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Namaz ke Faraiz फ़राइज़ ए नमाज़



अस्सलामु अलैकुम दोस्तों, इस पोस्ट में आप जानेंगे कि नमाज़ के फ़राइज़ क्या हैं और उनकी तादाद कितनी है। साथ ही, अगर नमाज़ के दौरान फ़राइज़ में से कोई छूट जाए तो क्या नमाज़ मुकम्मल होगी या नहीं, इसके बारे में भी मालूमात हासिल करेंगे। इसके अलावा, नमाज़ के कुछ और अहम मसाइल पर भी रौशनी डालेंगे।

नमाज़ के फ़राइज़

यह वह फ़राइज़ हैं जो नमाज़ के अंदर किए जाने की वजह से दाख़िली फ़राइज़ हैं।
इन फ़राइज़ को अदा किए बिग़ैर नमाज़ होगी ही नहीं। (बहार ए शरीयत) अगर इनमें से एक काम भी जान बूझ कर (क़सदन) या भूलकर (सहवन) छूट जाए तो सजद ए सहु करने से भी नमाज़ न होगी बल्कि अज़ सर ए नौ नमाज़ (दोबारह) पढ़ना ज़रूरी है। (रद्दुल मुख़्तार)
नमाज़ के कुल 7 फ़राइज़ हस्ब ए ज़ैल हैं।

1: तकबीर ए तहरीमा 2: क़्याम 3: क़राअत 4: रुकूअ 5: सजदह 6 क़ाद ए आख़ीरा 7: ख़ुरूज बे सुनएही (1) तकबीर तहरीमा यानी अल्लाहु अकबर कहकर नमाज़ शुरू करना (2) क़ियाम करना। बिला उज़र बीमारी के या दरिंदे और दुश्मन के ख़ौफ़ से साक़ित नहीं होगा। बाअज़ लोग ज़रा सी बीमारी में नमाज़ बैठकर पढ़ते हैं। हालाँकि चलते-फिरते हैं, उनकी नमाज़ दुरुस्त नहीं। खड़े होने की ताक़त है तो खड़े होकर शुरू कर लें, फिर अगर खड़े नहीं रह सकते तो बैठ जाएँ। (3) क़िरात। एक आयत लंबी या तीन आयत छोटी। (4) रुकू करना कि सर और पीठ इस तरह बराबर हों कि अगर पुश्त पर पानी का प्याला रखा जाए तो वो गिरे नहीं। (5) सज्दा करना। कि दोनों हाथ के दरमियान सर इस तरह रखे कि अगर कान के ऊपर से कोई चीज़ गिरे तो हाथ की पुश्त पर गिरे। - कलाइयाँ ज़मीन से उठाए रखे। - बाज़ू पहलुओं से जुदा हों। - पेट ज़ानुओं से अलग हो। - सातों अज़ा ज़मीन पर हों। ख़ुसूसन पाँव को। बाअज़ लोग सज्दे में उठाए रखते हैं। उनकी नमाज़ दुरुस्त नहीं। और अज़ा इस तरह हों कि बकरी का बच्चा नीचे से गुज़र सके। (6) क़अदा आखिर। बायाँ पाँव बिछा कर उस पर बैठे और दायाँ खड़ा रखे और हाथ रानों पर रखे। ये अहकाम मर्द के लिए हैं। औरतें सज्दे में सब अज़ा मज़कूरा मिला कर रखें और दोनों पाँव एक तरफ निकाल कर उन पर बैठें। (7) ख़ुरूज बे सुनएही। अपने इरादे से नमाज़-से-बाहर-आना (नमाज़ मुकम्मल करना)
उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपको नमाज़ के फ़राइज़ और उनके अहमियत के बारे में बेहतर समझ मिली होगी। याद रखें, इन फ़राइज़ को मुकम्मल तौर पर अदा करना आपकी नमाज़ की दुरुस्ती के लिए बेहद ज़रूरी है। अल्लाह तआला हम सबको नमाज़ को सही तरीके से अदा करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। अगर आपका कोई सवाल हो, तो कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। जज़ाकल्लाहु ख़ैर।

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