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khasais e rasool: huzoor ki aala shan और फ़ज़ीलत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खसाइस में से एक ख़ुसूसियत ये भी है के आप के सामने ऊंची आवाज़ से बोलना जाइज़ नहीं।

खसाइस ए मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 

हज़ूर सरवर-ए-अंबिया, हबीब-ए-कबरीया, मोहम्मद मुस्तफा, अहमद मुज्तबा, सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, वह रसूल-ए-मुअज़्ज़म हैं जो निहायत अरफ़ा व आला शान के मालिक हैं और जिनको अल्लाह तआला ने कौनेन का मालिक व मुख्तार बनाया है। अल्लाह तआला ने ज़मीन व आसमान की हर-हर चीज़ को आप के वसीले से बनाया है।

इसमें कोई शक नहीं के अल्लाह तबारक व तआला के तमाम अंबिया-ए-किराम और रसूल-ए-एज़ाम बड़ी शान वाले हैं, लेकिन हमारे प्यारे नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम न सिर्फ उनसे ऊंची शान वाले हैं, बल्कि अल्लाह तआला ने आप को कुछ ऐसी ख़ासियतें भी अता की हैं जो किसी और नबी व रसूल को अता नहीं की गईं।


वह ख़ासियतें मुंदरजा -ए-ज़ैल हैं।


सब के नबी


अल्लाह तआला जल्ला शानुहु ने इस दुनिया में कमोबेश एक लाख चौबीस हज़ार अंबिया-ए-किराम मबऊस फरमाए। कोई नबी किसी एक इलाके की तरफ मबऊस किया गया, कोई किसी एक शहर की जानिब नबी बनाकर भेजा गया और कोई एक मुल्क की जानिब नबी बनाकर मबऊस किया गया। मगर यह हमारे प्यारे आका नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की ख़ासियत है कि आप क़यामत तक पैदा होने वाली तमाम मख़लूकात की तरफ नबी बनाकर भेजे गए हैं।

चुनांचे क़ुरआन पाक में इरशाद-ए-बारी तआला है:

"क़ुल या अय्युहन्नासु इन्नी रसूलुल्लाहि इलैकुम जमीआ"

(आयत)

यानी ऐ महबूब, आप फरमा दीजिए कि "ऐ लोगो, मैं तुम सब की तरफ अल्लाह का रसूल बनाकर भेजा गया हूं।"

और हदीस-ए-पाक में हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम का इरशाद-ए-गिरामी है:

"उर्सिलतु इलल खल्क़ी काफ़्फ़ा"


आख़िरी नबी


हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की एक और ख़ासियत, जो किसी नबी या रसूल में नहीं पाई जाती, ये भी है के आप इस दुनिया में आख़िरी नबी बनाकर मबऊस किए गए हैं।


आपकी रज़ा


आप सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की एक खूसूसियत ये भी है के तमाम मख़लूक, बिशमोल अंबिया व औलिया, अल्लाह तआला की रज़ा चाहती है और अल्लाह तआला रब्बुल आलमीन होकर आपकी रज़ा चाहता है।

 

आपकी शफाअत


नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क़यामत के दिन लोगों की शफाअत फरमाएंगे और यह सिर्फ और सिर्फ आपकी खूसूसियत है। किसी और नबी या रसूल को उस दिन शफाअत की इजाज़त नहीं होगी, बल्कि वह "नफ़्सी नफ़्सी" पुकारेंगे।


आपकी मेराज


आपके ख़साइल में से एक खूसूसियत आपका सफ़र-ए-मेराज भी है, जिसका ज़िक्र क़ुरआन पाक के पंद्रहवें पारे की पहली आयत में है। यह सफ़र रजब शरीफ की सत्ताईसवीं रात को कराया गया।
इस रात आप का मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक्सा तक जाना, फिर वहां से आसमानों पर जाना और फिर उसी रात वापस ज़मीन पर लौट आना आपकी खुसूसियत है।

आपकी नियाज़मंदी


हज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की एक और खुसूसियत ये भी है के तमाम मख़लूक, जो तक़रीबन अठारह हज़ार क़िस्म की है, सब आपकी नियाज़मंद है।
इनमें इंसान, हैवान, दरिंदे, परिंदे, चरिंदे, जिन्नात और हशरात-उल- अर्द भी शामिल हैं।
और इनमें इब्तिदा-ए-आफरीनिश से लेकर क़यामत तक पैदा होने वाली तमाम मख़लूक भी शामिल हैं। यहां तक कि जद्द-ए-अंबिया खलीलुल्लाह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी इन में शामिल हैं।
और यह भी नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की खुसूसियत है कि जितने मौजिज़ात तमाम अंबिया-ए-किराम को दिए गए, वह सब के सब आपको दिए गए।

