अखलाक़ की रौशनी में ज़िन्दगी इस्लाम का वो पैग़ाम जो दिलों को जोड़ता है

इस्लाम का अखलाकी निज़ाम इंसानियत को रहमदिली इंसाफ़ और मोहब्बत का पैगाम देता है। जानिए कैसे नबी ए अकरम का अखलाक आज भी दिलों को जोड़ता है।

इस्लाम एक मुकम्मल ज़िंदगी का निज़ाम है जो इंसान की हर पहलू में रहनुमाई करता है इस्लाम की तालीमात सिर्फ इबादत तक महदूद नहीं बल्कि इंसान के अखलाक और किरदार को भी बेहतर बनाने का पैग़ाम देती हैं अच्छे अखलाक इस्लाम की बुनियादी पहचान हैं नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़िन्दगी के हर पहलू में अखलाके हसना की ऐसी मिसालें क़ायम कीं जो हमेशा के लिए इंसानियत के लिए रहनुमाई बन गईं आज के मुआशरे में जब इंसानियत अपनी अखलाकी पहचान खो रही है तो इस्लामी अखलाक को अपनाना वक्त की सबसे बड़ी ज़रूरत है।

इस्लाम और अच्छे अखलाक की अहमियत

इस्लाम ने अपने मानने वालों को एक ऐसा आला दर्जे का निज़ामे अखलाक दिया है जिसकी मिसाल किसी भी मज़हब या कानून में नहीं मिलती यह निज़ाम इंसान को मुकम्मल रहनुमाई देता है जिसमें इंसान जानवर और पौधों तक के साथ सुलूक के अहकाम शामिल हैं नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने अमल और अखलाके हसना से इंसानियत के लिए ऐसी मिसालें क़ायम कीं जो हर दौर और हर ज़माने में रहनुमाई का सबब बनीं इस्लाम का यह निज़ामे अखलाक इंसान की ज़िन्दगी को सुधारता है और समाज में अमन और इंसाफ़ को कायम करता है।

इस्लाम का अखलाकी निज़ाम दुनिया के हर इंसान के लिए रहनुमाई का बेहतरीन ज़रिया है नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने अखलाक से इंसानियत को सिखाया कि रहमदिली इंसाफ़ और मोहब्बत ही असल इंसानी सिफ़तें हैं अगर इन पर अमल किया जाए तो समाज में अमन और खुशहाली कायम रह सकती है।

अखलाक का वसीअ दायरा और नबी ए अकरम की तालीमात

इस्लाम का निज़ामे अखलाक बहुत वसीअ है इसमें इंसानों के साथ जानवरों पौधों और यहां तक कि बेजान चीज़ों के हुकूक भी शामिल हैं इंसान को अपने वालिदैन बीवी औलाद पड़ोसी यतीम बेवा साइल राहगीर बीमार और मुहताज सबके साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया गया है जानों को नुकसान पहुंचाना फलदार दरख्तों को काटना या आबाद जगहों को उजाड़ना अखलाके हसना के खिलाफ़ है नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मुझे अच्छे अखलाक को मुकम्मल करने के लिए भेजा गया है आपने दुआ की ऐ अल्लाह तूने मेरी सूरत को खूबसूरत बनाया मेरे अखलाक को भी खूबसूरत बना दे कुरआन में अल्लाह फरमाता है ऐ महबूब आपका अखलाक अज़ीमुश्शान है नबी करीम के अखलाक की मिसाल उस वक़्त भी देखने को मिली जब मक्का बिना खून खराबे के फतह हुआ आपने ऊंटनी और उसके बच्चे की हिफाज़त के लिए एक आदमी को रास्ते पर खड़ा कर दिया ताकि ऊंटनी के बच्चे को नुकसान न पहुंचे इसी तरह एक यहूदी के कर्ज़ के वाक़ये में आपने नर्मी और सब्र से पेश आकर उसे इस्लाम की हकीकत से मुतास्सिर कर दिया।

इस्लाम में अखलाक का दायरा बहुत बड़ा है यह सिर्फ इंसान से इंसान के रिश्ते तक सीमित नहीं बल्कि तमाम मखलूक तक फैला हुआ है नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़िन्दगी के हर पहलू से दिखाया कि रहमदिली सब्र और नर्मी ही असल ताक़त है आपके अखलाक ने न सिर्फ लोगों के दिल जीते बल्कि इंसानियत को एक उंचा मक़ाम दिया।

