इंसानी ज़िंदगी का असली मक़सद अल्लाह तआला की रज़ा का हुसूल और आख़िरत की कामयाबी है और यह मक़सद सिर्फ़ नेक आमाल के ज़रिए ही हासिल हो सकता है। कुरआन मजीद और अहादीस मुबारका में बार-बार इस बात की तरगीब दी गई है कि मोमिन ना सिर्फ़ नेकी की राह अपनाए बल्कि उसमें दूसरों से आगे बढ़ने की कोशिश भी करे। अल्लाह तआला ने सूरह मोमिनून में नेकियों में सबक़त ले जाने वालों को "खुशखबरी" का पैग़ाम दिया है यह वह लोग हैं जो सिर्फ़ नेकी की पहचान नहीं रखते बल्कि हर मौके को ग़नीमत जानकर फ़ौरन भलाई के कामों में लग जाते हैं।
इस मज़मून में कुरआन की रोशनी में नेकी में सबक़त की अहमियत हदीसों की रौशनी में और उसकी फज़ीलत और सहाबा किराम के तारीखी वाक़ियात और आज के दौर में हमें किन-किन तरीकों से इस दौड़ में शरीक होना चाहिए इन तमाम पहलुओं को बयान किया गया है। मक़सद यह है कि हम सिर्फ़ नेकी की बातें न करें बल्कि उन्हें अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएं और एक दूसरे से नेकियों में आगे बढ़ने की कोशिश करें।
कुरआन मजीद में नेकी में सबक़त की तरगीब
अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ़ मक़ामात पर नेक कामों में सबक़त ले जाने का हुक्म दिया है
1. सूरह अल-बक़रह में फ़रमाया
फस्तबीकुल खैरात
तरजुमा पस नेकीयों में एक दूसरे से आगे बढ़ो।
2. सूरह अल-हदीद में फ़रमाया
साबिकुना इला मग्फिरतिम मिर्रब्बिकुम व जन्नातिन
तरजुमा अपने रब की मग़फ़िरत और जन्नत की तरफ़ सबक़त करो।
यह आयात इस हक़ीक़त को उजागर करती हैं कि अल्लाह तआला नेको कारों को पसंद फ़रमाता है और उनसे चाहता है कि वह भलाई में सबसे आगे हों।
अहादीस मुबारका में नेकी में सबक़त की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी नेक कामों में सबक़त करने की भरपूर तरगीब दी है।
1. नेकी करने में देर न करो
हज़रत अबू हुरैरह रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
नेकी करने में जल्दी करो क़ब्ल इस के कि फ़ितने तुम्हें घेर लें। (मुस्लिम)
यह हदीस हमें नेकी में ताख़ीर न करने का सबक़ देती है, क्यों कि ज़िंदगी गैर यक़ीनी है और कोई नहीं जानता कि अगला लम्हा क्या लाएगा।
सबसे बेहतरीन अमल कौन सा है
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा
कौन सा अमल सबसे ज़्यादा पसंदीदा है
आप अलैस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया
वक़्त पर नमाज़ पढ़ना।
उन्होंने पूछा फिर कौन सा?
आप अलैस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक।
फिर पूछा फिर कौन सा?
आप अलैस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया अल्लाह की राह में जिहाद। (बुखारी)
यह हदीस नेकी में सबक़त की अहमियत वाज़ेह करती है कि मोमिन को हर वक़्त नेकी के मौक़े तलाश करने चाहिएं।
जन्नत के दर्जात और नेकी में सबक़त
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
जन्नत में सौ दर्जे हैं, जो अल्लाह ने अपने रास्ते में जिहाद करने वालों के लिए तैयार किए हैं, और हर दर्जे के दरमियान ज़मीन व आसमान जितना फ़ासिला है। (बुख़ारी)
यह हदीस हमें यह बताती है कि जो लोग नेक कामों में सबक़त करते हैं, उन्हें अल्लाह तआला बुलंद दर्जात अता फरमाता है।
नेक कामों में सबक़त के चंद तारीखी वाक़ियात
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रदीअल्लाहु अन्हु की सबक़त
जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ग़ज़वा-ए-तबूक के मौके पर मुसलमानों को सदक़ा देने की तरग़ीब दी, तो हज़रत उमर रदीअल्लाहु अन्हु ने सोचा कि आज वह हज़रत अबू बक्र से आगे बढ़ जाएंगे। वह अपने माल का निस्फ़ ले आए, लेकिन हज़रत अबू बक्र रदीअल्लाहु अन्हु अपना पूरा माल ले आए।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा अबू बक्र ! तुमने अपने घर वालों के लिए क्या छोड़ा?
हज़रत अबू बक्र रदीअल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया मैंने उनके लिए अल्लाह और उसके रसूल को छोड़ा है। (तिर्मिज़ी)
यह एक रोशन मिसाल है कि कैसे सच्चे मोमिन नेकी में सबक़त ले जाने की कोशिश करते हैं।
हज़रत उस्मान ग़नी रदीअल्लाहु अन्हु का कुआँ ख़रीदना
मदीना में पानी की किल्लत थी, तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख़्स रौमा का कुआँ ख़रीद कर मुसलमानों के लिए वक़्फ़ कर दे, अल्लाह उसे जन्नत में बेहतरीन बदला देगा।
हज़रत उस्मान रदीअल्लाहु अन्हु ने फ़ौरन इस कुएँ को ख़रीद कर मुसलमानों के लिए वक़्फ़ कर दिया। (बुख़ारी)
यह वाक़िया नेकी में सबक़त की बेहतरीन मिसाल है।
हमें नेकी में सबक़त कैसे करनी चाहिए?
1. नमाज़ और इबादात में सबक़त फ़र्ज़ नमाज़ें वक़्त पर अदा करें, नवाफ़िल का एहतमाम करें, और ज़िक्र व अज़कार में सबक़त करें।
2. सदक़ा व खैरात में आगे बढ़ना ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करें, यतीमों और बेवाओं का ख़याल रखें।
3. इल्म हासिल करना और फैलाना दीनी और दुनियावी इल्म हासिल करें और दूसरों तक पहुँचाएं।
4. वालिदैन की ख़िदमत वालिदैन की दुआएं लें, उनकी इज़्ज़त करें और उनके लिए आसानी पैदा करें।
5. अच्छे अख़लाक़ अपनाना झूठ, धोका धड़ी और हसद से बचें, और हमेशा सच्चाई, दयानतदारी और इंसाफ़ पर क़ायम रहें।
6. दूसरों को नेकी की तरफ़ बुलाना नेकी का हुक्मदें और बुराईसे रोकें।
नतीजा
सूरह मोमिनून की यह आयत हमें नेकी में सबक़त की अहमियत सिखाती है। जो लोग नेकी में आगे बढ़ते हैं, अल्लाह तआला उनसे राज़ी होता है और उन्हें दुनिया व आख़िरत में कामयाबी अता फरमाता है। हमें चाहिए कि हम कुरआन व हदीस में दी गई इन तालीमात पर अमल करें और अपनी ज़िंदगी को भलाई, नेकी और ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ से भर दें ताकि हम भी उन खुशनसीब लोगों में शामिल हो सकें जिनके बारे में अल्लाह तआला ने फ़रमाया
वहुम लहा साबिकून
और वही इनमें सबक़त ले जाने वाले हैं।
अल्लाह हमें ज़्यादा से ज़्यादा नेकियां और आमाले सालेहा बजा लाने की तौफीक अता फरमाए ! आमीन