आपकी तक़सीम

और यह भी नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की खुसूसियत है कि दुनिया में अल्लाह तआला जिस किसी को कोई नेअमत और कोई चीज़ अता फरमाता है, वह आपके हाथों से, आपकी मारिफत अता फरमाता है।

आपकी मोहब्बत

और हज़ूर अलैहिस्सलाम की एक खुसूसियत ये भी है के आपकी मोहब्बत ऐन ईमान है, बल्कि ईमान की जान है।
सिर्फ अल्लाह तआला को मानने से कोई बंदा मुसलमान नहीं बन सकता, जब तक कि वह हुज़ूर अलैहिस्सलाम पर ईमान न लाए और आप से पूरी-पूरी मोहब्बत न रखे।

आपकी इताअत

आपके ख़साइल में से एक खुसूसियत ये भी है के आपकी इताअत ऐन इस्लाम है और आपकी इताअत ही अल्लाह तआला की इताअत है।
अगर कोई शख्स नमाज़ की हालत में हो और हुज़ूर अलैहिस्सलाम उसे बुलाएं तो हुक्म यह है कि वह अपनी नमाज़ छोड़ कर आप के पास चला जाए और फिर वापस आकर वहीं से नमाज़ आगे शुरू कर दे जहाँ से नमाज़ छोड़ कर गया था क्योंकि आप के पास जाने से नमाज़ नहीं टूटती।
असल नमाज़ यही है, रूह-ए-नमाज़ यही है
मैं तेरे रू-ब-रू रहूं, तू मेरे रू-ब-रू रहे।

आप की ताअज़ीम

बेशक अल्लाह तआला के तमाम नबियों और रसूलों की ताअज़ीम ज़रूरी है। लेकिन हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की यह ख़ुसूसियत है कि आप की ताअज़ीम ऐन ईमान बल्कि ईमान की जान है।

अल्लाह के नाइब

हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की एक ख़ुसूसियत ये भी है के आप इस दुनिया में अल्लाह तआला के नाइब हैं। अल्लाह तआला ने तमाम जहानों को आप के क़ब्ज़े में दे दिया है। आप हर चीज़ के मालिक और मुख़्तार हैं। जिसको जो चाहें दें, जिस से जो चाहें वापस ले लें। आप हर इंसान के मालिक हैं। तमाम ज़मीन आप की मिल्कियत है। तमाम जन्नत आप की जागीर है।
आप जिसको चाहें जन्नत अता फ़रमा दें। जैसा कि अशरा मुबश्शरा (दस सहाबा) को आप ने दुनिया में ही जन्नत अता फ़रमा दी थी। आप को ज़मीन और आसमान के ख़ज़ानों की चाबियाँ अता कर दी गईं। दुनिया की हर क़िस्म की नेमतें आप के दरबार से तक़सीम होती हैं। तमाम अहकाम-ए-शरअ आप के क़ब्ज़े में दे दिए गए हैं। आप जिस के लिए जो चाहें हलाल फ़रमा दें और जो चाहें हराम फ़रमा दें। आप पूरी तरह से हर चीज़ के मालिक हैं।

पहले नबी

आप की एक ख़ुसूसियत ये भी है के सबसे पहले नबी होने का मरतबा आप को मिला। इसी लिए मीसाक़ वाले दिन सारे नबियों से आप पर ईमान लाने और आप की नुसरत करने का वादा लिया गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नबी-उल-अम्बिया हैं और तमाम नबी आप के उम्मती हैं।
चुनांचे हदीस-ए-पाक में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की दुआ का ज़िक्र मौजूद है जिस में उन्होंने कहा के ए अल्लाह मुझे अपने प्यारे हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का उम्मती बना, 

आप नूर हैं

नबी करीम सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की एक ख़ुसूसियत ये भी है के आप अल्लाह के नूर से पैदा हुए और इस दुनिया में भी आप नूर बनकर तशरीफ़ लाए। और फिर अल्लाह तआला ने दुनिया की हर चीज़ को आप के नूर से पैदा फ़रमाया। आप अव्वलुल-ख़ल्क और आख़िरुल-बिअसत, अल्लाह के महबूब हैं।  

