panch namazen aur quran ki tilawat-हदीस शरीफ की रौशनी में

हर नमाज़ के बाद क़ुरआन की तिलावत करने के फज़ाइल और बरकतें इस तहरीर में बयान की गई हैं, जो न सिर्फ गुनाहों की माफी का सबब हैं, बल्कि रोज़गार, रिज़्क और

  


पांच नमाज़ें और तिलावत क़ुरआन की फज़ीलत

इस्लाम में नमाज़ और क़ुरआन की तिलावत का अहम मुक़ाम है। पाँच वक़्त की नमाज़ें फर्ज़ हैं और रूहानी सुकून और अल्लाह की रहमत हासिल करने का ज़रिया भी हैं। हर नमाज़ के बाद क़ुरआन की तिलावत करने के फज़ाइल और बरकतें इस तहरीर में बयान की गई हैं, जो न सिर्फ गुनाहों की माफी का सबब हैं, बल्कि रोज़गार, रिज़्क और आख़िरत की कामयाबी का ज़रिया भी हैं। नबी-ए-करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने हर नमाज़ के बाद कुछ खास सूरह की तिलावत के फज़ाइल बयान फ़रमाए हैं, जो मुसलमानों के लिए एक रहनुमाई हैं।

पांच नमाज़ें और तिलावत क़ुरआन

नमाज़ फज्र:  

रिसालत मआब अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया: जो शख़्स दिन के शुरू हिस्से में (बाद नमाज़ फज्र) सूरह यासीन पढ़ता है, अल्लाह तआला उसकी तमाम दीनी व दुनियावी हाजतें पूरी कर देता है। हज़रत मअक़िल बिन यसार से रिवायत है, नबी अकरम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया: जो शख़्स महज़ अल्लाह की रज़ा और ख़ुशनूदी की ग़रज़ से सूरह यासीन पढ़ता है, उसके सारे पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।  

(मिश्कात)  

नमाज़ ज़ुहर:  

हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया: आज रात मुझ पर एक सूरह नाज़िल हुई है, जो मुझे उन तमाम चीज़ों से ज़्यादा महबूब है जिन पर सूरज तुलूअ होता है। फिर आपने सूरह फत्ह की तिलावत फ़रमाई। आपने फ़रमाया: जो बाद नमाज़ ज़ुहर यह सूरह पढ़े, उसके रिज़्क में बरकत होगी।  

नमाज़ असर: 

हज़रत उबी बिन काब से रिवायत है, हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया: जो शख़्स बाद नमाज़ असर सूरह नबा पढ़ेगा, अल्लाह तआला उसे रोज़-ए-क़यामत ठंडे पानी से सैराब फ़रमाएगा। एक तफ़सीर में लिखा है कि जो शख़्स बाद नमाज़ असर पांच मर्तबा पढ़े, वह असीर-ए-हक़ हो जाता है।  

(फ़वायद अल-फ़वाद)  

नमाज़ मग़रिब: 

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद से रिवायत है, रसूल-ए-अकरम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया: जो शख़्स बाद नमाज़ मग़रिब सूरह वाक़िआ पढ़ता है, वह कभी मोहताज न होगा और न ही उसे फाक़ा की नौबत आएगी।  

नमाज़ ईशा:  

हज़रत अबू हुरैरा से रिवायत है, नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया: जिस शख़्स ने बाद नमाज़ इशा सूरह मुल्क की तिलावत की, उसे यह सूरह अज़ाब-ए-क़ब्र से निजात दिलाएगी।  

(बैहकी)

पाँच वक़्त की नमाज़ें मुसलमानों के लिए फ़र्ज़ हैं और इनकी अदायगी के साथ क़ुरआन की तिलावत का खास एहतेमाम किया जाना चाहिए। फज्र से लेकर ईशा तक हर नमाज़ के बाद तिलावत की गई खास सूरह न केवल गुनाहों की माफी का ज़रिया हैं,और यह रोज़-ए-क़यामत की कामयाबी, रिज़्क में बरकत और अज़ाब-ए-क़ब्र से निजात का भी ज़रिया हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि वो न सिर्फ नमाज़ की पाबंदी करे, बल्कि तिलावत-ए-क़ुरआन को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाएं और अल्लाह की रहमतों से मालामाल हो।

About the author

JawazBook
JawazBook इस्लामी मालूमात का भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म है, जहाँ कुरान, हदीस, दुआएँ, वज़ीफ़े और फिक़्ही मसाइल आसान और सही अंदाज़ में शेयर किए जाते हैं। हमारा मकसद दीन की सही तालीम लोगों तक पहुँचाना है।

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the comment box.