इस ब्लॉग में हम बात करेंगे बच्चे के कान में अज़ान देने के बारे में नवजात बच्चे के कान में अज़ान देना सुन्नत है इस मज़मून में आप पढेंगे अज़ान की हिकमत फायदे और बच्चे के कान में अज़ान देने का तरीका क्या है और बच्चे की किस बिमारी से हिफाज़त हो जाती है।
बच्चे के कान में अज़ान देना
जब बच्चा पैदा हो तो उसके दाएँ कान में अज़ान और बाएँ में इक़ामत कही जाती है जो कि हदीस पाक से साबित है।
जुनाँचि जामे तिर्मिज़ी, अबू दाऊद, मुसन्निफ़ अब्दुर्रज़्ज़ाक़, मुसनद अहमद, अन्नज्मुल कबीर और शोअबुल ईमान लिल्बैहक़ी की बसनद हसन हदीस पाक है।
तर्जुमा
हज़रत आसिम बिन उबैदुल्लाह से मरवी है कि मुझे उबैदुल्लाह बिन अबी राफ़े ने ख़बर दी कि वह कहते हैं मैंने देखा या कहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने हज़रत हसन बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हुमा के कान में अज़ान दी जब हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने उन्हें पैदा किया।
शोअबुल ईमान, बाब फी हुक़ूकिल औलाद वल अहलीन, जिल्द 6 सफ़ा 389 दारुल कुतुबिल इल्मिया बैरूत।
मिरक़ातुल मफातीह में है।
तर्जुमा
हज़रत उमर बिन अब्दुलअज़ीज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु बच्चे की पैदाइश पर उसके दाएँ कान में अज़ान और बाएँ में इक़ामत कहते थे।
मुसनद अबू यअला मौसिली में हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरफ़ूआन मरवी है कि आपने फ़रमाया जब बच्चा पैदा हो उसके दाएँ कान में अज़ान और बाएँ कान में इक़ामत पढ़ी जाए तो बचा उम्मुस्सिब्यान की बीमारी से बचेगा।
मिरक़ातुल मफातीह किताबुस्सैद वज़्ज़ज़बाइह बाबुल अक़ीक़ा जिल्द 7 सफ़ा 2691 दारुल फ़िक्र बैरूत।
इमाम अहमद रज़ा ख़ान अलैहि रहमतुर्रहमान औलाद के हक़ूक में फ़रमाते हैं।
जब बच्चा पैदा हो फ़ौरन सीधे कान में अज़ान बाएँ में तकबीर कहे कि ख़लल शैतान व उम्मुस्सिब्यान से बचे।
फ़तावा रज़विया, जिल्द 24 सफ़ा 452 रज़ा फ़ाउंडेशन लाहौर।
अज़ान देने की हिकमत
इस अज़ान देने में हिकमत यह होती है कि बच्चा सब से पहले अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल का नाम सुने।
मुल्ला अली क़ारी रहमतुल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं।
तर्जुमा
बच्चे के कान में अज़ान देने की हिकमत यह है कि वह सब से पहले अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल के ज़िक्र को ईमान की दुआ की सूरत में सुनेगा।
मिरक़ातुल मफातीह, किताबुस्सैद वज़्ज़ज़बाइह, बाबुल अक़ीक़ा, जिल्द 7, सफ़ा 2691, दारुल फ़िक्र, बैरूत।
अज़ान देने का तरीका
अज़ान का तरीक़ा यह है कि दाएँ कान में चार मर्तबा अज़ान कही जाए और बाएँ कान में तीन दफ़ा इक़ामत कही जाए।
अगर एक मर्तबा अज़ान और एक मर्तबा इक़ामत कह दी तब भी सुन्नत पूरी हो गई।
नतीजा
प्यारे भाइयों और बहनों
याद रखिए नवजात बच्चे के दाएं कान में अज़ान देना और बाएं कान में इक़ामत कहना सुन्नत है और यह अमल हदीस से साबित है।
ये रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका है।
एक मुबारक सुन्नत है, जो हमारे बच्चों की ज़िंदगी की शुरुआत अल्लाह की याद और कलिमा-ए-तौहीद से करवाती है।
हमें चाहिए कि इस सुन्नत के ताल्लुक़ से दूसरों को भी इसकी अहमियत बताएं।
यही हमारी कामयाबी और औलाद की बरकत का रास्ता है।
सवाल जवाब
सवाल 1: बच्चे के कान में अज़ान क्यों दी जाती है
सवाल 2: कौन से कान में अज़ान और इक़ामत दी जाती है
सवाल 3: अज़ान देने का तरीका क्या है
सवाल 4: अज़ान देने से बच्चे की किस बीमारी से हिफाज़त होती है
जवाब: अज़ान और इक़ामत पढ़ने से बच्चे की उम्मुस्सिब्यान जैसी बीमारी से हिफाज़त होती है।