तमाम ज़मीन मस्जिद

आप की एक और ख़ुसूसियत ये भी है के आप के लिए और आप की उम्मत के लिए तमाम ज़मीन मस्जिद बना दी गई है। इस ज़मीन पर जहां चाहे नमाज़ पढ़ी जाए, वह अदा हो जाएगी।  
चुनांचे एक हदीस-ए-पाक में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: अल्लाह अज्ज़ व जल्ला ने मुझे 6 चीज़ों की बिना पर तमाम नबियों पर फज़ीलत बख़्शी है (यअनी यह 6 चीज़ें सिर्फ़ मेरा ही ख़ास्सा हैं!  
1. मुझे जामेअ-कलिमात अता किए गए।  
2. रौब के साथ मेरी मदद की गई।  
3. ग़नीमत का माल मेरे लिए हलाल किया गया।  
4. तमाम ज़मीन मेरे लिए सज्दा गाह बनाई गई।  
5. मुझे तमाम मख़लूक की तरफ़ नबी बनाकर भेजा गया।  
6. और नबुव्वत मुझ पर ख़त्म कर दी गई। (मुस्लिम शरीफ)"  
इस हदीस-ए-पाक से साबित हुआ कि ज़मीन के जिस हिस्से पर भी नमाज़ पढ़ी जाए (शर्त यह कि वह पाक हो), नमाज़ अदा हो जाएगी।  

क़ब्र से पहले उठना

हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की एक ख़ुसूसियत ये भी है के क़यामत वाले दिन सब से पहले क़ब्र से बाहर तशरीफ़ लाएंगे।  

दिल का जागना

यह भी आप की ख़ुसूसियत है कि जब ज़ाहिरी तौर पर सो जाते थे, उस वक्त भी आप का दिल जागता रहता था।  
चुनांचे हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत-है के नबी करीम सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की ख़िदमत में चंद फ़रिश्ते हाज़िर हुए। उनमें से एक ने कहा, "आप सोते हैं।" दूसरे फ़रिश्ते ने कहा: आप की आँख सोती है, लेकिन दिल जागता है। (बुख़ारी शरीफ)।  
यही वजह है कि सोने के बावजूद नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का वुज़ू नहीं टूटता था, जबकि हमारा वुज़ू सोने से टूट जाता है।  इससे यह भी मालूम हुआ कि हुज़ूर अलैहिस्सलाम हम जैसे बशर नहीं हैं। 

बलंद आवाज़ से बोलना

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खसाइस में से एक ख़ुसूसियत ये भी है के आप के सामने ऊंची आवाज़ से बोलना जाइज़ नहीं। आप की एक ख़ुसूसियत ये भी है के क़यामत वाले दिन सबसे पहले जन्नत का दरवाज़ा आप के हुक्म से ही खोला जाएगा। 

चंद मजीद ख़ुसूसियात

आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम की ख़ुसूसियात में ये भी है के: आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम का साया ज़मीन-पर नहीं पड़ता था। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम के जिस्म-ए-अक़दस पर मक्खी नहीं बैठती थी। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम का बोल मुबारक (यानी पेशाब) ज़मीन पर ज़ाहिर नहीं होता था। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम को कभी एहतेलाम नहीं हुआ। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम को कभी जमाई नहीं आई। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम जिस जानवर पर सवार हुए, वह कभी नहीं भागा। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम ख़तना शुदा पैदा हुए। आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम जैसे आगे देखते थे, वैसे ही पीछे भी देखते थे। और आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम जिस क़ौम में बैठते, उनमें सब से ऊंचे मालूम होते थे।  
मज़कूरा-बाला सतूर में नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चंद ऐसे ख़ुसूसियात तहरीर किए गए हैं जो आप की ज़ात-ए-पाक के सिवा दुनिया के किसी और इंसान में नहीं पाए जाते, यहाँ तक कि अंबियाए-किराम और रसूल-ए-इज़ाम में भी नहीं पाए जाते। हम मुसलमानों को अल्लाह तआला का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उसने इतनी शान वाला अपना प्यारा महबूब हमें अता फ़रमाया और उस महबूब का हमें उम्मती बनाया। अल्लाह तआला हमें अपने प्यारे हबीब सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम की कमा हक़्क़हु ताबेअ-फ़रमानी की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।  

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