब हुआ। यह मदीना मुनव्वरा से हज़ारों मील की दूरी पर था। लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना तय्यबा में बैठकर उस जंग का नज़ारा फरमा रहे थे और अपने सहाबा को वहां के हालात बता रहे थे।
आप ने एक एक कर के शहीद होने वाले सहाबा के नाम भी बयान फरमा रहे हैं और जां निसारों की शहादत पर आंसू भी बह रहे हैं। इससे मालूम हुआ कि आप दाना ए कुल, ख़त्मे रुसुल और हादी ए सुबुल हैं जो अपनी निगाहे नुबुव्वत से दूर की जंग को भी देख रहे थे।
हुज़ूर का मुअज्ज़ा
हज़रत जाबिर रदी अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुदैबिया के दिन लोग प्यास से परेशान हो गए और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास एक बर्तन था जिससे आप वुज़ू फरमा रहे थे लोग हाज़िर हुए और अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह हमारे पास वुज़ू करने और पीने के लिए पानी नहीं है बस यही थोड़ा सा पानी है जो आपके पास है आप ने बरतन में अपना मुबारक हाथ डाल दिया तो आपकी उंगलियों से चश्मों की तरह पानी फूट निकला हमने पिया और वुज़ू किया रावी कहते हैं मैंने हज़रत जाबिर से पूछा तुम कितने लोग थे तो उन्होंने फरमाया अगर एक लाख भी होते तो पानी काफी हो जाता लेकिन हम पंद्रह सौ थे।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ ए मुबारक
हज़रत जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हर नबी को एक मकबूल दुआ मांगने का हक दिया गया जो उन्होंने अपनी उम्मत के लिए मांग ली और मैंने अपनी इस खास दुआ को बरोज़े क़यामत अपनी उम्मत की शफाअत के लिए बचाकर रखा है।
खुशबू ए मुबारक
हज़रत उम्मे सलमा रदी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि जिस दिन रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का विसाल मुबारक हुआ मैंने अपना हाथ हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सीने ए मुबारक पर रखा उसके बाद कई जुमा गुज़र गए मैं खाना खाती वुज़ू करती मगर मेरे हाथ से उस दिन की खुशबू न गई। सुब्हान अल्लाह (मदारेजुन्नुबुव्वत)
इख्तितामी कलमात
इन तमाम रिवायतों से यह साबित हो गया कि हमारे नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ज़िंदा हैं,और आपकी निगाह से कोई चीज़ छुपी नहीं है चाहे करीब हो या दूर आप हर चीज़ को देखते हैं अल्लाह की अता से,और सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ उम्मत के लिए ज़रिया ए रहमत है,और सहाबा ए किराम का अक़ीदा भी यही था कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने रोज़ा ए अतहर में ज़िंदा हैं और अपनी उम्मत के हालात से वाकिफ और बा खबर हैं और हाजत रवाई, मदद और करम फरमा रहे हैं।
सहाबा ए किराम का अक़ीदा क्या था?
सहाबा ए किराम का अक़ीदा था कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम विसाल के बाद भी अपने रोज़ा ए अतहर में ज़िंदा हैं और अपनी उम्मत की रहनुमाई फरमा रहे हैं।
निगाहे नुबुव्वत का बुरहान इस के बारे में बताएं
निगाहे नुबुव्वत नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वह नूरी निगाह है जिससे आप दूर से दूर होने वाले हालात को भी देख लेते हैं, जैसे जंगे मौता के वक़्त आपने मदीना में बैठकर जंग का नज़ारा फरमाया।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कौन सा मोअज्ज़ा पानी के बारे में मशहूर है?
हुदैबिया के वक़्त जब सहाबा को पानी की कमी हुई, तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक बरतन में अपना मुबारक हाथ डाला और आपकी उंगलियों से पानी फूट निकला, जिससे सब ने पिया और वुज़ू किया।
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मख़सूस दुआ किसके लिए है?
A4: मय्यत अपने परिवार और दोस्तों की दुआ का इंतज़ार करती है। जब उन्हें दुआ पहुँचती है, तो यह उनके लिए दुनिया की हर नेमत से प्यारी होती है। इसलिए ज़िंदा लोग अपने फ़ौत शुदा माँ-बाप के लिए दुआ, इस्तिग़फार और सदक़ा देना जारी रखें। इससे उनके गुनाह माफ़ होते हैं और दरजे बुलंद होते हैं।