मौजूदा दौर और तरक्की का असल रास्ता

आज के तरक्की याफ्ता दौर में इंसान ने इल्म और साइंस में तरक्की तो कर ली है मगर अखलाकी एतबार से पीछे रह गया है भाईचारा खत्म हो गया है अमन और शांति गायब हो गई है बड़ों में छोटों पर रहम नहीं और छोटे बड़ों की इज़्ज़त से दूर हो गए हैं मुसलमान आपस में तफरका और रस्सा कशी का शिकार हैं इस सबका असल सबब यह है कि हमने इस्लाम के अखलाकी उसूलों को भुला दिया है जब तक हम इस्लामी अखलाक को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा नहीं बनाएंगे तब तक असली कामयाबी और तरक्की हासिल नहीं हो सकती इस्लाम का निज़ामे अखलाक ही इंसानियत को अमन और इंसाफ़ अता फरमाता है।

मौजूदा समाज में फैलती बुराइयों और बेअमनी की वजह अखलाकी पतन है इस्लामी अखलाक को अपनाकर ही इंसान अपने अंदर इंसाफ़ रहमदिली और भाईचारे के जज़्बात को जगा सकता है यही असल तरक्की का रास्ता है अगर मुसलमान अपने अंदर इस्लामी अखलाक को ज़िन्दा कर लें तो दुनिया में अमन शांति और इंसाफ़ कायम हो सकता है।

इख्तेतामी नसीहत

इस्लाम का निज़ामे अखलाक पूरी इंसानियत के लिए रहनुमाई का सबसे बेहतरीन ज़रिया है नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अखलाके करीमाना हर दौर और हर ज़माने के लिए काबिले अमल है अगर मुसलमान अपने अंदर अखलाके हसना को ज़िन्दा कर लें तो मुआशरे में अमन मोहब्बत और इंसाफ़ की बहार लौट आएगी हमें चाहिए कि हम अपने किरदार और रवैये में इस्लामी तालीमात को अपनाएं ताकि हमारी ज़िन्दगी में रोशनी और हमारी कौम में इत्तेहाद पैदा हो सके।

अल्लाह तआला हम सबको अखलाके हसना अपनाने और नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

सवाल 1. इस्लाम में अच्छे अखलाक की अहमियत क्या है।

जवाब: इस्लाम में अच्छे अखलाक को ईमान का अहम हिस्सा माना गया है नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मुझे अच्छे अखलाक को मुकम्मल करने के लिए भेजा गया है अखलाक इंसान के किरदार की पहचान है जो समाज में अमन मोहब्बत और इंसाफ़ को बढ़ावा देता है।

सवाल 2. नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अखलाके हसना की कौन सी मिसालें मशहूर हैं।

जवाब: नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अखलाक हर पहलू से बे-मिसाल था आपने अपने दुश्मनों के साथ भी रहमदिली और सब्र का सुलूक किया मक्का की फतह के वक़्त माफी और रहमत की मिसाल कायम की एक यहूदी के कर्ज़ वाले वाक़ये में आपकी नर्मी ने उसे इस्लाम की हकीकत समझाई।

सवाल 3. इस्लामी अखलाक का दायरा किन चीज़ों तक फैला हुआ है।

जवाब: इस्लामी अखलाक का दायरा बहुत वसीअ है इसमें इंसानों के साथ जानवरों पौधों और बेजान चीज़ों के हकूक भी शामिल हैं इस्लाम सिखाता है कि हर मखलूक के साथ रहमदिली और इंसाफ़ से पेश आना चाहिए किसी को तकलीफ देना या ज़रूरतमंद की मदद न करना अखलाके हसना के खिलाफ़ है।

सवाल 4. आज के दौर में इस्लामी अखलाक को अपनाना क्यों ज़रूरी है।

जवाब: आज इंसानियत अखलाकी गिरावट का शिकार है समाज से भाईचारा और अमन खत्म होता जा रहा है इस्लामी अखलाक अपनाना इसलिए ज़रूरी है ताकि इंसान अपने अंदर रहमदिली इंसाफ़ और मोहब्बत को ज़िन्दा करे यही वो रास्ता है जो तरक्की और कामयाबी की असल कुंजी है।

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