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huzoor ka ilm

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कल क्या होगा? हुज़ूर जानते हैं

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों!
इस पोस्ट में हम हदीस की रौशनी में यह बताने की कोशिश करूँगा कि हमारे प्यारे आका नबी करीम सल्लल्लाहु-अलैहि- वसल्लम को अल्लाह तआला ने गैब का इल्म अता फरमाया है और हुज़ूर सब जानते हैं। चाहे वह कल क्या होगा, माँ के पेट में क्या है, या कयामत तक होने वाले तमाम वाक़यात। आइए, हदीस मुबारक पढ़ें और अपने ईमान को ताज़ा करें।

हज़रत अनस बिन मलिक रज़ीअल्लाहु तआला अन्हू से रिवायत-है के हुज़ूर नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम सूरज ढलते ही बाहर तशरीफ ले आए और ज़ोहर की नमाज़ अदा फरमाई जब सलाम फेरा तो मिंबर पर खड़े हो गए और कयामत का ज़िक्र किया और फरमाया के इससे पहले बड़े-बड़े वाक्यात हैं फिर फरमाया जो शख्स भी किसी भी चीज़ के मुताअल्लिक सवाल करना चाहता है वह सवाल करे खुदा की कसम में जब तक इस जगह यानी मिंबर पर हूं तुम जो बात मुझसे पूछोगे मैं तुम्हें वह बता दुंगा। हज़रत अनस रदीअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं यह सुनकर लोग बहुत ज़्यादा रोने लगे (यानी लोग नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम के गुस्सा से कांप गए) और नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम बार-बार यही फरमाते रहे के “जो मुझसे पूछना चाहो पूछ लो” आखिर एक शख्स (जो मुनाफिक था बज़ाहिर मुसलमान बना हुआ था) उठा और पूछने लगा कि मेरा ठिकाना कहां है या रसूलअल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम,, आपने फ़रमाया तेरा ठिकाना दोज़ख है, फिर हज़रत अब्दुल्लाह बिन हुज़ाफा उठे और पूछने लगे के या रसूलअल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम मेरा बाप कौन है? (यानी लोग मेरा बाप किसी और को बताते हैं लिहाज़ा हकीकी मेरा बाप कौन है यह बताइए) आपने फ़रमाया तेरा बाप हुज़ाफा है (यानी तू सहीहुन्नसब है लोग जो तेरे नसब पर एतराज़ करते हैं वह गलत है) फिर आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने कसरत से फरमाया “जो पूछना है पूछ लो” हज़रत उमर (आपका गज़ब देखकर) बड़े अदब से दो ज़ानू होकर बैठे और कहने लगे, हम अल्लाह के रब होने पर इस्लाम के दीन होने और मोहम्मद मुस्तफा नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम के नबी होने पर राज़ी हैं,  हज़रत अनस कहते हैं जब आपने हज़रत उमर की यह बात सुनी तो आप खामोश हो गए (यानी आपका गुस्सा खत्म हो गया)! 

फवाइद 

बुखारी की इस सही हदीस मुबारक से चंद फायदे और सबक हमें हासिल हुए। 

  1. एक तो यह के “या रसूलअल्लाह” कहना यह शिर्क व बिदअत या हराम नहीं, बल्कि सहाबा की सुन्नत है,

  2. इस हदीस मुबारक से दूसरी सबसे अहम बात यह साबित हुई के हमारे नबी हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम को अल्लाह तआला ने काएनात की हर शै का इल्म अता फरमा दिया है इसलिए के “सलूनी” यानी जो चाहे पूछ ले यह अल्फाज़ वही कह सकता है जिसको हर चीज़ का इल्म हो, और हर शै की खबर हो, हुज़ूर नबी करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने बार-बार यह अल्फाज़ दोहराए और इसके जवाब में जिसने जो पूछा सरकार ने वह बता भी दिया इससे साबित हुआ के जो कुछ इस काएनात में हो चुका है या कयामत तक जो कुछ होने वाला है हर चीज़ का हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम को अल्लाह तआला ने इल्म अता फरमा दिया है कोई वाक्या, कोई खबर, कोई चीज़, ऐसी नहीं जिसका हुज़ूर सअलैहिस्सलातु वस्सलाम को इल्म न दे दिया गया हो।  

  3. बाज़ लोग यह कहते हैं की मुगय्यबाते खमसा यानी पांच किस्म के इल्म गैब मसलन कल क्या होगा, मां के पेट में क्या है, वगैरा वगैरा, इसका इल्म सिवाए खुदा के किसी को नहीं होता, इस हदीस मुबारक से इसका भी रद्द हो गया क्योंकि इस हदीस में हुज़ूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन हुज़ाफा रदी अल्लाहु अन्हु के नसब को बयान फरमाया जिसका ताल्लुक माफी उल अरहाम यानी मां के पेट वाले मसअला से है, और दूसरे मुनाफिक के जवाब में फरमाया कि तू जहन्नमी है यानी कल जहन्नम में जाएगा, इसका ताल्लुक “माज़ा तकसिबू गदा” यानी कल क्या होगा। इससे मालूम हुआ के अल्लाह तआला ने इन पांच उलूमे गैबिया से भी सरफराज़ फरमा दिया था, लिहाज़ा कयामत कब आएगी, कौन कहां मरेगा, बारिश कब होगी, इनका इल्म भी हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम को अता फरमा दिया गया था।

  4. इस हदीस मुबारक में हुज़ूर सअलैहिस्सलातु वस्सलाम के गज़ब और जलाल को देखकर सहाबा के कांपने और रोने का ज़िक्र है जबकि तफ्सीर खाज़िन में तफसील के साथ आपका गुस्सा की वजह को बयान करते हुए लिखा है की बाज़ मुनाफिकों ने आपके इल्म पर ऐतराज़ किया था कि आपको गैब का इल्म नहीं है इस पर हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम को जलाल आ गया और आपने गुस्सा से फरमाया पूछो क्या पूछना चाहते हो, इससे मालूम हुआ कि हुज़ूर के इल्म पर कभी एतराज़ नहीं करना चाहिए, जो लोग हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के इल्म पर एतराज़ करते हैं वह हुज़ूर के गज़ब और जलाल को दावत देते हैं, और अपनी आकिबत खराब करते हैं, क्योंकि जिससे हुज़ूर नाराज़ हो गए, उसका कहीं ठिकाना नहीं। 

  5. और एक बात यह भी साबित हुई के हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के इल्म पर ऐतराज़ यह मुनाफिकों का तरीका है उस वक्त भी हुज़ूर के सामने हुज़ूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के ज़माना में मुनाफिकाें ने ही हुज़ूर के इल्म पर ऐतराज़ किया था लिहाज़ा आज भी अगर कोई हुज़ूर के इल्म पर एतराज़ करे, के हज़ूर को यह पता नहीं, हुज़ूर को वह पता नहीं, तो उसको डरना चाहिए के कहीं उसका हश्र मुनाफिकों के साथ न हो।

इस हदीस से यह बात वाज़ेह हो जाती है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने हर चीज़ का इल्म अता फरमाया हैं। आपकी शान और इल्म पर ऐतराज़ करना न सिर्फ ग़लत है, बल्कि यह मुनाफिकों का तरीका है।

दोस्तों, यह हमारी खुशकिस्मती है कि हमें ऐसे नबी का उम्मती बनाया गया जो अल्लाह की अता से गैब जानते हैं ।
दुरूद व सलाम पढ़ते रहिए और अपने नबी की मोहब्बत में इज़ाफा कीजिए।
जज़ाक अल्लाह खैर।

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