Darood kab kab padhna mana hai और दरूद शरीफ की फज़ीलत

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों इस पोस्ट में यह बताऊंगा के दरूद शरीफ कब कब नहीं पढ़ना चाहिए, आइए इससे पहले कुछ दरूद शरीफ की फज़ीलत भी पढ़ते चलें।
दरूद शरीफ की फज़ीलत
दरूद शरीफ की बहुत फज़ीलत है, एक बार दरूद शरीफ पढ़ने से तीस फायदे हासिल होते हैं, वह इस तरह के जो एक बार दरूद पढ़ता है, अल्लाह पाक दस रहमतें नाज़िल फरमाता है, उसके दस दर्जात बुलंद फरमाता है, उसके दस गुनाह मिटाता है, तो इस तरह से एक मर्तबा दरूदे पाक पढ़ने से तीस फायदे पढ़ने वाले को हासिल होते हैं, इसी तरह जो हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम पर कसरत से दरूद शरीफ पढ़ता है, उसको जन्नत में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का क़ुर्ब नसीब होगा। दरूद शरीफ की एक बरकत यह भी है के जो शख्स दरूद शरीफ पढ़ता रहता है, अल्लाह तआला उसे बिन मांगे अता फरमा देता है, और दरूद शरीफ पढ़ने से हाजत पूरी होती है, मुश्किलात हल हो जाती हैं, मसाइब व आलाम ख़त्म हो जाते हैं, और रिज़्क़ में बरकत होती है। बहर हाल दरूद शरीफ की बहुत फ़ज़ीलतें हैं , हमको चाहिए के कसरत के साथ दरूद शरीफ पढ़ते रहें ताकि जो फज़ीलतें हैं उनके हम मुस्तहिक़ हों, अब आइए जानलें के दरूद शरीफ कब कब नहीं पढ़ना चाहिए।
कब कब दुरुद शरीफ पढ़ना मना है ?
खुसूसियत के साथ आठ जगहें ऐसी हैं कि इन मवाके पर दुरुद शरीफ पढ़ना मना है।
1. ऐसी जगह जहाँ निजासत हो।
2 गीबत, झूट वगैरह नाजायज़ बातें करते वक़्त हर गिज़ दुरुद न पढ़े।
3. जिस वक्त आदमी गुस्से में बेकाबू हो रहा हो।
4. ब वक्ते मुबाशिरत।
5. पेशाब पखाना के वक्त
6. सौदा बेचते वक्त।
7. लहवो लअिब या कोई नाजाइज़ काम करते वक़्त।
8. जानवर जिबह करते वक़्त या तमाम उन मवाकेअ पर जहाँ सिर्फ ज़िक्रे इलाही का हुक्म है दुरुद शरीफ़ नहीं पढ़ना चाहिये।
मुझे उम्मीद है आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आपकी मालूमत में ज़रूर इज़ाफ़ा हुआ होगा।